| उत्तराखंड में ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था का दूसरा दिन |
गुनगुनी धूप के साथ हल्की हल्की ठंडी में 8:00 बजे इंद्र गार्डन वेडिंग पॉइंट से ढाई आखर प्रेम यात्रा प्रारंभ हुई। सुबह सुबह गरमा गरम परांठे और आलू की तरकारी के नाश्ते के साथ यात्रा आरंभ हुई। 8:30 बजे श्यामपुर खदरी में स्थानीय साथी श्री राम सिंह को गमछा ओढाकर सम्मानित किया, उनके अनुभव को साझा करने के बाद सबका मूड हुआ की एक कप चाय की चुस्की और होनी चाहिए।
यात्रा शुरू स्थानीय नालंदा स्कूल में पहुंची। वहाँ पर स्कूल के बच्चे पहले से ही तैयार होकर हमारा इंतज़ार कर रहे थे। प्रधानाचार्य श्री विक्रम सिंह नेगी के साथ साथ प्रबन्धक महावीर उपाध्याय ने यात्रा का स्वागत किया। विद्यालय की नन्ही मुन्नी छात्रा रुचि जोशी ने अपनी मधुर आवाज में देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया। सरदार राम सिंह जी ने सामाजिक सद्भाव एवं श्री गुरु नानक देवजी के संबंध में बताया। श्री ईशम सिंह सैनी जी ने कबीर के दोहे सुनाए एवं कुमारी योगिता भट्ट ने सुन्दर कन्ठ से कविता प्रस्तुत की। नाटक की प्रस्तुति विशेष आकर्षण का केंद्र रही। नाटक में नितिन के साथ साथ असद के अभिनय को सबने बहुत सराहा। इसके बाद हम जनगीतों के साथ स्कूल से निकले। जनगीतों की आवाज सुनकर लोग अपने घरों से निकल रहे थे, कुछ लोग उत्सुकता से देख रहे थे और उनकी आँखों में और चेहरों पर कुछ सवाल साफ दिखाई दे रहे थे कि आख़िर ये कौन लोग हैं। कुछ हमारे साथ यात्रा में थोड़ी दूर तक साथ शामिल हो भी रहे थे। यात्रा आगे बढ़ते हुए ललित विहार से ठाकुरपुर खैरी खुर्द में पहुंची। कुछ साथियों से मुलाकात हुई जिसमें हर्षपति सेमवाल, गौतम सिंह नेगी, लाखी राम रतूड़ी, प्रीति पाल रौतेला, विक्रम सिंह रावत, बलूनी आदि लोगों से मुलाकात हुई ।
यात्रा ठाकुरपुर खैरी खुर्द से चलकर रायवाला नेपाली फार्म की ओर चली रास्ते में हरियाली से भरे पेड़-पौधे, ऊंचे-ऊंचेऊंचे पहाड़, जंगल के बीच एक झील दिखाई दी जिसमें मछलियां तैर रही थीं। झील का पानी बिल्कुल मोती की तरह चमक रहा था। प्रकृति की इस तस्वीर को देखकर तन और मन को बहुत सुकून मिल रहा था। दिन भर की थकान क्षणभर में ही मिट गई। सभी ने उस दृश्य को अपने मोबाइल कैमरे में समेटने की कोशिश की, मगर क्या कोई भी प्रकृति की पूरी अनुपम कृति को क़ैद कर सका है ? सभी लोगों ने वहां पर थोड़ी देर विश्राम किया।
यात्रा आगे बढ़ती गई। बीच बीच में डॉ. वी के डोभाल, धर्मानन्द लखेड़ा, हरिओम पाली, और अशोक चौधरी, कुलदीप मधवाल, ओमप्रकाश नूर और असद खान के मोबाइल पर एल आई यू वालों की घंटियां बजती रहीं – कहाँ पर हो, किसके यहाँ जा रहे हो, कहाँ पर रात रुकोगे। जत्था धर्मानन्द की अगवाई में रायवाला स्थित ग्राम पंचायत प्रतीत नगर कार्यालय पहुंची। ग्राम पंचायत के प्रधान अनिल कुमार एवं श्री चित्रवीर छेत्री जी को खादी का गमछा हरिओम पाली ने भेंट किया। तत्पश्चात दोपहर का भोजन किया गया।
यात्रा हरिद्वार के रास्ते गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय पहुंची जहां पर मुद्रिका यादव, जगदीश कुड़ीयाल, विक्रम सिंह नेगी, वीके सिंह, सुनिरका यादव जी से मुलाकात हुई। वहां पर सबने जनगीत गाए। ज़बरदस्त थकान के बाद भी सभी का जोश कम नहीं दिखाई पड़ रहा था। लोगों में उत्साह और उमंग भरी थी। हमारे जनगीतों से प्रोत्साहित होकर वहां के लोग हमारी यात्रा में शामिल होकर हमारे साथ जमालपुर कला के लिए यात्रा में चल पड़े।
जनगीतों और ढपली की थाप पर जमालपुर की ओर बढ़ते हुए रास्ते में गाड़ियों पर जाने वाले लोगों ने हमें प्यार की बातें बताते हुए देखा तो वह लोग भी अपनी गाड़ियों से उतरकर खुद-ब-खुद कुछ कदम हमारे साथ चलने लगे और हम सब का हौसला बढ़ाया। जमालपुर में सहारनपुर के अन्य साथियों श्री सतनाम सिंह, मन्तशा, अफशा, रामकृष्ण भारती जी व जमालपुर से श्री अशोक कुमार, प्रवीण कुमार, मनोज कुमार, ग्राम प्रधान श्री हरेंद्र ,पूर्व प्रधान सुशील राज राणा, कल्याण, पंडित अरुण कुमार जी से हमारी मुलाकात हुई।
यात्रा जमालपुर कला झंडा चौक पर पहुंची। वहां पर इप्टा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. वी के डोभाल ने गमछे से ग्राम प्रधान हरेन्द्र, अशोक चौधरी, प्रवीण कुमार, कल्याण और अरुण कुमार जी का सम्मान किया और जनगीतों व एंटोन चेखव लिखित नाटक ‘गिरगिट‘ की प्रस्तुति सहारनपुर के साथियों ने सतनाम सिंह के निर्देशन में की। एल आई यू के कुछसाथी भी हमारे साथ यात्रा में शामिल रहे। लोगों को आपस में मिलजुल कर रहने के संदेश के साथ जमालपुर में ‘ढाई आखर प्रेम; राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था‘ के उत्तराखंड पड़ाव की दूसरे दिन की यात्रा का समापन हुआ।
रिपोर्ट: असद अली खान, नितिन ढलवान