‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक पदयात्रा की पाँचवी कड़ी थी ओडिशा राज्य। 04 नवम्बर 2023 को कटक शहर में एक दिवसीय पदयात्रा का आयोजन किया गया। इस यात्रा की विशेषता यह थी कि नौ वर्ष के बच्चे से लेकर 92 वर्षीय वयोवृद्ध इप्टा के पुराने सदस्य श्री विवेकानंद दास तक न सिर्फ शामिल हुए, वरन पैदल यात्रा कर उन्होंने लोगों के बीच भाईचारे का संदेश भी दिया।
यह यात्रा इसलिए भी ऐतिहासिक थी कि कटक बहुत-सी इतिहास से जुड़ी सुनहरी यादों वाला शहर है। पदयात्रा की शुरुआत जहाँ से हुई वह स्थान गांधीजी का प्रिय स्थान रहा, जिसे स्वराज आश्रम कहा जाता है। गांधी जी ने कई बार वहाँ आकर स्वराज आंदोलन के लिए लोगों के बीच जन-जागरण किया था। आश्रम से लगा हुआ एक विशाल मैदान है, जिसमें लाखों की संख्या में लोग गांधी जी को सुना करते थे। यात्रा की शुरुआत वहीं से की गई। इसमें आईएससीओएफ, गांधी शांति प्रतिष्ठान, उत्कल सर्वोदय मंडल तथा उत्कल गांधी स्मारक से सहयोग प्राप्त हुआ।
दो वयोवृद्ध साथियों ने बांसुरी की धुन पर ‘सारे जहाँ से अच्छा, हिंदोस्ताँ हमारा’, ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये पीर पराई जाने रे’ तथा गांधी जी का प्रिय भजन ‘रघुपति राघव राजा राम’ गाकर शुभारम्भ किया। उसके बाद इप्टा की राष्ट्रीय समिति के सदस्य तथा छत्तीसगढ़ इप्टा के अध्यक्ष मणिमय मुखर्जी ने कहा, विभिन्न लोक कला प्रदर्शनों के माध्यम से एकता, शांति, एकजुटता और मानवता का संदेश फैलाने के लिए देश के अनेक सांस्कृतिक संगठनों के लोग देश भर में 28 सितम्बर 2023 से 30 जनवरी 2024 तक पदयात्रा कर रहे हैं। संगीत, नाटक और लोक कलाओं ने भारतीय संस्कृति को जीवित रखा है। भारतीय संस्कृति हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई जैसे कई धर्मों और समुदायों के संयोजन से समृद्ध है। इसे संरक्षित करना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है।
पदयात्रा भाषाकोश लेन से होती हुई निमचुड़ी, बालू बाजार, नया सड़क होते हुए अपने अगले पडाव गौरीशंकर राय पार्क पहुँची, जहाँ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं ओडिशा के सुप्रसिद्ध साहित्यकार गौरीशंकर राय, जिन्होंने बांग्ला भाषी होने के वावजूद ओडिया भाषा को राजकीय भाषा दिलाने के लिए संघर्ष किया, उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। स्कूली बालिकाओं ने देशभक्ति गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया। उसका अगला पड़ाव था, दरघा बाजार स्थित ओडिशा के सबसे लोकप्रिय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोपबंधु चौधरी स्मारक का, जिन्होंने अंग्रेजी शासन की खि़लाफ़त में आई सी एस की नौकरी छोड़ स्वतंत्रता आंदोलन में अपनेआप को समर्पित कर दिया। उनको श्रद्धासुमन अर्पित कर वहाँ उपस्थित आम जन को ‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा के उद्देश्य की जानकारी दी गई। यहाँ से पदयात्रा कदमरसुल की ओर बढ़ी।
यहाँ से सांस्कृतिक पदयात्रा का जत्था नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्मस्थली पर पहुँचा। वे यहीं पले-बढ़े़ और यहीं उन्होंने मैट्रिक तक की शिक्षा प्राप्त की। सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया गया। वहाँ परिमोहन आचार्य की प्रतिमा पर भी पुष्पांजलि अर्पित की गई। सोसायटी कार्यालय जाकर उत्कलमणि गोपबंधु और उत्कल गुरुम मधुसूदन की प्रतिमा के सामने श्रद्धांजलि अर्पित की गई। जत्था बारबती किला पहुँचा।
इसके बाद पदयात्रा पहुँची कटक से प्रकाशित होने वाले ऐतिहासिक ‘समाज अखबार’ के कार्यालय में। यह वही जगह है, जहाँ से स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ऐसा अखबार निकलता रहा, जो लोगों को जागरूक करता रहा। गांधीजी भी इस कार्यालय आये थे। आज भी वहाँ ‘समाज अखबार’ का कार्यालय है, जिसका सारा मुनाफा आमजन की सहायता के लिए खर्च किया जाता है और इसका श्रेय पूरी तरह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोपबंधु चौधरी को जाता है, जिन्होंने इसकी स्थापना की थी। उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर वहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
यात्रा के अंतिम पड़ाव में यात्रा पहुँची ऐतिहासिक वारावटी फोर्ट में, जो मुगलों और अंग्रेज़ी शासन की कई यादों को समेटे हुए है। वहाँ इस्कस के वयोवृद्ध साथी ने बांसुरी पर गांधीजी का प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये’ तथा रामधुन बजाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। फिर बच्चों द्वारा देशभक्ति और लोक धुन पर नृत्य प्रस्तुत किया गया। गांधीजी पर एक नाटिका भी प्रस्तुत की गई। अंत में ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक पदयात्रा के ओडिशा राज्य के संयोजक सुशांत महापात्रा ने देश में चल रही यात्रा की जानकारी के अलावा उसके उद्देश्य की जानकारी भी दी एवं सभी साथियों का, कलाकारों का, पुलिस प्रशासन का, लोकल प्रशासन का, प्रेस के साथियों का, छत्तीसगढ़ से आये राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य मणिमय मुखर्जी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने आश्वस्त किया कि देश की एकता और अखंडता के लिए यह ‘ढाई आखर प्रेम’ की पदयात्रा आने वाले दिनों में ओडिशा के विभिन्न हिस्सों में आयोजित की जाएगी।
इस यात्रा में कटक के मेयर सुभाष सिंह, इप्टा के राज्य महासचिव सुशांत महापात्रा, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, इस्कस के विजय पड़िहारी, गांधीवादी न्यायमूर्ति मनोरंजन मोहंती, डॉक्टर विश्वजीत, जयंत कुमार दास, सीपीआई के राज्य सचिव अभय साहू, एटक नेता किशोर जेना, चितरंजन पात्र, प्रसन्ना बेहरा, बैंक कर्मचारी नेता प्रफुल्ल त्रिपाठी, बिपीन बिहारी पाढ़ी, सुबासचंद्र बोस, भ्रमरबर साहू, अमरेंदु मोहंती, विद्याप्रसन्न महापात्रा, शिक्षक नेता विवेकानंद दास, अशोक ता, इंद्रजीत घोष, अनिमा रे, विश्वजीत सूर्यवंशी, बसंत राउत, रबिरंजन साहू, सानंद सेठी, सुकांत बारीक, तपन कुमार स्वाई के अलावा यात्रा का नेतृत्व किया था डॉ. शेख कलीमुल्ला, विजय कुमार मोहंती, अख्तर हुसैन, विजय महापात्र, संपोज सामंत राय, विनोद बेहरा, प्रियोब्रत पटनायक मेजर ने। बैंक यूनियन, शिक्षक यूनियन, सभी प्रगतिशील जन संगठन, इस्कस, गांधी शांति प्रतिष्ठान, एप्सो एवं कई नृत्य की संस्थायें साथ रहीं।
କଟକ,ତା୦୪/୧୧: ବିଭିନ୍ନ ଲୋକକଳା ପ୍ରଦର୍ଶନ ମାଧ୍ୟମରେ ସାଧାରଣ ଜନତାଙ୍କ ମନରୁ ଘୃଣା, ଦ୍ଵେଷ, ଭେଦଭାବ ଦୂର କରି ଏକତା, ଶାନ୍ତି, ସଂହତି ଓ ମାନବିକତାର ବାର୍ତ୍ତା ପ୍ରଚାର କରିବା ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ଗତ ବର୍ଷ ଏପ୍ରିଲ ୨୨ ତାରିଖରୁ ଛତିଶଗଡର ରାୟପୁରରୁ ଢାଇ ଅକ୍ଷର ପ୍ରେମର ସନ୍ଦେଶ ନେଇ ଭାରତୀୟ ଗଣନାଟ୍ୟ ସଂଘ(ଇପଟା) ପକ୍ଷରୁ ଆରମ୍ଭ ହୋଇଥିବା ରାଷ୍ଟ୍ରୀୟ ସାଂସ୍କୃତିକ ପଦଯାତ୍ରା ଆଜି କଟକଠାରେ ପହଞ୍ଚିଛି । କଟକ ସ୍ଵରାଜ୍ୟ ଆଶ୍ରମଠାରେ ଇପଟାର ରାଷ୍ଟ୍ରୀୟ ସାଧାରଣ ସମ୍ପାଦକ ମଣିମୟ ମୁଖାର୍ଜୀ ଆମ ରାଜ୍ୟରେ ଏହି ପଦଯାତ୍ରାକୁ ଶୁଭାରମ୍ଭ କରି କହିଲେ ଯେ,ସଙ୍ଗୀତ, ନାଟକ, ଲୋକକଳା ଭାରତୀୟ ସଂସ୍କୃତିକୁ ବଞ୍ଚାଇ ରଖିଛି । ହିନ୍ଦୁ ମୁସଲମାନ,ଶିଖ, ଇସାଇ ଭଳି ଅନେକ ଧର୍ମ ଓ ସମ୍ପ୍ରଦାୟର ସମଷ୍ଟିରେ ହିଁ ଭାରତୀୟ ସଂସ୍କୃତି ପୁଷ୍ଟ ହୋଇଛି । ଏହାକୁ ବଞ୍ଚାଇ ରଖିବା ପ୍ରତିଟି ଭାରତୀୟର କର୍ତ୍ତବ୍ୟ ।
ଇସକଫ, ଗାନ୍ଧୀ ଶାନ୍ତି ପ୍ରତିଷ୍ଠାନ, ଉତ୍କଳ ସର୍ବୋଦୟ ମଣ୍ଡଳ ଓ ଉତ୍କଳ ଗାନ୍ଧୀ ସ୍ମାରକ ନିଧିର ସହଯୋଗରେ ସ୍ଵରାଜ୍ୟ ଆଶ୍ରମରୁ ଆରମ୍ଭ ହୋଇ ଏହି ପଦଯାତ୍ରା ଭାଷାକୋଷ ଲେନ ଦେଇ ନିମଚଉଡି, ବାଲୁ ବଜାର, ନାୟାସଡକ ଦେଇ ଗୌରୀଶଙ୍କର ପାର୍କଠାରେ ପହଞ୍ଚି କବିବର ରାଧାନାଥ ରାୟ ଓ କର୍ମବୀର ଗୌରୀଶଙ୍କର ରାୟଙ୍କ ପ୍ରତିମୂର୍ତ୍ତିରେ ପୁଷ୍ପମାଲ୍ୟ ପ୍ରଦାନ କରାଯାଇଥିଲା । ସେଠାରୁ ବାହାରି ଦରଘା ବଜାରଠାରେ ପୁଣ୍ୟାତ୍ମା ଗୋପବନ୍ଧୁ ଚୌଧୁରୀଙ୍କ ପ୍ରତିମୂର୍ତ୍ତିରେ ପୁଷ୍ପମାଲ୍ୟ ଦେଇ ସେଠାରୁ ପଦଯାତ୍ରା କଦମରସୁଲ ଠାରେ ପହଞ୍ଚିଥିଲା। ସେଠାରୁ ନେତାଜୀ ସୁଭାଷ ଚନ୍ଦ୍ର ବୋଷଙ୍କ ବାସଭବନ ହୋଇ, ପ୍ୟାରିମୋହନ ଆଚାର୍ଯ୍ୟଙ୍କ ପ୍ରତିମୂର୍ତ୍ତିରେ ପୁଷ୍ପମାଲ୍ୟ ଦେଇ ସମାଜ କାର୍ଯ୍ୟାଳୟରେ ଉତ୍କଳମଣି ଗୋପବନ୍ଧୁଙ୍କୁ ସମ୍ମାନ ପ୍ରଦର୍ଶନ ପୂର୍ବକ ଉତ୍କଳ ଗୌରବ ମଧୁସୂଦନଙ୍କ ପ୍ରତିମୂର୍ତ୍ତି ଦେଇ ବାରବାଟୀ ଦୁର୍ଗ ପରିସରରରେ ଯାତ୍ରା ପହଞ୍ଚିଥିଲା । ଗୁରୁ ଆଶୀଷ ଦାସ, ଅନିମା ସାମନ୍ତରାୟ ଓ ନୃସିଂହ ଚରଣ ସାହୁଙ୍କ ତତ୍ତ୍ଵାବଧାନରେ ପାୟଲ ଓ ଓଡିଶୀ ନୃତ୍ୟ ମଣ୍ଡଳ ପକ୍ଷରୁ ସହରର ବିଭିନ୍ନ ସ୍ଥାନରେ ଦେଶାତ୍ମବୋଧକ ନୃତ୍ୟ ଓ ସଙ୍ଗୀତ ପ୍ରଦର୍ଶନ କରାହୋଇଥିଲା ।
କଟକର ମେୟର ସୁଭାଷ ସିଂହ, ଇପଟାର ରାଜ୍ୟ ସମ୍ପାଦକ ସୁଶାନ୍ତ ମହାପାତ୍ର, ଇସକଫର ବିଜୟ ପଢିଆରୀ, ଗାନ୍ଧୀବାଦୀ ଜଷ୍ଟିସ ମନୋରଞ୍ଜନ ମହାନ୍ତି, ଡାକ୍ତର ବିଶ୍ଵଜିତ, ଜୟନ୍ତ କୁମାର ଦାସ, ସିପିଆଇର ରାଜ୍ୟ ସମ୍ପାଦକ ଅଭୟ ସାହୁ, ଏଆଇଟିୟୁସି ନେତା କିଶୋର ଜେନା, ଚିତ୍ତ ରଞ୍ଜନ ପାତ୍ର, ପ୍ରସନ୍ନ ବେହେରା, ବ୍ୟାଙ୍କ କର୍ମଚାରୀ ନେତା ପ୍ରଫୁଲ୍ଲ ତ୍ରିପାଠୀ, ବିପିନ ବିହାରୀ ପାଢୀ, ସୁବାସ ଚନ୍ଦ୍ର ବୋଷ, ଭ୍ରମରବର ସାହୁ, ଅମରେନ୍ଦୁ ମହାନ୍ତି,ବିଦ୍ୟାପ୍ରସନ୍ନ ମହାପାତ୍ର, ଶିକ୍ଷକ ନେତା ବିବେକାନନ୍ଦ ଦାଶ,ଅଶୋକ ତା, ଇନ୍ଦ୍ରଜୀତ ଘୋଷ, ଅନିମା ରାୟ, ବିଶ୍ଵଜିତ ସୂର୍ଯ୍ୟବଂଶୀ, ବସନ୍ତ ରାଉତ, ଡା ରବିରଞ୍ଜନ ସାହୁ, ସାନନ୍ଦ ସେଠୀ,ସୁକାନ୍ତ ବାରିକ,ତପନ କୁମାର ସ୍ଵାଇଁ,ଡ ସେକ କଲିମୁଲ୍ଲା, ବିଜୟ କୁମାର ମହାନ୍ତି, ଅଖତାର ହୁସେନ,ବିଜୟ ମହାପାତ୍ର, ସଂଯୋଜ ସାମନ୍ତରାୟ,ବିନୋଦ ବେହେରା, ପ୍ରିୟବ୍ରତ ପଟ୍ଟନାୟକ ପ୍ରମୁଖ ଏହି ପଦଯାତ୍ରାର ନେତୃତ୍ଵ ନେଇଥିଲେ । ଦେଶର ଏକତା ଓ ଅଖଣ୍ଡତା ପାଇଁ ଆଗାମୀ ଦିନରେ ଓଡିଶାର ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରାନ୍ତରେ ଏହି ପଦଯାତ୍ରା ଆୟୋଜନ କରାଯିବ ।
Report: Sushanta Mohapatra, Manimay Mukherjee