Categories
Daily Update Report

फ़िराक़ गोरखपुरी के आवास और प्रेमचंद की कार्यस्थली पहुंची ढाई आखर प्रेम यात्रा

English | हिंदी

03/12/2023 ( रविवार) | गोरखपुर | उत्तर प्रदेश की प्रादेशिक सांस्कृतिक यात्रा

हमन को इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या?
रहें आज़ाद या जग में, हमन दुनिया से यारी क्या?
कबीरा इश्क का माता, दुई को दूर कर दिल से,
जो चलना राह नाज़ुक है, हमन सिर बोझ भारी क्या?

– कबीर दास

महान संत गुरु गोरखनाथ और अर्न्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सूफ़ी हजरत रोशन अली शाह की कर्मभूमि, सांप्रदायिक एकता और सौहार्द की सरज़मीं गोरखपुर में कबीर पद की इन पंक्तियों ने समा बांध दिया। मौका था भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के आह्वान पर निकाली जा रही देशव्यापी ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय संस्कृतिक यात्रा की कड़ी में इप्टा गोरखपुर और ढाई आखर प्रेम संस्कृतिक यात्रा आयोजन समिति, गोरखपुर के संयुक्त तत्वावधान में निकाली गयी उत्तर प्रदेश की प्रादेशिक सांस्कृतिक पदयात्रा।

सांस्कृतिक पदयात्रा का आरंभ विश्व विख्यात उर्दू शायर फ़िराक़ गोरखपुरी के आवास से हुआ। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार एवं संस्कृतिकर्मी राघवेंद्र दुबे ‘भाऊ’ ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि कबीर की पंक्ति – “ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होए” में मैं परिवर्द्धन करना चाहता हूं – जिसमें प्रेम की तहज़ीब, प्रेम का सलीका या प्रेम की सलाहियत और जिसे प्रेम से जीना आ गया उसे मनुष्य होना भी मयस्सर हो गया।

संस्कृति कर्मी भाऊ के शब्दों में कहें तो यह पदयात्रा भावनात्मक स्तर पर, जीवन मूल्यों के स्तर पर एक मुकम्मल मनुष्य की रचना का हिस्सा है। इसी क्रम में मशहूर भोजपुरी कवि एवं पूर्व कार्यक्रम अधिशासी आकाशवाणी, गोरखपुर रवीन्द्र श्रीवास्तव ‘ जुगानी’ ने अपने संबोधन में कहा कि यह आयोजन ख़ासकर उस समय जब संवादहीनता, पारस्परिक संवादहीनता गहरी होती जा रही है और व्यक्ति-व्यक्ति से कटता जा रहा है। हर आदमी एक आइसोलेशन का शिकार होता जा रहा है – ऐसे में यह आयोजन बहुत ही सामयिक और ज़रूरी है, ताकि आदमी और आदमी के बीच एक भावनात्मक सहकार बन सके।

तदोपरांत यह सांस्कृतिक यात्रा शहर के विभिन्न मोहल्लों, चौराहों से गुज़रती हुई अपने अंतिम पड़ाव कथा सम्राठ प्रेमचंद पार्क पहुंची। जहां पर इप्टा के वरिष्ठ साथी एवं जन गायक शैलेंद्र निगम ने जन गीत और कबीर के पदों की अपनी शानदार गायकी से ऐसा समां बांध दिया, माहोल जोश और उत्साह से लबरेज़ हो गया। इप्टा गोरखपुर के साथियों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों की समारोह स्थल पर उपस्थित लोगों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की।

उल्लेखनीय है कि यात्रा में चिन्हित पड़ाव अपने आप में तमाम सांस्कृतिक व ऐतिहासिक स्मृतियों को समेटे हुए है. यथा यात्रा की शुरुआत फिराक गोरखपुरी के आवास से सटा हुआ रावत पाठशाला से हुई जहाँ से उर्दू,अंग्रेजी और हिंदी के विश्व स्तर के कथाकार शायर फिराक गोरखपुरी और प्रेमचंद ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी. यात्रा का समापन वर्तमान में प्रेमचंद पार्क जो अपने नौकरी के दिनों में प्रेमचंद का आवास रहा है, सिर्फ उनके अपने प्रवास के दिनों का सिर्फ़ एक रिहाइश गाह ही नहीं बल्कि यहीं पर ईदगाह, नमक का दरोगा, दो बैलों की जोड़ी, आदि कालजयी कहानियों की रचना का गवाह भी है।

यात्रा में इप्टा के क्षेत्रीय सचिव एवं स्थानीय यात्रा संयोजक डॉ. मुमताज़ ख़ान, वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र दुबे ‘भाऊ’, प्रख्यात भोजपुरी कवि रविंद्र श्रीवास्तव ‘जुगानी’, कवि एवं प्रलेस प्रांतीय मीडिया प्रभारी वीरेंद्र मिश्र ‘दीपक’, प्रांतीय सचिव प्रलेस कलीमुल हक, इप्टा की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य धर्मेंद्र नरायण दुबे ‘टाटा’, मुकेश श्रीवास्तव, शैलेंद्र निगम, प्रियंका दुबे, प्रीति प्रियांशी, कुसुम कुमारी, प्रभात सिंह, विनोद चंद्रेश, उमेश चंद्र मिश्र रंजय कुमार दुबे, डॉ. अजय राय एवं भरत शर्मा आदि सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

रिर्पोट – शहज़ाद रिज़वी

Spread the love
%d bloggers like this: