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‘ढाई आख़र प्रेम’ का नारा – प्यार मोहब्बत भाईचारा

| उत्तराखंड में ढाई आखर प्रेम सांस्कृतिक जत्थे का तीसरा दिन |

उत्तराखंड राज्य में ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक पदयात्रा के तीसरे दिन 02 नवम्बर 2023 की सुबह जमालपुर में साथी अशोक चौधरी के निवास पर नाश्ता करने के बाद गाँव की गलियों में जनगीत गाते हुए जत्था ज्वालापुर की ओर बढ़ा। ज्वालापुर हरिद्वार ज़िले से सटा हुआ एक छोटा-सा कस्बा है। रानीपुर बी एच ई एल के नज़दीक होने के कारण यह एक अच्छा ख़ासा व्यावसायिक केंद्र बना हुआ है। आसपास के कस्बों का मुख्य बाजार भी ज्वालापुर ही है। यहाँ के बाज़ार के बीच से जन गीत गाते और ‘ढाई आख़र प्रेम’ का नारा ‘प्यार मोहब्बत भाईचारा ज़िंदाबाद’ के नारों के साथ जत्था आगे बढ़ता रहा।

ज्वालापुर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी तय करके जत्था बहादराबाद पहुँचा। साथी विजय पाल की अगुवाई में मुख्य चौराहों पर रुक कर कुछ गीत गाये गये और आसपास उपस्थित लोगों को फोल्डर बाँटे गये।

अशोक चौधरी जी के आवास पर जमालपुर में

पिछले तीन दिनों की पदयात्रा की थकावट अब जत्थे के साथियों के हावभाव से साफ महसूस की जा सकती थी, लेकिन जोश वही पहले दिन वाला बना हुआ था। आज सभी लोग अपने जोश को और अधिक बनाए रखना चाह रहे थे क्योंकि जत्थे में कुछ ही देर के बाद राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा शामिल होने वाले थे। साथी हरिओम पाली, डॉ वी के डोभाल, सतनाम सिंह, धर्मानंद लखेड़ा, असद अहमद, विजय पाल सिंह, जगदीश कुड़ियाल, अतुल गोयल, सचिन, असद अली खान, नितिन, मन्तशा, अफ्शा, रामकिशन भारती, कुलदीप मधवाल तथा जमालपुर से ही यात्रा में शामिल हुए नासीर अहमद कलियर शरीफ के नज़दीक ही धनोरी गाँव पहुँचे।

धनोरी में लखनऊ से आए हुए इप्टा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा जत्थे में शामिल हुए। सभी ने उनका ज़ोरदार स्वागत किया। धनोरी में स्थित नेशनल इंटर कॉलेज के बाहर रुक कर जत्थे के साथियों ने जनगीत गाए। इंटर कॉलेज के बच्चों ने भी गीतों में अपनी आवाज़ मिलाई। राकेश वेदा ने वहाँ एकत्रित भीड़ को ‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इप्टा का यात्राओं का एक लंबा इतिहास रहा है। इप्टा का नामकरण भी देश के महान वैज्ञानिक डॉक्टर होमी जहाँगीर भाभा ने किया था। देश में आज़ादी के मतवालों की संख्या अधिक नही थी। किसी भी बड़े बदलाव के लिये बड़े संख्या बल की ज़रूरत नहीं होती। ज़रूरत होती है उसके प्रति जज़्बे की, लगन की और ईमानदारी की। सरदार भगत सिंह के साथ आज़ादी की लड़ाई में बहुत लोग नहीं थे। नानक, कबीर, स्वामी विवेकानंद, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली का इतिहास बताता है कि वे सब अकेले ही थे।

कलियर शरीफ में IPTA के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्य्क्ष राकेश वेदा

धनोरी से चलकर पदयात्रा पिरान कलियर शरीफ की ओर रवाना हुई। दरगाह पहुँच कर सबने दोपहर के लंगर में सम्मिलित होकर भोजन किया, जिसका इंतज़ाम दरगाह के लंगर इंचार्ज जनाब सलीम साहब ने किया था। यहीं पर जत्थे में लखनऊ से लिटल इप्टा के साथ आये साथी ओम प्रकाश नदीम, दीपक और ओमप्रकाश नूर भी शामिल हुए।

नई बस्ती पिरान कलियर शरीफ में पहुँच कर जनगीत गाए गए एवं इप्टा सहारनपुर द्वारा नुक्कड़ नाटक ‘गिरगिट’ प्रस्तुत किया गया। समाजसेवी श्री मुस्तफा त्यागी को गमछा ओढ़ाकर राकेश वेदा ने सम्मानित किया। श्रीमती अकबरी को इप्टा सहारनपुर की साथी मन्तशा ने गमछा ओढ़ाकर सम्मानित किया। राकेश वेदा ने इस यात्रा के बारे में बताया और कहा कि यहाँ सब तरफ साबिर लिखा है, लेकिन हमें ये पता होना चाहिए कि आखि़र साबिर कौन थे? उन्होंने लोगों से बातचीत करते हुए कहा कि हम सब आप सबसे मिलने के लिए निकले हैं, दूरियों को कम करने के लिए आए हैं, एकता और समानता का संदेश है हमारे पास, समानता और न्याय की बात का पैगाम हम देना चाहते हैं। आइये, सब मिलजुल कर एक नई सुंदर दुनिया बनाते हैं।

रात को विश्राम से पहले राकेश वेदा ने यात्रा में शामिल सभी साथियों के साथ, खासकर युवाओं के साथ अभिनय की बारीकियों और संगठन के बारे में चर्चा की।

रिपोर्ट – असद अली खान, नितिन

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