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‘मेला गदरी बाबेयां दा’ में पंजाब की ‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रा का समापन

पंजाब के कपूरथला की आरसीएफ कॉलोनी में ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक यात्रा का पाँचवें दिन का कार्यक्रम शाम छः बजे आयोजित किया गया था। चंडीगढ़ इप्टा के अध्यक्ष बलकार सिंह सिद्धू ने यात्रा का उद्देश्य प्रस्तुत किया। उसके पश्चात जनगीतों के साथ पदयात्रा शुरू की गई, जो शाम सात बजे दीप सिंह नगर पंचायत घर कपूरथला पहुँची। यहाँ पंजाब की लोकसंस्कृति और इतिहास पर आधारित रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का आरंभ हुआ पंजाब के लोक नृत्य से। लूडी भांगड़ा की शानदार प्रस्तुति इप्टा चंडीगढ़ के बलकार सिंह सिद्धू के निर्देशन में हुई, जिसमें सहयोग रहा के एन एस सेखों का। उसके बाद ‘भगत सिंह की घोड़़ी’ नृत्य नाटिका की प्रस्तुति हुई। इसमें रंजीत गमनू, दीपक नाहर, बीबा कलवंत, बबीत, अवतार, कलविंदर कौर ने शानदार अभिनय किया।

अगली नाट्य-प्रस्तुति थी आज़ाद रंगमंच की ‘असल खुमारी नाम दी’ नाटक की। दीपक नाहर, बीबा कलवंत, रंजीत बंसल, बबीत, अवतार, कुलविन्दर कौर ओर अगम दीप ने नाटक में हिस्सेदारी दर्ज की। यहाँ एक नया प्रयोग किया गया। छत्तीसगढ़ के नाचा-गम्मत लोकशैली के नाटक ‘ढाई आखर प्रेम’ में छत्तीसगढ़ी लोक कलाकारों के साथ पंजाब के कलाकार ने अभिनय किया।

उसके बाद पदयात्रियों का सरोपा तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया। वरिष्ठ रंगकर्मी तालिब मोहम्मद ने सभा को संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन इंद्रजीत रूपोवाली ने किया। जसप्रीत कौर (जिला भाषा अधिकारी), सरदार सज्जन सिंह, डॉ. हरभजन सिंह (अध्यक्ष इप्टा कपूरथला) कश्मीर बजरौर, सनी मसीह, सरपंच रुपिन्दर कौर, सरबजीत रूपोवाली, आंचल नाहर आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।

‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक पदयात्रा के अंतिम दिन जालंधर के देश भगत यादगार हॉल में 30 अक्टूबर से 01 नवम्बर तक आयोजित 31 वें ‘मेला गदरी बाबेयां दा’ में जत्थे के साथी पहुँचे। उल्लेखनीय है कि ‘गदरी मेला’ स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गदरी पार्टी के क्रांतिकारियों की याद में आयोजित किया जाता है। गदर पार्टी की स्थापना 1913 में अमेरिका में हुई थी। इसके अध्यक्ष बाबा सोहन सिंह भकना थे। इस वर्ष का मेला उनके 150 वें जन्मदिन को समर्पित था। ‘गदर पार्टी’ एक देशभक्त और धर्मनिरपेक्ष पार्टी थी, जिसके सदस्य तारकनाथ दास, विष्णु गणेश पिंगले, मौलवी बरकतुल्लाह जैसे लोग थे। इन लोगों की स्मृति में प्रति वर्ष यह उत्सव मनाया जाता है। इसमें पंजाब के सपूतों भगत सिंह, उधम सिंह तथा करतार सिंह सरापा को भी याद किया जाता है। ब्रिटिश साम्राज्य के विरोध में विदेशों में रहने वाले भारतीय लोगों द्वारा शुरु किये गये इस गदर आंदोलन को रात-दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से श्रद्धांजलि दी जाती है। यह पूरी तरह श्रमजीवियों को समर्पित मेला होता है। इस मेले का एक बहुत बड़ा हिस्सा किताब प्रदर्शनी का होता है, जिसमें बड़ी संख्या में किताबों के स्टॉल लगते हैं, और हज़ारों किताबें खरीदी जाती हैं।

गदरी बाबों के इस प्रसिद्ध तीन दिवसीय मेले के अवसर पर मुख्य मंच पर 01 नवम्बर की शाम को ’ढाई आखर प्रेम’ जत्था के ‘ढाई आखर प्रेम’ छत्तीसगढ़ी गम्मत की प्रस्तुति हुई।

इस अवसर पर सुखदेव सिंह सिरसा (प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव), विनीत तिवारी (प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव), सुरजीत जज (पंजाब प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष), संजीवन सिंह (पंजाब इप्टा अध्यक्ष), इंद्रजीत रूपोवाली (पंजाब इप्टा महासचिव), बलकार सिद्घू (चंडीगढ़ इप्टा अध्यक्ष), के एन एस सेखों (महासचिव इप्टा चंडीगढ़), दीपक नाहर, सरबजीत रूपोवाली, बीबा कुलवंत, रंजीत गमनू, कुलविंदर कौर और ए आई एस एफ के साथी तथा अन्य संगठनों के साथी पदयात्रा एवं नुक्कड़ नाटक प्रस्तुति के दौरान उपस्थित थे।

रिपोर्ट – निसार अली

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