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उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में प्रेम और आपसी भाईचारे की लहरें

रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश पड़ाव

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समाज में प्रेम, भाईचारा और सामाजिक सद्भाव बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्तर पर अनेक सांस्कृतिक-सामाजिक संस्थाओं द्वारा ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक पदयात्रा 18 नवंबर 2023 से उत्तर प्रदेश में प्रारंभ की गई। यह ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक पदयात्रा का सातवाँ राज्य है।

18 नवम्बर 2023 शनिवार

बुंदेलखंड के जनपद जालौन में इस राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा का प्रारंभ आजादी के उन महानायकों को याद करते हुए प्रारंभ हुआ, जिन्होंने 1857 की क्रांति में न सिर्फ अपना बलिदान दिया बल्कि अंग्रेजों को अपने शौर्य और पराक्रम से लोहे के चने चबाने को मजबूर कर दिया। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और उनके अनन्य साथी तात्या टोपे की कर्मभूमि कहे जाने वाले जालौन के चुर्खी गांव से प्रारंभ हुई यात्रा ने दिन भर आधा दर्जन से अधिक गांवों में पहुंचकर वहां की संस्कृति और ऐतिहासिक तथ्यों को खंगाल कर सामाजिक चेतना बढ़ाने की दिशा में लोगों को प्रेरित किया। ‘एकता’ के लोक कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक, दिवारी नृत्य आदि कई प्रस्तुतियों से ग्रामीणों में संस्कृति और इतिहास के महत्व को रेखांकित किया।

उत्तर प्रदेश इप्टा की अगुवाई में ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा की शुरुआत बुंदेलखंड के जालौन जिले के ऐतिहासिक ग्राम चुर्खी से प्रारंभ हुई। इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा, राज्य के महासचिव एवं प्रदेश यात्रा समन्वयक शहज़ाद रिज़वी तथा स्थानीय यात्रा संयोजक देवेंद्र शुक्ला सहित लखनऊ और छत्तीसगढ़ से आए इप्टा कलाकारों का जत्था प्रातः 9 बजे ग्राम चुर्खी पहुंचा। बताया तो यह भी जाता है कि चुर्खी में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से युद्ध करते वक्त यहां एक दिन विश्राम भी किया था। उसके बाद वह ग्वालियर पहुंची थीं। मराठा परिवार के वंशज और चुर्खी निवासी अरुण कुमार ने जत्थे को उस स्थान के संदर्भ में जानकारियाँ देते हुए बताया कि आज भी वह कमरा अपने मूल रूप में है, जहां रानी लक्ष्मीबाई ने रात्रि विश्राम किया था। इसके अलावा और कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की गईं। ग्राम चुर्खी में कई स्मारकों का भ्रमण करने के दौरान जत्थे के सदस्यों ने कंपोजिट विद्यालय में पहुंचकर वहां छात्र-छात्राओं से विभिन्न प्रकार की जानकारियां साझा कीं और इस दौरान कलाकारों द्वारा गीतों के माध्यम से अपनी संस्कृति और इतिहास को बनाए रखने के साथ-साथ समाज को प्रेम, भाईचारे और सुख-समृद्धि की ओर ले जाने का संदेश दिया। इस दौरान वहां आजादी के सपूतों के चित्रों पर माल्यार्पण भी किया गया।

तात्या टोपे के वंशज अरुण कुमार को सम्मानित करते हुए इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना

इसके पश्चात जत्था ग्राम रनिया पहुंचा, जहां ग्राम प्रधान नन्हें ने जत्थे का स्वागत किया। इस दौरान ग्राम रनिया में ग्रामीणों से पता चला कि गांव के ही एक युवा रवि कुशवाहा की दुर्घटना में मृत्यु हुई है, सो जत्थे ने उस युवक को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए 2 मिनट का मौन धारण किया। उसके बाद जत्था ग्राम सोहरापुर अदा पहुंचा, जहां कंपोजिट विद्यालय में शिक्षक-शिक्षिकाओं-बच्चों तथा ग्रामीणों की मौजूदगी में दिवारी नृत्य और नाटक प्रस्तुत किए गए। इसी क्रम में ग्राम रनिया, वेदेपुर, बिनौरा वेद, ककहरा होते हुए सांस्कृतिक यात्रा ग्राम ओंता पहुंची, जहां पूर्व ग्राम प्रधान राजपाल सिंह ने यात्रा में शामिल लोगों का स्वागत किया। इस दौरान देर शाम तक कलाकारों द्वारा दिवारी नृत्य और अन्य कई कार्यक्रमों की खूबसूरत प्रस्तुतियाँ की गईं जिन्हें ग्रामीणों ने भारी उत्साह से देखा।

सांस्कृतिक जत्थे में इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा, प्रदेश यात्रा समन्वयक एवं राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी के अतिरिक्त स्थानीय यात्रा संयोजक देवेंद्र शुक्ला, राज पप्पन सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी, डॉ धर्मेंद्र कुमार, डॉ सुभाष चंद्र, दीपेन्द्र सिंह, निशा वर्मा, अमजद आलम, संजीव गुप्ता, प्रीती गुप्ता, नेहा, मेहरताज, लखनऊ इप्टा के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव, क्षेत्रीय सचिव एवं संयोजक लिटिल इप्टा लखनऊ सुमन श्रीवास्तव, सोनी यादव, बबिता यादव, अंजली सिंह, दामिनी, इप्टा लखनऊ से इच्छा शंकर, विपिन मिश्रा, वैभव शुक्ला, तन्मय, हर्षित शुक्ला, हनी खान, अंकित यादव, प्रदीप तिवारी और इप्टा के अन्य सदस्य मौजूद रहे। छत्तीसगढ़ इप्टा से (नाचा-गम्मत) निसार अली, देव नारायण साहू, आलोक बेरिया सहित स्थानीय लोक कलाकार (दिवारी नृत्य) डा० पुनीत तिवारी, शैलेन्द्र यादव, जीतू यादव, दीपू यादव, अमित यादव, कृष्णा यादव, शिवम यादव, अर्जुन कुशवाहा, संजय यादव, प्रांशु यादव सहित बड़ी संख्या में ग्रामवासियों ने शिरकत की।

19 नवम्बर 2023 रविवार

’ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के उत्तर प्रदेश चैप्टर के अंतर्गत ग्राम औंता में रात्रि विश्राम के बाद दूसरे दिन 19 नवम्बर 2023 को सुबह के सूर्योदय के साथ सर्वप्रथम जत्थे में शामिल लोगों ने सबसे पहले अपने विश्राम-स्थल की साफ सफाई की। इसी दौरान पूर्व ग्राम प्रधान राजपाल सिंह और उनके परिवार जनों ने यात्रा में शामिल लोगों को नाश्ते में चाय और गरम गरम पोहा खिलाया। उनके स्वागत-सत्कार का भाव इतना समर्पित और सेवा-भाव लिए हुए था कि जत्थे में शामिल सभी लोग गदगद हो गए। उसके बाद जत्था गांव के भ्रमण के लिए पूरे उत्साह और जोश के साथ निकला। गांव के भीतर के टेढ़े-मेढ़े रास्तों से गुजरते हुए जब जत्था चौराहेनुमा स्थान पर पहुंचा तो वहां बच्चों और महिलाओं ने बड़ी संख्या में आकर कौतूहल के साथ कलाकारों की गतिविधियों को देखा। ग्रामवासी अनिल सिंह, विजयपाल सिंह, देवेंद्र अरुण सिंह, अनुज सिंह पवन आदि ने जत्थे के साथ-साथ चलकर अपनी सहभागिता दी, वहीं महिलाओं और बच्चों ने कलाकारों द्वारा प्रस्तुत लोकगीत और गांधी के गीतों को बड़े चाव से सुना।

इसके बाद जत्था ग्राम गुढ़ा में छत्तीसगढ़ के ’नाचा गम्मत’ शैली के कलाकार निसार अली, आलोक बेरिया और देवनारायण साहू के द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटिका ‘दमा दम मस्त कलंदर’ और लखनऊ इप्टा के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत ’गिरगिट’ नाटक के मंचन ने गांव की फिज़ा बदल दी, जब बड़ी संख्या में बच्चे, महिलाएं और गांव के बुजुर्ग चौराहे पर प्रस्तुतियां देखने के लिए उमड़े और उन्होंने हर एक प्रस्तुति पर जमकर तालियां बजाकर कलाकारों का उत्साहवर्धन तो किया ही, साथ ही साथ जब उनसे पूछा गया कि उन्हें इस यात्रा से क्या महसूस हुआ तो कुछ लोगों का कहना था कि इस यात्रा में शामिल लोगों ने उन्हें जो संदेश दिया है वह बेहद ही प्रभावशाली है। यह यात्रा देश और समाज को भाईचारे और एकता की भावना से जोड़ती है।

रंगारंग कार्यक्रमों के आयोजन के उपरांत यात्रा का जत्था अगले गांव की ओर कूच कर गया। सड़क पर शहीदों के नारे एक बार फिर से आने-जाने वाले लोगों को अपनी और स्वाभाविक ढंग से आकर्षित करने लगे। यात्रा में शामिल लोगों में थकान के बावजूद भी उत्साह बरकरार दिखाई दिया। जत्था ग्राम चक जगत देवपुर में विशाल वट वृक्ष के नीचे पहुँचा। यात्रा का स्वागत करने के लिए महेंद्र कुमार गौतम अध्यक्ष रामो बामो क्लब, कालपी के ग्राम प्रधान, किरतपुर व्यास मंदिर के पवन निषाद, नरेंद्र कुमार तिवारी अध्यक्ष कागज उद्योग कालपी के द्वारा जत्थे में शामिल लोगों को भोजन कराया गया। इस बीच यात्रा में शामिल पदाधिकारियों और ग्रामीणों के बीच परस्पर बातचीत की गई। लिटिल इप्टा के कलाकारों ने लोक शैली पर आधारित गीत और भजन प्रस्तुत कर वहां के लोगों में उत्साह भर दिया। छत्तीसगढ़ के कलाकार यहां भी अपना दबदबा कायम करने में कामयाब रहे और उन्होंने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दीं। ग्राम चक जगत देवपुर निवासी रामशंकर पाल चक्की वाले ने बताया कि उन्हें पहली बार इस तरह की यात्रा गांव में देखने को मिली, जिसमें एकता और भाईचारे की भावना के बीच राष्ट्रप्रेम को दर्शाया गया है। उनका कहना था कि इसका असर ग्रामीणों पर सहज भाव से पड़ा है।

‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के दूसरे दिन का रात्रि पड़ाव जिला मुख्यालय उरई में विभिन्न कार्यक्रमों के बाद कोच रोड में किया गया। इससे पूर्व जत्थे में शामिल यात्रा के सहभागियों ने नगर के विभिन्न स्थानों पर भ्रमण करते हुए शहीदों के स्मारक स्थलों पर पुष्प अर्पित किए। जिला परिषद समिति स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के पश्चात पटेल की प्रतिमा और फिर आंबेडकर चौराहे पर स्थित डॉ भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण किया गया। तत्पश्चात नगर के मध्य स्थित गांधी चबूतरे पर कलाकारों द्वारा दिवारी नृत्य प्रस्तुत किया गया। इसके अलावा विभिन्न लोक शैली पर आधारित गीत प्रस्तुत कर एकता, भाईचारे और प्रेम का संदेश दिया गया। इसी क्रम में जत्था शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के स्मारक स्थल पर पहुंचा, जहां ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ की गूंज ने माहौल में जमकर जोश और उत्साह भर दिया। यहां शहीदों के नारे और गीतों की गूंज के बीच जत्थे ने नगर के कोच बस स्टैंड के समीप स्थित झलकारी बाई के स्मारक स्थल पर पुष्प अर्पित करने के उपरांत दूसरे दिन का रात्रि विश्राम लिया।

सांस्कृतिक पदयात्रा के दूसरे दिन इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा, प्रदेश यात्रा समन्वयक एवं राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी के अतिरिक्त स्थानीय यात्रा संयोजक देवेंद्र शुक्ला, राज पप्पन, सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य ओमप्रकाश नदीम, उत्तराखंड इप्टा से ओम प्रकाश नूर, आगरा के क्षेत्रीय सचिव डॉ योगेश शर्मा, मथुरा इप्टा के सचिव विजय शर्मा, डॉ धर्मेंद्र कुमार, डॉ सुभाष चंद्र, दीपेन्द्र सिंह, निशा वर्मा, अमजद आलम, संजीव गुप्ता, प्रीति गुप्ता, नेहा, लखनऊ इप्टा के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव, क्षेत्रीय सचिव एवं संयोजक लिटिल इप्टा लखनऊ की सुमन श्रीवास्तव, सोनी यादव, बबिता यादव, अंजली सिंह, दामिनी, इप्टा लखनऊ से इच्छा शंकर, विपिन मिश्रा, वैभव शुक्ला, तन्मय, हर्षित शुक्ला, हनी खान, अंकित यादव, प्रदीप तिवारी और इप्टा के अन्य सदस्य मौजूद रहे। छत्तीसगढ़ इप्टा से नाचा गम्मत के साथी निसार अली, देव नारायण साहू, आलोक बेरिया सहित दिवारी नृत्य के स्थानीय लोक कलाकार डा० पुनीत तिवारी, शैलेन्द्र यादव, जीतू यादव, दीपू यादव, अमित यादव, कृष्णा यादव, शिवम यादव, अर्जुन कुशवाहा, संजय यादव, प्रांशु यादव सहित बड़ी संख्या में ग्रामवासियों ने शिरकत की।

20 नवम्बर 2023 सोमवार

कपड़ों में पैबंद लगे हैं, तलवारें भी टूटी हैं
फिर भी दुश्मन कांप रहा है आखिर लश्कर किसका है

उत्तर प्रदेश इप्टा की अगुवाई में ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के तीसरे दिन लोकगीत गायन और जीवंत अभिनय के साथ आम जन मानस से जुड़ाव की अद्भुत तस्वीर दिखाई दी। भारत की आत्मा को सशक्त बनाने की मुहिम में जुटी राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा ‘ढाई आखर प्रेम’ के संदेश को लेकर गांव-गांव जागरूकता की अलख जगा रही थी। जिस तरह उगते सूरज की लालिमा चारों दिशाओं को रोशन करके अंधेरा दूर कर देती है और फिर कलरव करते हुए पंछी अपने बच्चों के लिए दाना जुटाने अनेक दिशाओं में निकल पड़ते हैं; कुछ इसी तरह से पिछले दो दिन की तरह सांस्कृतिक जत्था ग्रामीण-भ्रमण के अनुभवों के साथ ढाई आखर प्रेम के संदेश को लेकर तीसरे दिन भी निकल पड़ा।

इप्टा की टीम ने गांव-गांव पहुंचकर समाज की नब्ज टटोली। उनकी जीवन शैली और सामाजिक विसंगतियों को बारीकी से परखते हुए उनके बीच फैले रूढ़ियों और अंधविश्वास के प्रति जागरूकता पर बल दिया। साथ ही सामाजिक सौहार्द्र, भाईचारा, प्रेम, सहयोग और एकता पर बल देते हुए उनमें जोश और उत्साह भर दिया। छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के लोक कलाकारों और इप्टा के नुक्कड़ कलाकारों के संयुक्त गायन, अभिनय और सहज व्यवहार ने जहां एक ओर लोगों का दिल जीत लिया, वहीं अपने पीछे कई ऐसी खूबसूरत तस्वीरें छोड़ दीं, जो इस यात्रा को बेमिसाल बना देती हैं।

उरई में रात्रि विश्राम के बाद तीसरे दिन के भ्रमण की शुरुआत पूरे जोश के साथ सोमवार की सुबह हुई। नगर के जेल रोड स्थित पूर्व विधायक माधवगढ़ संतराम कुशवाहा के आवास पर ठहरे यात्रा के जत्थे का मेजबान द्वारा दिल खोलकर स्वागत किया गया और उनके साथ विचार साझा किया गया। तत्पश्चात पदयात्रा की शुरुआत समिति स्थित राइजिंग स्टार स्कूल के बच्चों के बीच पहुंचकर लोकगीत गायन और नुक्कड़ नाटक के जरिए हुई। कलाकारों ने सभी बच्चों का दिल जीत लिया। बच्चों की खुशी और उत्साह का तो यह आलम देखने को मिला कि वहां से टीम की रवानगी के लिए लोगों का मन उन्हें गवाही नहीं दे रहा था।

आखिरकार शुभकामनाओं के आदान-प्रदान के बाद टीम रवाना हुई। यात्रा का अगला पड़ाव ग्राम करसान रहा जहां स्कूली बच्चे टीम के सदस्यों को अचानक देखकर पहले तो विस्मित हुए, मगर बाद में जब उन्हें कलाकारों द्वारा अपने अभिनय से जोड़ा गया, तो वे मंत्रमुग्ध भाव से प्रस्तुतियाँ देखते रहे और पूरी सहभागिता निभाते रहे। जैसे ही छत्तीसगढ़ के नाचा गम्मत कलाकारों की टीम ने अपनी प्रस्तुति देना शुरू किया, वैसे ही वहाँ मौजूद सभी बच्चे और शिक्षक-शिक्षिकाएँ तथा ग्रामीण उत्साह से भर उठे। विद्यालय परिसर के बाहर बाउंड्री वॉल के बाहर से भी ग्रामीण पुरुष और महिलाएँ कलाकारों की प्रस्तुतियों को देखने की चेष्टा करते नजर आए। कलाकारों द्वारा प्रस्तुत गीतों की धुनों के साथ उनके शब्दों को सुनकर विद्यालय-परिसर का माहौल एकता के सूत्र में खुशी और उमंग से भर गया।

इसके पश्चात जत्था गाँव का भ्रमण करते हुए ग्राम वजिदा पहुँचा, जहाँ परिषदीय विद्यालय में बच्चे दोपहर का भोजन ले रहे थे। जानकारी मिलते ही विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं की टीम ने विद्यालय परिषद में आमंत्रित करते हुए सांस्कृतिक यात्रियों का स्वागत किया। इस दौरान कलाकारों द्वारा एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियाँ दीं गईं। बच्चों ने न केवल तालियाँ बजाईं, बल्कि उन्होंने स्वयं भी कलाकारों के साथ स्वर से स्वर मिलाया। इस दौरान कुछ बच्चों ने यात्रा में गाए जा रहे गीतों को सुनने के बाद उन्हें पूरे तरन्नुम के साथ वहाँ उपस्थित लोगों के बीच सुनाया। कक्षा 8 की छात्रा तानिया ने ‘ढाई आखर प्रेम का पढ़ने और पढ़ाने आए हैं, हम भारत से नफरत का हर घाव मिटाने आए हैं’ गीत को बेहद संजीदगी के साथ प्रस्तुत कर अपनी प्रतिभा दिखलाई। इस मौके पर विद्यालय की प्रधानाध्यापिका डॉ. स्वयंप्रभा दुबे, शिक्षिका सुधा द्विवेदी, शिक्षक विनोद निरंजन, शिक्षिका रंजना ने यात्रा को लेकर उत्साहित अंदाज में कहा कि उन्हें बेहद खुशी है कि देश में सामाजिक सौहार्द्र, प्रेम, भाईचारा और राष्ट्रीय एकता के सूत्र को मजबूत बनाने की दिशा में यह सांस्कृतिक यात्रा निकाली जा रही है, जो देश की उन्नति, खुशहाली और सद्भाव बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होगी।

इसी क्रम में यात्रा ग्राम मरोड़ा स्थित कंपोजिट अपर प्राइमरी स्कूल पहुँची, जहाँ कलाकारों ने लोक गीतों के साथ-साथ ‘गिरगिट’ नाटक का मंचन किया। लिटिल इप्टा के कलाकारों के जीवंत अभिनय पर मौजूद सभी लोगों ने जमकर तालियाँ बजाईं और कलाकारों का उत्साहवर्धन किया। सामाजिक विसंगतियों के खिलाफ संदेश देती हुई इस नाटिका को लोगों ने खूब सराहा। छत्तीसगढ़ के नाचा गम्मत कलाकारों के द्वारा प्रस्तुत ‘शिकारी और कबूतर’ के नुक्कड़ नाटक-मंचन ने बच्चों को जमकर हँसाया। विद्यालय के प्रधान अध्यापक बृज बिहारी शर्मा, सहायक अध्यापक शैलेंद्र नायक, मनीष कुमार, प्रशांत कुमार मौर्य, रश्मि वर्मा, मतीजा स्वर्णकार ने यात्रा के इस आयोजन को समाज की एक बड़ी ज़रूरत बतलाते हुए कहा कि प्रेम और सौहार्द्र वर्तमान सामाजिक जीवन की सबसे बड़ी जरूरत है।

अन्य रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुतियों के उपरांत जत्था अगले पड़ाव के लिए रवाना हुआ और ग्राम गढ़र पहुँचा, जहाँ दोदेरिया फार्म हाउस पर रामनरेश दौदेरिया, सतीश चंद्र दौदेरिया, सुल्तान सिंह, रामकुमार दुहोलिया, रामहेत, मोहम्मद इरफान, सागर आदि ने यात्रा का स्वागत करते हुए दोपहर के भोजन के लिए उन्हें आमंत्रित किया। भोजन उपरांत यात्रा के जत्थे में शामिल कलाकारों ने शिवालय परिसर के सामने नुक्कड़ नाटक और गीतों की खूबसूरत प्रस्तुति कर सामाजिक सौहार्द्र और एकता की दिशा में लोगों को प्रेरित किया।

उसके बाद उत्तर प्रदेश की ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक पदयात्रा ने अपने तीसरे दिन के अंतिम पड़ाव ग्राम मिनौरा के लिए कूच किया। रास्ते भर डफली बजाते हुए कलाकारों ने जब गीतों की मधुर स्वर-लहरी छेड़ी तो राह चलते लोग भी आतुर होकर उन्हें देखने और सुनने के लिए रुक गए। ग्राम मिनौरा में गाँव के प्रवेश मार्ग पर ही कृपा शंकर द्विवेदी उर्फ बच्चू महाराज, शिवराम, राम जी दीक्षित, आदित्य दीक्षित, सुधीर प्रदीप, अमन सहित कई लोगों ने जत्थे में शामिल होकर गाँव का भ्रमण किया। इस दौरान कलाकारों द्वारा गाँव के चौराहों और मुख्य मार्गों पर लोक गायन और नुक्कड़ नाटक के जरिए सामाजिक संदेश दिया गया। बाद में देर शाम गाँव के समीप ही घनाराम महाविद्यालय में देर रात्रि भोजन और फिर विश्राम के लिए टीम ने तीसरे दिन का पड़ाव लिया।

तीसरे दिन की सांस्कृतिक यात्रा में राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा, प्रदेश यात्रा समन्वयक एवं राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी, स्थानीय यात्रा संयोजक देवेंद्र शुक्ला, कृपा शंकर द्विवेदी (बच्चू महाराज), दीपेंद्र सिंह, राज पप्पन, प्रदीप कुमार, डा० सुभाष चन्द्रा, धर्मेंद्र कुमार, डा० स्वाति राज, प्रीति, डा० संजीव, अमजद आलम तथा छत्तीसगढ़ के नाचा गम्मत कलाकार निसार अली, देवनारायण साहू, आलोक बेरिया सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

21 नवम्बर 2023 मंगलवार

वीरों और वीरांगनाओं की धरती बुंदेलखंड के जनपद जालौन में इप्टा द्वारा निकाली जा रही राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के चौथे दिन जत्था मंगलवार 21 नवम्बर को ग्राम मिनौरा स्थित घनाराम महाविद्यालय से प्रारंभ होकर अपने अगले पड़ाव ग्राम हरदोई गुर्जर की ओर चल पड़ा।  हरदोई गुर्जर पहुँचने पर जत्थे में शामिल सभी पदयात्रियों का कामरेड विजय सिंह ने अपने साथियों के साथ बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया l सर्वप्रथम जत्था मुख्य मार्ग स्थित डॉ.भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थल पर पहुंचा, जहां प्रदेश यात्रा समन्वयक एवं राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी ने माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया l जत्थे का अगला पड़ाव इंटर कॉलेज हरदोई गुर्जर था। जहां लखनऊ इप्टा ने इच्छा शंकर के निर्देशन में नुक्कड़ नाटक ‘गिरगिट’ एवं छत्तीसगढ़ इप्टा से यात्रा में शामिल साथी निसार अली के निर्देशन में “ढाई आखर प्रेम” नुक्कड़ नाटक के मंचन के साथ जनगीतों की प्रस्तुति की गई l कालेज के प्रधानाध्यापक वीर सिंह चौहान, बालमुकुंद समाधिया, दीपक अग्निहोत्री, विजय रावत, अखिलेश मिश्रा, राम रतन, विकास, अरुण कुमार सेंगर, राजेश मिश्रा, अनिल पांडे, विष्णु कांत दीक्षित, महेंद्र पाल, विनोद चंद्र मिश्रा, श्याम बहादुर, राजीव नारायण मिश्रा सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे l

तत्पश्चात यात्रा का जत्था गांव में भ्रमण के लिए निकला, जहाँ गाँव की गलियों, चौराहों के अलावा कन्या प्राथमिक विद्यालय में नुक्कड़ नाटक एवं लोकगीतों की प्रस्तुतियाँ हुईं l इस अवसर पर प्रधान अध्यापक रविंद्र शाक्यवार, रोहिणी द्विवेदी, कीर्ति मिश्रा, प्रीति गुप्ता ने इस यात्रा को सामाजिक सौहार्द्र की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। पुन: जत्था उस स्थान पर पहुँचा, जहाँ महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने काल्पी से ग्वालियर जाते वक़्त एक रात गुज़ारी थी। खार खाए अंग्रेजों ने रानी लक्ष्मी बाई को शरण देने वाले 19 लोगों को पेड़ पर फांसी पर लटका दिया और उस गढ़ी को भी, जहाँ रानी लक्ष्मी बाई ने विश्राम किया था उसे भी ध्वस्त कर दिया l इस ऐतिहासिक स्थल पर पहुँचने से पूर्व ग्रामीणों के साथ विचार साझा हुए तो वहीं कलाकारों द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक और लोक गायन ने ग्रामवासियों को जनपद के इतिहास की जानकारी के साथ-साथ प्रेम और सौहार्द्र के रंगों से सराबोर कर दिया l इस दौरान जगह-जगह यात्रा के जत्थे का ग्रामीणों द्वारा खुले दिल से स्वागत-सत्कार कर अपनत्व का एहसास कराया गया। दोपहर उपरांत ग्रामवासी विजय सिंह राठौड़ और उनके परिजनों श्रीमती गीता राठौर, रिंकी राठौर, पूनम राठौर, खुशी राठौर, नैंसी राठौर ने यात्रा के जत्थे को अपने ही आवास पर दोपहर का भोजन कराया l ग्राम हरदोई गुर्जर के ग्राम प्रधान रविंद्र कुमार अहिरवार ने राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा को सामाजिक बदलाव का सूचक और प्रेरक बतलाया।

यात्रा के अंतिम पड़ाव झलकारी बाई जयंती की पूर्व संध्या पर उरई में स्थापित उनके प्रतिमा स्थल पर जनगीत, नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये गए l ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार झांसी से 10 कि०मी० स्थित भोजला ग्राम के किसान एवं दलित परिवार में जन्मी झलकारी ने बचपन में खेतों में घास काटते समय खूँखार शेर का हँसिये से मुकाबला किया था और उसे मार दिया था l बालिका झलकारी की वीर गाथा जब रानी लक्ष्मी बाई ने सुनी तो उसे अपने महल में बुला कर सम्मानित किया और अपनी अंगरक्षक महिला सेना में शामिल कर लिया l कहा जाता है कि झलकारी बाई की शक्ल सूरत रानी लक्ष्मी बाई से बहुत मिलती जुलती थी l 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में युवा झलकारी ने रानी के साथ कंधे से कंधा मिला कर अंग्रेजी फौज से लोहा लिया और खुद को रानी के रूप में पेश करते हुए अंग्रेजी सेना को चकमा देकर रानी लक्ष्मी बाई को सुरक्षित निकाल लिया l इस प्रकार रानी की रक्षा करते हुए झलकारी ने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया l

यात्रा में प्रदेश समन्वयक एवं राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी स्थानीय यात्रा संयोजक देवेंद्र शुक्ला, उरई इप्टा के सचिव दीपेंद्र सिंह , राष्ट्रीय समिति सदस्य-राज पप्पन, प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ सुभाष चन्द्रा, डॉ धर्मेंद्र कुमार, संजीव गुप्ता, संतोष, अमजद आलम छत्तीसगढ़ की नाचा गम्मत के कलाकार निसार अली,आलोक बेरिया, देवनारायण साहू ,इप्टा लखनऊ के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव , इच्छा शंकर , विपिन मिश्रा , वैभव शुक्ला, तन्मय, हर्षित शुक्ला, हनी खान , अंकित यादव , प्रदीप तिवारी एवं राहुल पांडे आदि सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

22 नवम्बर 2023 बुधवार

‘सांस्कृतिक जत्थे ने कोंच पड़ाव में प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी एवं वामपंथी विचारक ठाकुरदास वैद्य के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजली अर्पित की l ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के उत्तर प्रदेश पड़ाव की पांचवें दिन की शुरुआत जालौन जिले के कोंच तहसील मुख्यालय से हुई l किंवदंतियों के अनुसार कस्बे का नाम किन्हीं क्रौंच ऋषि से जुड़ा हुआ है l लेकिन यह ऐतिहासिक युद्ध-स्थली रहा है। सबसे अधिक संघर्ष 1857 में अंग्रेज़ों और क्रांतिकारियों के मध्य कोंच में हुआ l बारहवीं सदी में जहाँ पृथ्वीराज चौहान और आल्हा ऊदल के बीच भयानक और निर्णायक युद्ध हुआ था, वहीं 1857 के संग्राम में झांसी की रानी ने यहाँ अंग्रेज़ी फौज के दाँत खट्टे किए थे l  उल्लेखनीय है कि यह यात्रा कामरेड ठाकुरदास वैद्य की जन्म शताब्दी को समर्पित है। कोंच ठाकुरदास वैद्य की कर्मस्थली रही है l वे केवल स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं थे, बल्कि उन्होंने सपत्नीक भूमिगत रहकर वामपंथी आंदोलन का नेतृत्व किया, कस्बे में तीन दशक पूर्व मथुरा प्रसाद महाविद्यालय की स्थापना की और लंबे समय तक उसके प्राचार्य रहे l वह प्रदेश में माध्यमिक शिक्षक संघ के संस्थापक सदस्य रहे l उन्होंने कोंच में इप्टा की इकाई कायम की और आखिरी सांस तक इप्टा का मार्गदर्शन किया l वैद्य जी ने कोंच और उरई इप्टा की टीमों का नेतृत्व करते हुए एक सप्ताह तक जिले के डेढ़ दर्जन गाँवों की पदयात्रा की और गाँव-गाँव, गली-गली इप्टा का संदेश पहुंचाया था। आज उसी विरासत को सँजोते और आगे बढ़ाते हुए इप्टा के नेतृत्त्व में प्रदेश में जारी सांस्कृतिक यात्रा के जत्थे के अगले पड़ाव का गवाह कोंच नगर में आनंद शुक्ला महिला महाविद्यालय बना l

यहाँ प्रदेश यात्रा समन्वयक एवं राज्य महासचिव इप्टा शहज़ाद रिज़वी ने यात्रा के बारे मे विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि यह यात्रा महान क्रांतिकारी अमर शहीद तात्या टोपे की कर्मभूमि जनपद के ग्राम चुर्खी से 18 नवंबर को शुरू की गई थी, जो जनपद के विभिन्न गाँवों का भ्रमण करते हुए आज पाँचवें दिन कोंच में पहुँची है। इस यात्रा का उद्देश्य देश की ‘साझा संस्कृति-साझा विरासत’ को मजबूत बनाना है ताकि प्रेम और सौहार्द्र भावना के साथ देश में समता और एकता को स्थापित किया जा सके l इसी क्रम में यात्रा के स्थानीय संयोजक देवेंद्र शुक्ला ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत विविधता का देश है और यही इसकी सबसे बड़ी खूबसूरती है, जिसे बरकरार रखते हुए मजबूती दिलाना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है l इस अवसर पर छत्तीसगढ़ से पधारे इप्टा के प्रांतीय अध्यक्ष मणिमय मुखर्जी ने जनगीत प्रस्तुत किए l

आनंद शुक्ला महिला महाविद्यालय में नाचा-गम्मत की प्रस्तुति

छत्तीसगढ़ से नाचा गम्मत के कलाकार के द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक का मंचन काफी प्रभावशाली रहा l इसी क्रम में जत्थे में शामिल सभी कलाकारों ने मिलकर इप्टा का आवाहन गीत -“ढाई आखर प्रेम का पढ़ने पढ़ाने आए हैं, हम भारत में नफरत के हर दाग़ मिटाने आए हैं” को बेहद खूबसूरत ढंग से प्रस्तुत किया। तत्पश्चात स्थानीय सांस्कृतिक संस्था की अवनी दीक्षित और हिमानी राठौर के देशभक्ति गीतों ने इस कदर समां बांधा कि वहां मौजूद लोगों में मंत्रमुग्धता के भाव स्पष्ट तौर पर नजर आए l उपस्थित लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच छत्तीसगढ़ के नाचा गम्मत कलाकार निसार अली आलोक बेरिया और देवनारायण साहू भी अपने नुक्कड़ नाट्य प्रदर्शन ज़रिये न सिर्फ अपने संदेश को प्रभावी ढंग से लोगों के दिल-दिमाग तक पहुँचाया बल्कि उनके बेहद आकर्षक मनोभावों ने सभी को झकझोर डाला।

इस मौके पर आनंद शुक्ला महिला महाविद्यालय कोंच के प्रबंधक विक्कू शुक्ला, प्राचार्य डॉ शैलेंद्र कुमार द्विवेदी को यात्रा समन्वयक शहज़ाद रिज़वी, छत्तीसगढ़ इप्टा के प्रांतीय अध्यक्ष मणिमय मुखर्जी, स्थानीय यात्रा संयोजक देवेन्द्र शुक्ला, राज पप्पन आदि उरई इप्टा के साथियों ने कार्यक्रम के आयोजकों को ढाई आखर प्रेम की यात्रा का प्रतीक अंग वस्त्र पहनाकर सम्मानित किया। इस दौरान डॉ.नौशाद हुसैन, डॉ. अखिलेश, विक्रम सोनी, डॉ. हरिमोहन पाल, आलोक शर्मा, अंजना द्विवेदी, ऋतु रावत, आकाश निगम, डॉ. गौरव श्रीवास्तव, नरेंद्र परिहार, विजय सिंह, मृदुल दातरे, प्रेम शंकर अवस्थी, अंकुर राठौर, ट्रिंकल राठौर, मानवेंद्र कुशवाहा, यूनुस मंसूरी, निखिल कुशवाह, दानिश आदि मौजूद रहे।

इसके उपरांत जत्थे के साथियों का दल कोंच नगर के भ्रमण पर निकल पड़ा, जहाँ नगरवासियों ने पदयात्रियों का बड़े उत्साह और गर्म जोशी के साथ जगह जगह स्वागत किया l कोंच में ही यात्रा-मार्ग में इप्टा के संरक्षक और कोंच निवासी टी.डी. वैद्य की जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने जत्था उनके प्रतिष्ठान गैस एजेंसी पहुँचा, जहाँ जत्थे में शामिल सभी साथियों ने स्वतन्त्रता सेनानी एवं वामपंथी विचारक टी.डी. वैद्य और उनकी पत्नी के चित्र के सामने दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण किया। भ्रमण करने के उपरांत जत्था अगले पड़ाव के लिए रवाना हुआ। वास्तविक भारत गाँव में बसता है, इस बात की प्रामाणिकता को धरातल पर साबित किया है जनपद जालौन के मध्य प्रदेश राज्य की सीमा से सटे ग्राम महेशपुरा ने l यात्रा जत्थे के गांव की सीमा में पहुँचने पर ग्राम प्रधान राम प्रकाश कुशवाहा ने यात्रा दल का ज़ोरदार स्वागत किया।

स्वतन्त्रता सेनानी एवं वामपंथी विचारक कॉमरेड ठाकुरदास वैद्य की जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते जत्थे के साथी

इसके उपरांत गाँव के ही मार्ग पर इप्टा लखनऊ और छत्तीसगढ़ के नाचा गम्मत कलाकारों द्वारा विभिन्न नुक्कड़ नाटक और लोकगीत प्रस्तुत कर बच्चे युवा और महिलाओं तथा बुजुर्गों को इस कदर आकर्षित किया कि वहाँ बड़ी संख्या में लोग कलाकारों की प्रस्तुति देखने के लिए आतुर दिखाई दिए। बाद में जब यात्रा का जत्था विश्व प्रसिद्ध विद्वान राहुल सांकृत्यायन की संस्कृत शिक्षा स्थली कहे जाने वाले गाँव में स्थित उनके द्वारा स्थापित संस्कृत पाठशाला स्थल पर पहुँचा। यहाँ महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने अपने प्रवास के दौरान काफी वक़्त बिताया था और यहाँ संस्कृत विद्यालय की स्थापना कर इस गाँव को इतिहास का हिस्सा बनाकर अविस्मरणीय सौगात दी। महेशपुरा में एक प्रकार का अलौकिक एहसास जत्थे में शामिल सभी लोगों को हुआ l सर्वप्रथम तो महेशपुरा ग्राम के प्राकृतिक सौंदर्य और आबोहवा ने सभी के अंदर इस कदर उत्साह और स्फूर्ति भर दी कि हर कोई अपनी यात्रा की थकान को पूरी तरह से भूलकर सिर्फ वहाँ के ऐतिहासिक स्थलों और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थानों को देख कर आश्चर्यचकित रह गया। राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के सभी साथियों ने उनके चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

महापंडित राहुल सांकृत्यायन को श्रद्धा सुमन अर्पित करते जत्थे के साथी

जत्थे में शामिल सभी लोगों को महेशपुरा में कई अनोखे अनुभव प्राप्त हुए।  सर्वप्रथम तो महेश पुरा ग्राम के प्राकृतिक सौंदर्य और आबोहवा ने सभी के अंदर उत्साह और स्फूर्ति भर दी।  हर कोई अपनी यात्रा की थकान को पूरी तरह से भूलकर सिर्फ वहां के ऐतिहासिक स्थलों और प्राकृतिक सौंदर्य देख आश्चर्यचकित हो रहा था।

पहूज और धमना के संगम स्थल महेशपुरा में दिखी अद्भुत तस्वीरें

पहूज और धमना दो नदियों के संगम स्थल के बीहड़ में बसा महेशपुरा गाँव यूँ तो जिले की सीमा का अंतिम गाँव है, यह गाँव मध्य प्रदेश राज्य के भिंड जिले की सीमा से जुड़ा हुआ है, लिहाजा यहाँ की संस्कृति में बुंदेलखंड के दतिया, भिंड और जालौन का असर स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है। देश के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के महत्व को आम जनता तक पहुँचाने और देश में प्रेम, भाईचारे, आपसी सौहार्द्र और एकता स्थापित करने की मंशा से निकाली जा रही राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा ‘ढाई आखर प्रेम’ के जत्थे में शामिल सभी साथी जब उन स्थानों का भ्रमण करने पहुँचे तो आश्चर्यचकित रह गए कि वहाँ एक दो नहीं, कई अद्भुत और चौंकाने वाले दृश्य उनके सामने आए। गाँव के समीप प्राकृतिक पाताल तोड़ कुएँ, प्राकृतिक जल स्रोत झरने के तौर पर नजर आए l ग्रामवासी यशपाल सिंह राठौड़ ने बताया कि ये झरने अनवरत रूप से बहते हैं । ग्राम प्रधान राम प्रकाश कुशवाहा, कंचन कुशवाहा, पान सिंह वर्मा एवं राजेंद्र कुशवाहा आदि ने गांव से जुड़ी अन्य रोचक जानकारियाँ दीं। उन्होंने बताया कि यहाँ संस्कृत पाठशाला के समीप स्थित विशालकाय बरगद का पेड़ लगभग 400 वर्ष पुराना है l

ग्राम महेशपुरा में

महेशपुरा से यात्रा ने अपने अगले पड़ाव उरई पहुँच कर भोजनोपरांत रात्रि विश्राम किया l सांस्कृतिक यात्रा के काफिले में प्रदेश समन्वयक एवं राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी, छत्तीसगढ़ इप्टा के प्रांतीय अध्यक्ष मणिमय मुखर्जी, स्थानीय यात्रा संयोजक देवेंद्र शुक्ला, उरई इप्टा के सचिव दीपेंद्र सिंह, राष्ट्रीय समिति सदस्य राज पप्पन, प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ सुभाष चन्द्रा, डॉ धर्मेंद्र कुमार, संजीव गुप्ता, संतोष, अमजद आलम छत्तीसगढ़ की नाचा गम्मत शैली के कलाकार निसार अली, आलोक बेरिया, देवनारायण साहू, इप्टा लखनऊ के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव, इच्छा शंकर, विपिन मिश्रा, वैभव शुक्ला, तन्मय, हर्षित शुक्ला, हनी खान, अंकित यादव, प्रदीप तिवारी एवं राहुल पांडे सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

23 नवम्बर 2023 गुरुवार

यूँ ही हमेशा उलझती रही है ज़ुल्म से ख़ल्क़
न उनकी रस्म नई है न अपनी रीत नई
यूँ ही हमेशा हमने खिलाये हैं आग में फूल
न उनकी हार नई है न अपनी जीत नई 
– फैज़ अहमद फैज़

‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के आखिरी दिन उरई नगर में यादगार गतिविधियाँ हुईं। शताब्दी वर्ष पर नगर की दो महान शख्सियतों स्वर्गीय श्री धनीराम वर्मा एडवोकेट और मशहूर शायर बख्तियार मशरिकी को याद कर श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।

राष्ट्रीय सांस्कृतिक संगठनों के आवाहन पर देशव्यापी तौर पर निकाली जा रही ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के उत्तर प्रदेश पड़ाव के अंतर्गत जनपद जालौन के विभिन्न शहरी और ग्रामीण अंचलों का भ्रमण करने के उपरांत अपने छठें एवं समापन दिवस पर मुख्यालय स्थित आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, श्री गांधी इंटर कॉलेज और सुमन शिक्षण नि:शुल्क फाउंडेशन में बौद्धिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर जहाँ एक ओर नगर के लिए एक यादगार एहसास छोड़ दिया, वहीं यात्रा का मूल संदेश प्रेम, भाईचारा और राष्ट्रीय एकता को बढ़ाने की मंशा पर भी यात्रा के जत्थे ने जनमानस को वैचारिक और हृदय के धरातल तक झकझोर दिया।

जनपद के पश्चिमी सीमावर्ती कोंच तहसील के पहूज बीहड़ पट्टी के ग्राम महेशपुरा में विश्व प्रसिद्ध विद्वान एवं भाषाविद राहुल सांकृत्यायन की संस्कृत शिक्षा स्थली पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने के उपरांत यहां मुख्यालय पहुंची यात्रा ने इप्टा उरई के उपाध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र कुमार के आवास पर रात्रि भोजन एवं विश्राम किया। 23 नवम्बर की सुबह राष्ट्रीय समिति के सदस्य राज पप्पन एवं उनकी जीवन साथी व प्रांतीय उप महासचिव डॉ स्वाति राज द्वारा स्वल्पाहार कराने के उपरांत जत्थे के सभी साथी नगर में यात्रा के लिए तैयार हुए।

सर्वप्रथम श्री गांधी इंटर कॉलेज में छात्र-छात्राओं के बीच राष्ट्रीय एकता और प्रेम-सद्भाव को समाज की पहली आवश्यकता जताते हुए विचार साझा किया गया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के नाचा-गम्मत कलाकार निसार अली, आलोक बेरिया और देवनारायण साहू द्वारा खूबसूरत नाटक “ढाई आखर प्रेम” का मंचन किया गया। तदोपरांत लखनऊ इप्टा की टीम ने “गिरगिट” नाटक का मंचन कर उपस्थित छात्र-छात्राओं और बुद्धिजीवियों के मस्तिष्क पटल पर अपनी छाप छोड़ दी। इस अवसर पर श्री गांधी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य देवेंद्र कुमार झा, अमृतलाल नागर, शैलेश कुमार, अशोक कुमार सिंह, जितेंद्र वर्मा, लेफ्टिनेंट रामकेश, मनोज राजपूत, मिथलेश त्रिवेदी, प्रदीप दीक्षित, देवेंद्र गुप्ता, शिवमंगल प्रजापति, ओम प्रकाश पासवान, रमेश, सत्येंद्र त्रिपाठी ने कलाकारों के उत्कृष्ट अभिनय की जमकर प्रशंसा की। वहीं इस यात्रा को देश और समाज के लिए प्रेरणास्पद जन-चेतना की पहल बतलाया।

इसी क्रम में नगर के आचार्य नरेंद्र देव इंटर कॉलेज में इप्टा की टीम ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ लोक गायन और देश के मौजूदा सामाजिक परिवेश पर विचार साझा करते हुए राष्ट्रीय एकता और भाईचारे की भावना को जन-जन के बीच पहुँचाने की ज़रूरत पर बल दिया। इस मौके पर विद्यालय के प्रधानाचार्य पुनीत कुमार भारती, सुरेंद्र पांडे, कपूर कुमार गौतम, वीरेंद्र कुमार उमरी, शिवानी कुशवाहा, रजनी अहिरवार, अरविंद निरंजन, शिव नरेश त्रिपाठी, शहनाज परवीन एवं आशुतोष श्रीवास्तव मुख्य रूप से मौजूद रहे ।

देर शाम स्लम एरिया स्थित सुमन शिक्षण नि:शुल्क फाउंडेशन परिसर में छत्तीसगढ़ के नाचा गम्मत कलाकारों एवं लिटिल इप्टा उरई द्वारा राज पप्पन के निर्देशन में ‘गांधी’ नाटक एवं जनगीतों की बेहतरीन प्रस्तुति की गयी। नाटक में भाग लिया – कृष, योगेश, देवांश, शिव, प्रिया, मुकेश, रक्षा, भूपेन्द्र, रोशन, दीपिका ने। इस अवसर पर शिवांगी दीक्षित, अपर्णा पटेल, दीपक राजपूत, रूपाली, मोहित शर्मा, अभिनव शर्मा सहित सैकड़ो छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे ।

‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के छठें एवं समापन दिवस पर नगर की दो महान शख्सियतों को उनकी शताब्दी वर्ष के उपलक्ष में जत्थे के साथियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए । यात्रा का समापन स्वर्गीय धनीराम वर्मा के आवास पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ समारोह पूर्वक संपन्न हुआ। कार्यक्रम के अंत में जत्थे में शामिल सभी साथियों को प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ सुभाष चंद्र ने अपने आवास पर रात्रिभोज एवं ‘ढाई अक्षर प्रेम’ का प्रतीक गमछा ओढ़ा कर विदा किया ।

6 दिन की लगातार पदयात्रा, विभिन्न गांवों, हाटों, बाज़ारों, नुक्कड़ो, क़स्बो में लगातार प्रस्तुतियों के प्रदर्शन के बाद भी जत्थे के सभी साथियों का जोश और उत्साह देखते बन रहा था। कहीं किसी के चेहरे पर थकावट के दूर-दूर तक कोई निशान नहीं। सबकी आंखों में चमक का एहसास साफ-साफ झलक रहा था। इस ऐतिहासिक और यादों में समा जाने वाले पल को सहारा दिया महान कथा शिल्पकार, शायर डॉ राही मासूम राजा की इन पंक्तियों ने –

इस सफर में नींद ऐसी खो गई
हम ना सोए रात थक कर सो गई

यात्रा में प्रदेश समन्वयक एवं राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी, छत्तीसगढ़ इप्टा के प्रांतीय अध्यक्ष मणिमय मुखर्जी, स्थानीय यात्रा संयोजक देवेंद्र शुक्ला, उरई इप्टा के सचिव दीपेंद्र सिंह, राष्ट्रीय समिति सदस्य-राज पप्पन, प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ सुभाष चन्द्रा, डॉ धर्मेंद्र कुमार, संजीव गुप्ता, संतोष, अमजद आलम छत्तीसगढ़ की नाचा गम्मत शैली के कलाकार निसार अली, आलोक बेरिया, देवनारायण साहू, इप्टा लखनऊ के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव, इच्छा शंकर, विपिन मिश्रा, वैभव शुक्ला, तन्मय, हर्षित शुक्ला, हनी खान, अंकित यादव, प्रदीप तिवारी एवं राहुल पांडे सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

रिपोर्ट : शहज़ाद रिज़वी, उत्तर प्रदेश इप्टा के महासचिव तथा यात्रा प्रभारी
सम्पादन: ऊषा आठले

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