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झारखंड में पदयात्रा हुई आरंभ, कई गाँवों में किया सांस्कृतिक संवाद

|| ढाई आखर प्रेम; राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था का झारखंड में पहला और दूसरा दिन ||

झारखंड में ढाई आखर प्रेम पदयात्रा की शुरुआत 8 दिसंबर को हुई। मऊभंडार आई सी सी मज़दूर यूनियन ऑफिस बासुकी मंच से निसार अली की प्रस्तुति के साथ यात्रा का आगाज़ किया गया और पलामू इप्टा के जनगीतों के साथ कारवां आगे बढ़ा। कॉमरेड ओम प्रकाश सिंह, बीरेंद्र सिंह देब, महमूद अली, सुशांत सीट, रवि प्रकाश सिंह, विक्रम कुमार सहित अनेक लोगों ने यात्रा की शुरुआत में अपनी भागीदारी की और अगले पड़ाव तक चले।

यात्रा का पहला पड़ाव चुनुडीह धरमबहाल था । मुखिया बनाव मुर्मू और माझी मुकेश मुर्मू आदि ने जत्थे का स्वागत किया। मधु मंसूरी ने गीत गाया। घाटशिला इप्टा के साथियों के साथ ग्रामीणों ने भी धमसा तुम्दा बजाकर व लोकगीत, नाच के साथ अपना प्रदर्शन किया और अगले पड़ाव तक चलकर यात्रा में शामिल भी हुए। यात्रा में रणेंद्र, मिथलेश सिंह, पद्मश्री मधु मंसूरी के गीत, छत्तीसगढ़ नाचा के कलाकार निसार अली के नेतृत्व में देवरानारायण साहू, जगनू राम, हर्ष सेन, बीजू टोप्पो कैमरा के साथ,और डाल्टनगंज के आइपीटीए के कलाकार गीत संगीत के साथ शामिल रहे।

एदेलबेड़ा गांव होते हुए दोपहर में जत्था झांपड़ी शोल गांव पहुंचा। यहां गांव में माझी पीतांबर जी के नेतृत्व में ग्रामीणों ने पारंपरिक रूप से स्वागत किया।
मधु मंसूरी जी ने ‘झारखंड के कोरा’ गाकर श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया। घाटशिला IPTA के कलाकारों ने संथाली गीत ‘बेरेद मेसे हो’ गाया। गांव के स्कूल में निसार अली के नाचा दल ने बच्चों के सामने मोहक प्रस्तुति दी। गांव के लोक कलाकारों ने पारंपरिक गीत गाए। उर्मिला हांसदा ने सुंदर गीत सुनाया।
गांव में ही भोजन के बाद यह पदयात्रा बनकाटी, हेंदलजुड़ी होते हुए शाम को कालाझोर पहुंची जहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति के बाद जत्थे ने रात्रि विश्राम किया।

पदयात्रा के दूसरे दिन 9 दिसम्बर को यात्रा कालाझोर उत्क्रमित मध्य विद्यालय से सुबह 8:00 बजे प्रारंभ हुई। 9:30 बजे यात्रा राजाबासा पहुंची। पदयात्री राजाबासा की गलियों में गाते-बजाते राजाबासा अखड़ा में पहुंचे, जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत जमशेदपुर इप्टा के बाल कलाकारों के द्वारा ‘ढाई आखर प्रेम साधो’ गीत से हुई। इसके बाद छत्तीसगढ़ इप्टा के कलाकारों ने निसार अली के नेतृत्व में ‘ढाई आखर प्रेम’ नामक नाटक पेश किया। नाटक के बाद पलामू इप्टा के कलाकारों के द्वारा एकता समानता शांति के लिए गीत प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के बीच सिद्धराम मुर्मू, दुलाल हादसा, मंगल मुर्मू को प्रेम और श्रम का प्रतीक गमछा भेंटकर सम्मानित किया गया। इसके बाद चंपा मुरमू, सोमवारी हेंब्रम, रायमुनि टुडू संताली गीत प्रस्तुत किया। अपने गीत के माध्यम से उन्होंने माता-पिता के प्रति अगाध प्रेम को प्रतिबिंबित करते हुए बताया कि जिस मां-बाप ने हम लोगों को जन्म दिया आज जब उनके सेवा का वक्त आया तो हम सब को छोड़कर विदा हो गए।

कार्यक्रम के अंत में शैलेंद्र कुमार ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि आज पूरी दुनिया में हिंसा का माहौल है। सत्ता के लोग आपस में फूट पैदा कर अपने वर्चस्व को बरकरार रखना चाहते हैं। समाज को आज प्रेम की जरूरत है। हम प्रेम का संदेश अपने गीतों में लेकर आए हुए हैं। हमारे गीत प्रेम के गीत हैं भूख के विरुद्ध भात के गीत हैं। कार्यक्रम का संचालन शेखर मलिक ने किया।

इस गांव में सभी बांग्ला भाषी मिले। लेकिन प्रेम के कारण भाषा की कोई समस्या नहीं रही। दर्जनों संस्कृतिकर्मीयों के साथ डॉक्टर अली इमाम खान, डीएस आनंद, भावी पीढ़ी के संपादक ओम प्रकाश सिंह, रायगढ़ से आए रविंद्र चौबे, अहमद बद्र, अंजना, सहेंद्र यात्रा में साथ चल रहे हैं। दूसरे दिन की यात्रा में विशेष रूप से जमशेदपुर इप्टा की बाल टीम आकर्षण का केंद्र रही। बाल टीम में रोशनी, वर्षा, सुजल, करण शामिल थे। सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान राजाबासा के ग्रामीणों से बातचीत में यह पता चला कि इस गांव में संताली समुदाय के लोग भी रहते हैं। यह भी पता चला कि इस गांव में दो भाषा बोली जाती है, पहला संताली दूसरी बांग्ला।

बातचीत के बाद यात्रा गाते-बजाते हुए आगे बढ़ी और वृंदावनपुरी चौक होते हुए 1:00 बजे खडियाडीह पहुंची। खड़ियाडीह गांव में पहुंचते ही देखा कि एक मैदान में सजी-सजाई कुर्सीयां लगी हुई थी। इस मैदान में पदयात्रा में शामिल लोगों का वीणा पाणी क्लब के द्वारा स्वागत किया गया। उसी मैदान में एक मकान वीणा पाणी क्लब का कार्यालय था। वीणा पाणी क्लब इस गांव का लगभग 100 वर्ष पुराना क्लब है। इस क्लब में शिवनाथ सिंह अपना पूरा समय देते हैं और बच्चों को शास्त्रीय संगीत सिखाते हैं। शिवनाथ सिंह शास्त्रीय संगीत के शिक्षक तो हैं ही एक किसान भी है। शिवनाथ सिंह के साथ निखिल रंजन महतो और गांव के लोग मिलकर क्लब की देखरेख करते हैं। क्लब के द्वारा मैदान में यात्रा में शामिल कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के लिए समुचित व्यवस्था की गई थी। सांस्कृतिक कार्यक्रम के प्रारंभ में वीणा पाणी क्लब के बाल कलाकारों के द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। इसके बाद जमशेदपुर बाल इप्टा के कलाकारों ने ढाई अक्षर प्रेम गीत प्रस्तुत किया। गीत की प्रस्तुति के बाद निसार अली के निर्देशन में नाचा थिएटर शैली के माध्यम से ‘चालाक शिकारी’ गम्मत का प्रदर्शन किया गया।

अली इमाम खान ने यात्रा के उद्देश्यों की चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान समय में पूरी दुनिया हिंसा के दौर से गुजर रही है। इस हिंसा के दौर में हमारा जीवन समस्याओं से घिर चुका है। ऐसे में यह यात्रा जरूरी है। कार्यक्रम के अंत में पद यात्रियों के द्वारा प्रभात खबर के पत्रकार मोहम्मद परवेज को प्रेम और श्रम का प्रतीक गमछा भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मोहम्मद परवेज ने कहा कि प्रेम के संवाद को गांव-गांव तक ले जाने के लिए इस तरह की पहल जरूरी है। पदयात्रियों की जितनी भी सराहना की जाए, कम है। इसके बाद मनोरंजन महतो ने बांग्ला भाषा में झूमर प्रस्तुत किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के समापन के बाद वीणा पाणी क्लब द्वारा पदयात्रा में शामिल लोगों को भोजन कराकर विदा किया गया।

गाते बजाते ढाई आखर प्रेम की यात्रा खड़ियाडीह गांव से बड़बिल गांव पहुंची। बड़बिल के हरि मंदिर के पास पदयात्रियों सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं और ग्रामीणों से संवाद स्थापित किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में अहमद बद्र ने कहा कि सिर्फ किताब पढ़ने से व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर सकता है। प्रेम के बगैर ज्ञान अधूरा होता है। जिस ज्ञान में प्रेम का समावेश होता है वही ज्ञान मानव की सुरक्षा की बात कर सकता है। इसके बाद निसार अली के नेतृत्व में ‘अफवाह’ नामक गम्मत प्रस्तुत की गई। गम्मत के बाद एकता, समानता, शांति के लिए सामूहिक गीत प्रस्तुत किया गया। पदयात्रियों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रमों को स्थानीय लोगों ने काफी सराहा और आगे की यात्रा के लिए आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया।

यात्रा शाम 6:00 बजे गालूडीह के आंचलिक मैदान में पहुँची और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया और लोगों से बातचीत की। इस सांस्कृतिक संवाद के बाद दर्शकों ने कहा कि आप लोग सुबह भी कार्यक्रम कीजिए।

यात्रा में साथ चल रहे कलाकारों, बुद्धिजीवियों में पंकज श्रीवास्तव, प्रेम प्रकाश, भोला, संजू, शशि, अनुभव, रवि, स्नेहज मल्लिक, ज्योति मल्लिक, गणेश मुर्मू, शेखर मल्लिक, उर्मिला हाँसदा , रामचन्द्र मार्डी, डॉ देवदूत सोरेन, शशि कुमार, अंकुर, अर्पिता, उपेंद्र मिश्रा, शैलेंद्र कुमार, मृदुला मिश्रा, अहमद बद्र, अशोक शुभदर्शी, रणेन्द्र, भारती, मिथिलेश, डॉ अली इमाम खान, गीता, मल्लिका, मानव (पवित्रो), अरविंद, अंजुम और राकेश शामिल हैं।

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