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 ‘‘ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा“ ऐतिहासिक राज्य पश्चिम बंगाल में

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28 दिसंबर 2024 पहला दिन :

हम पहले से ही जानते हैं कि ऐतिहासिक सांस्कृतिक संगठन इप्टा 28 सितंबर 2023 से 30 जनवरी 2024, महात्मा गांधी के शहीद दिवस तक 4 महीने के लिए पूरे भारत में ’ढाई आखर प्रेम सांस्कृतिक पदयात्रा’ का आयोजन कर रहा है। इस रंगारंग सांस्कृतिक मार्च का उद्देश्य राष्ट्रीय जीवन में प्रेम, मित्रता, समानता, न्याय और मानवता का संदेश फैलाना है। विविधता में एकता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों का सम्मान करना; प्रख्यात समाज सुधारकों, लेखकों, कवियों, कलाकारों, संतों के जन्मस्थानों या स्मारकों में जाकर भावी पीढ़ियों के सामने नए भारत का सपना प्रस्तुत करना, इस यात्रा का उद्देश्य है।

’ढाई आखर प्रेम का’ पंक्ति महान संत कवि कबीर के एक प्रसिद्ध दोहे से ली गई है। दोहे का अर्थ है – शास्त्र या काव्य-ज्ञान से कोई भी बुद्धिमान नहीं होता। जिन्हें ‘ढाई आखर का ज्ञान’ है, जिसे इसकी समझ है, वे ही सही मायने में ज्ञानी कहलाते हैं। अलगाववादी पूरे भारत में जो नफरत का बीज बो रहे हैं, उसके खिलाफ प्रेम और एकता का संदेश फैलाना ही समय की सबसे बड़ी मांग है। इप्टा ने सभी प्रगतिशील सांस्कृतिक और सामाजिक संगठनों और लेखकों और कलाकारों से गीत, कविता और नाटक के माध्यम से अपनी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति प्रस्तुत करने का आह्वान किया है।

बंगाल सांस्कृतिक गतिविधियों में सदैव अग्रणी रहा है। इसने नेतृत्व दिया है। आतिश दीपंकर से चैतन्य तक, चंडीदास से लेकर रवीन्द्रनाथ तक, लालन से विजय तक, माइकल से नजरूल तक – प्रेम, समानता, न्याय और एकजुटता का संदेश बार-बार सैकड़ों आवाजों से दिया गया है। उनके नक्शेकदम पर चलते हुए, भारतीय कलाकार सामूहिक यात्रा पर हैं। गण संस्कृति संघ और प्रगतिशील लेखक संघ ने 28 दिसंबर 2023 से 31 दिसंबर 2023 तक राज्यव्यापी पदयात्रा और सांस्कृतिक कार्यक्रम की योजना बनाई थी।

28 दिसंबर को पूर्वी मेदिनीपुर के तमलुक शहर से इसका आगाज़ हुआ। इस दिन की यात्रा का कार्यक्रम और क्षेत्र के लोगों का उत्साह देखने लायक था। ईश्वरचंद विद्यासागर से लेकर शहीद मातंगिनी हाजरा, बंगाल के पुनर्जागरण आंदोलन के रेनेसां (प्रणेता) क्रांतिकारी खुदीराम बोस, कम्युनिस्ट नेता विश्वनाथ मुखोपाध्याय की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर इस यात्रा का आगाज़ हुआ। ब्रिटिश राज के खून-खराबे को नजरअंदाज करते हुए तमलुक के इसी कस्बे में पहली स्वतंत्र सरकार बनी थी। उस ताम्बे से सजे सरकार का स्मारक स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति हमारा संकल्प है, इसी भावना के कारण इस शहर को यात्रा के पहले चरण के रूप में चुना गया। लोक गीतों और सुसज्जित ढाक वाद्य के संगीत के साथ असंख्य लोग इस यात्रा में शामिल हुए। इसमें बंगाल के विचारकों के उद्धरणों से सजे अनेक बैनर थे। इप्टा के बैनर और महान दिग्गजों की तस्वीरों के साथ छात्र, युवा, शिक्षक और बुद्धिजीवी अपने-अपने बैनर तले एकजुट हो गये थे। बच्चे मनीषियों की वेशभूषा में सजे-धजे चल रहे थे। बाउल की वेशभूषा में एकतारा वाद्य यंत्र हाथ में लिए एक बालक अकेला चल रहा था।

लोगों से आह्वान किया गया, ‘‘आइए हम इस जत्थे को शक्ति, करुणा, सद्भाव और शांति के लिए समर्पित करें। हम इस यात्रा को नफरत और दुश्मनी पर प्यार की जीत को समर्पित करें।’’

इस पदयात्रा में प्रदेश नेतृत्व की ओर से अध्यक्ष अमिताभ चक्रवर्ती, संयुक्त महासचिव देबाशीष घोष, कोषाध्यक्ष सुब्रत चंद्र, अचल हालदार, महिला नेता सौमी हालदार, शशांक दास बैराग्य, प्रणब दास, राजीव मुखर्जी, सौमित्र मुखर्जी व अन्य उपस्थित थे। जिला नेतृत्व की ओर से अध्यक्ष मोनोतोष पाल, सचिव विप्लव भट्टाचार्य, अनिमेष मन्ना, स्वपन मित्रा, मधुसूदन दास आदि उपस्थित थे। शिक्षक संघ के अध्यक्ष तपन बर्मन, सचिव नारायण बेरा, महिला नेता श्यामली मंडल, छात्र नेता चैतन्य क्विल्या, युवा नेता गौरांग क्विल्या, प्रोफेसर आशुतोष दास, प्रख्यात कलाकार सनातन दास भी उपस्थित थे।

29 दिसंबर 2023, दूसरा दिन :

हावड़ा से संदेश : “धावक (राणार -पोस्ट मैन) सुबह जल्दी शहर पहुंचेंगे, वर्तमान शासक हमारे दिमाग पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है’’

प्रगतिशील लेखक संघ के राज्य सचिव कपिलकृष्ण टैगोर ने सांकराइल, हावड़ा में दूसरे दिन की ‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा की रूपरेखा तय की थी। चार महीने लंबी अखिल भारतीय पदयात्रा की पश्चिम बंगाल में दूसरे दिन की यात्रा सांकराइल के बड़ा पीरतला से शुरू होती है। बच्चे, औरत, बूढ़े-बुज़ुर्ग सारे स्टार स्पॉटिंग क्लब परिसर में पैदल चलकर, संतों के वाणियों वाले पोस्टर और बैनर लेकर, नफरत और घृणा को भूलकर एकजुटता के संदेश के साथ सुंदर कपड़े पहने जत्था में गाते हुए शामिल हुए। इस जुलूस में सबसे आगे कपिलकृष्ण टैगोर, अमिताभ चक्रवर्ती, अमलेंदु देबनाथ, पार्थ प्रतिम कुंडू, देबाशीष घोष, शांतिमोय रॉय थे। चिरंजीव चंद्रा, दिलीप गांगुली, समीर मुखर्जी, शरीफुल अनवर, सुबीर मंडल, शखावत हुसैन, सौमी हालदार, श्यामल मंडल और अन्य ने भी यात्रा में भाग लिया।

उसके बाद क्लब परिसर में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कादर लश्कर के गीत से सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत हुई। अमलेंदु देबनाथ, कपिलकृष्ण टैगोर, अमिताभ चक्रवर्ती, सुनील कोले और अन्य ने शुरुआत में संक्षिप्त भाषण दिया। गौरतलब है कि जिस इलाके में इस पदयात्रा और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, वहां मुख्य रूप से अल्पसंख्यक समुदाय के लोग रहते हैं। कई लोग ‘ढाई आखर प्रेम’ के संदेश के साथ अपने क्षेत्र में घूमते एक सजे-धजे जुलूस को देखने के बाद संगठन की पहचान जानना चाह रहे थे। कुछ लोगों को अनायास ही जुलूस के साथ चलते देखा गया। कई लोग खड़े होकर सांस्कृतिक कार्यक्रम सुन रहे थे और यही उस दिन की सबसे बड़ी उपलब्धि रही। कुछ दिलचस्प उदाहरण हैं, ’डिलीवरी ब्वॉय’ नूर आलम बाइक से जा रहा था, या सदाशिव ऑटो चलाकर सवारियां ले जा रहा था, दोनों खड़े हो गए। कुछ देर देखने के बाद फिर वे आगे बढ़े। पूछा, ‘कैसा लगा?’ उसने कहा, ‘मैं खड़ा रहा और देखा’ वह यह भी बता रहा था कि समय नहीं है, सामान समय पर पहुँचाना है। हैरानी की बात यह थी कि जब ऑटो चालक कुछ देर के लिए खड़ा होकर देखता रहा, तो अंदर बैठे दोनों युवकों ने कोई विरोध नहीं किया। बल्कि वे भी अपना मोबाइल फोन बंद कर कार्यक्रम देख रहे थे। उनकी भीड़ देखकर अनजाने ही धावक का गाना कानों में पड़ गया – ‘आजकल के आधुनिक धावक शहर में धावक बनकर पहुंचते हैं।’ हिज़ाब में मुँह ढककर खड़ी एक छोटी लड़की हाथ पकड़कर नाटक देख रही थी। नाम पूछने पर नाम बताने से कतराने लगी। पड़ोसियों में से किसी एक ने कहा नसीफ़ा खातून। जब उससे पूछा कि क्या उसे अच्छा लग रहा है, तो उसने सिर हिलाकर ‘हाँ’ कहा।

कबीर के दोहे “ढाई आखर प्रेम“ का सच्चा अर्थ यही है। यही इस पदयात्रा का मुद्दा है। नाट्यकथा टीम का नाटक “हे धर्म“ में जब एक अभिनेता धुर्यतिप्रसाद मुखर्जी “है धर्म“ पर भाषण दे रहा था और धर्म के नाम पर वह पंद्रह लाख रुपये के वादे से लोगों को भ्रमित कर रहा था, तब उससे लोगों ने तरह-तरह के सवालात किये, जिन्हें सुनकर वह ‘धर्म-धर्म’ चिल्लाया और चूँकि उसके पास कोई जवाब नहीं था, इसलिए वह भाग गया। दर्शकों की तालियों से यह समझ में आया कि यह नाटक उनके मन की गहराई में पैठने में कामयाब रहा है। मुझे नहीं पता कि यह संयोग है या नहीं, पीछे खड़े विशेष धार्मिक दर्शकों की तालियाँ कुछ ज़्यादा ही तेज़ थीं।

वर्तमान भ्रमित समय में इप्टा की ’ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा के निर्णय से अधिक क्रांतिकारी क्या हो सकता है? सांस्कृतिक कार्यक्रम में शास्वती बेरा, नुपुर जवारदार, राजनील मुखोपाध्याय, प्रणब दास, देवस्मिता नियोगी, रूमा रक्षित, सुखेंदु मंडल और बायनान के इच्छा पूर्ति टीम की सानंदा, सुपर्णा, आराध्या, सुहृदा, अंकिता ने भाग लिया। पूरे कार्यक्रम का निर्देशन राजीव मुखर्जी ने किया।

30 दिसंबर 2023, तीसरा  दिन :

‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक यात्रा का तीसरा दिन – कोलकाता के दिल में सद्भाव का संदेश

विभाजन नहीं, भेदभाव नहीं, कोई फर्क नहीं, हम सद्भाव और एकता चाहते हैं। इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, आईपीसीए ने शनिवार, 30 दिसंबर को कोलकाता के ऐतिहासिक कॉलेज स्क्वायर में विद्यासागर की प्रतिमा के नीचे से स्वामी विवेकानंद के आवास और फिर जोड़ा सांको में ठाकुरबाड़ी तक एक सद्भावना यात्रा का आयोजन किया।

इस पदयात्रा में प्रगतिशील लेखक संघ राज्य समिति एवं ‘उत्तराधिकार’ ने सहयोगी के रूप में भाग लिया। इस दिन आईपीसीए और प्रगतिशील लेखक संघ का एक प्रतिनिधिमंडल समूह समाज सुधारक राजा राम मोहन राय के आवास पर गया। अपने स्वागत भाषण में आईपीसीए के प्रदेश अध्यक्ष अमिताभ चक्रवर्ती ने कहा कि पदयात्रा 28 दिसंबर को स्वतंत्रता संग्राम का मैदान तमलुक, 29 दिसंबर को हावड़ा जिले के सांकराइल और 30 दिसंबर को कोलकाता में हो रही है।

प्रमुख मार्क्सवादी विचारक और शोधकर्ता शमीक  बंदोपाध्याय ने यात्रा की शुरुआत से पहले कॉलेज स्क्वायर के विद्यासागर की प्रतिमा के नीचे आयोजित बैठक का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा, हमारा देश गहरे संकट से गुजर रहा है। आज हमारे देश में जो ताकतें सत्ता में हैं, वे हर पल देश के सौहार्द्र को नष्ट कर रही हैं, बहुलवादी संस्कृति को नष्ट कर रही हैं, अल्पसंख्यकों और पिछड़े लोगों पर हमले कर रही हैं। यह सांप्रदायिक फासीवादी ताकत हर पल संविधान का अपमान कर रही है और संसद में विपक्ष की आवाज को दबा रही है। देश की संपत्ति को पानी के भाव बड़ी -बड़ी निगमों को सौंपा जा रहा हैं। इस कारपोरेट सांप्रदायिकता ने हमारे देश को बड़े खतरे में डाल दिया है। इसलिए देश के जागरूक नागरिकों से हमारी अपील है कि किसी भी तरह इस सांप्रदायिक ताकत का मुकाबला करें।

अब्दुल क़ादर लश्कर ने बैठक में आगमनी गीत प्रस्तुत किया। इसके अलावा अतिक्रम दास और प्रबल सरकार द्वारा संगीत प्रस्तुत किया गया। साथ ही मणिका मृधा ने सस्वर पाठ प्रस्तुत किया। शमीक  बंदोपाध्याय, आईपीसीए के अध्यक्ष अमलेंदु देबनाथ, अमिताभ चक्रवर्ती और संगठन के राज्य सचिव शांतिमय रॉय और प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव कपिल कृष्ण ठाकुर ने कॉलेज स्क्वायर पर एक संक्षिप्त बैठक के बाद विद्यासागर की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही, ‘आइडेंटिटी’ पत्रिका के संयुक्त सचिव पार्थ प्रतिम कुंडू, आइजेंस्टाइन सिने क्लब के अध्यक्ष गौतम घोष, अचला हालदार, राजीव मुखर्जी, तापस मैत्रा, अरुण चट्टोपाध्याय, संजय दास, सुबीर मुखोपाध्याय, सुबीर बंदोपाध्याय, राजनील मुखोपाध्याय नारायण विश्वास, सुनील चक्रबोर्ती, सुब्रतो चंद्र, सौमित्र मुखोपाध्याय, विश्वनाथ खान, रबीन्द्रनाथ दे, नंदा सेनगुप्ता, अनीश चट्टोपाध्याय, शशांक दासबैराग्य, सहाना खातून श्यामल मन्ना आदि ने भाग लिया।

उसके बाद कॉलेज चौक स्थित विद्यासागर की प्रतिमा से जुलूस शुरू हुआ। इस यात्रा में आईपीसीए और प्रगतिशील लेखक संघ के नेतृत्व के अलावा कई कलाकार, लेखक, शिक्षक, छात्र, महिलाएं और आम लोग शामिल हुए। इसके बाद जत्था स्वामी विवेकानन्द के आवास पर पहुंचा। माल्यार्पण के बाद वहां विवेकानन्द की प्रतिमा पर एक संक्षिप्त सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। नवकुमार, अनन्या चंद्रा, अचल हलधर, जतिन चंद्रा ने संगीत प्रस्तुत किया। कौशिक घोष द्वारा सस्वर पाठ किया गया। अशोकनगर आईपीसीए के कलाकारों ने नाटक “ऐ इ मृत्यु उपत्यकाय आमार देश नय“ का  मंचन  किया। पूरे कार्यक्रम का संचालन शांतिमोय रॉय और देबाशीष घोष ने किया। इसके बाद पदयात्री कोलकाता की विभिन्न सड़कों का भ्रमण करते हुए जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी पहुंचे। वहां रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर तीसरे दिन की पदयात्रा का समापन किया गया।

31 दिसंबर 2023 चौथा दिन :

बारासात में ढाई आखर प्रेम सांस्कृतिक पदयात्रा का चौथा दिन

‘‘विभाजनकारी ताकतें देश को टुकड़े-टुकड़े कर रही हैं। देश का वर्तमान शासक वर्ग भयानक है। यदि इस ताकत को नहीं रोका जा सका तो देश और इसके लोग ज़्यादा खतरे में पड़ जाएँगे। यह वर्तमान वर्ष का अंत है। नए साल में हमें देश की एकता, एकजुटता और सद्भाव की रक्षा का संदेश देना है। हमें हिंसा और नफरत के खिलाफ एकता की बात करनी चाहिए।’’ इसी संदेश के साथ रविवार को उत्तर चौबीस परगना जिले के बारासात जिले में ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक यात्रा के चौथे दिन का आयोजन किया गया। मौके पर जिले के सांस्कृतिक कलाकारों के अलावा प्रतिष्ठित साहित्यकार भागीरथ मिश्र, उर्दू लेखक जनीफ अंसारी और फादर सुनील रोजारियो जैसे विशिष्ट व्यक्तित्व भी शामिल हुए।

उत्तर चौबीस परगना जिले में ब्रिटिश विरोधी आंदोलन से लेकर सांप्रदायिक सद्भाव का एक समृद्ध इतिहास रहा है। यह जिला साहित्य और संस्कृति का केंद्र है। पहला ब्रिटिश विरोधी सिपाही विद्रोह, स्वतंत्रता संग्राम इसी जिले के बैरकपुर से शुरू हुआ था। पूरे भारत में सद्भावना, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र की रक्षा के लिए इप्टा और प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा चार महीने के लिए चलाई जा रही ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक पदयात्रा के एक अंश के रूप में राज्य भर में यह कार्यक्रम 28 दिसंबर 2023 को शुरू हुआ। चौथे दिन, जुलूस बारासात में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की प्रतिमा से शुरू हुआ। इस यात्रा में कई कलाकार, साहित्यकार, कवि, राजनीतिक और जन आंदोलन के नेता, शिक्षक, मजदूर, किसान और मेहनतकश लोग शामिल हुए। यह पदयात्रा बारासात कोर्ट, बड़ा  बाजार, केएनसी रोड होते हुए हरितला बारासात सरकारी स्कूल, कॉलेज, हाट्खोला, जस्सोर रोड से निकल कर बारासात एसोसिएशन मैदान पर समाप्त हुई।

इस यात्रा के दौरान कलाकारों ने देश की एकता और सौहार्द का गीत गाया। वे रवीन्द्रनाथ, नजरूल, लालन, फ़क़ीर आदि के गीत गाते हुए झूमते मस्ती में चल रहे थे। इस पदयात्रा में लोगों ने पूर्व सांसद, जननेता चित्त बसु, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, चटगांव शस्त्रागार लूट के नायक मास्टर दा सूर्य सेन, प्रीतिलता वादेदार, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, बाबा साहेब आंबेडकर आदि शहीदों की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

इसके बाद बारासात एसोसिएशन मैदान में खुले मंच पर सौहार्द के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हुआ और गणमान्य लोगों ने प्रेम और एकता की अपील की। प्रमुख साहित्यकार भागीरथ मिश्र ने अपने भाषण में कहा कि देश की विभाजनकारी ताकतें धीरे-धीरे देश को तोड़ रही है। वर्तमान शासक वर्ग से सावधान रहना है। उन्होंने कहा कि इस विभाजनकारी शक्ति ने हमेशा हिंदू, मुस्लिम और अन्य जातियों में विभाजन पैदा कर देश को कमजोर किया है. लेकिन इस शक्ति का विरोध करने के लिए प्रगति और लोकतंत्रप्रेमी लोगों ने सद्भाव और एकता के मार्ग पर मानवता के मिलन का उपदेश दिया है। जबकि अब शासक वर्ग इस एकता को कमजोर करना चाहता है। इसके खिलाफ इप्टा और प्रगतिशील लेखक संघ ने ढाई आखर प्रेम यात्रा का आह्वान किया है। हम सभी को यह आह्वान करना होगा और देश की रक्षा और इस बहाव  को रोकने की शपथ लेनी होगी।

‘कलांतर’ अखबार के संपादक कल्याण बनर्जी ने कहा कि आज इस साल का आखिरी दिन है। नए साल में हमें देश की एकता और सद्भावना की रक्षा का संदेश देना है। इस संदर्भ में उन्होंने फिदेल कास्त्रो की याद दिलायी।  उर्दू लेखक जनीफ अंसारी ने ‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रा का मतलब समझाया। फादर सुनील रोसारियो ने कहा कि हमें हिंसा और नफरत के खिलाफ एकता की बात करनी चाहिए। आईपीसीए के प्रदेश अध्यक्ष अमिताभ चक्रवर्ती, गणसंस्कृति परिषद की नेता शोभना नाथ ने अपनी प्रतिक्रिया जताई। प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव कपिल कृष्ण ठाकुर, अध्यक्ष अमलेंदु देबनाथ, आईपीसीए के राज्य संयुक्त सचिव देबाशीष घोष, ‘इडाना’ पत्रिका के संयुक्त संपादक पार्थ प्रतिम कुंडू, प्रगतिशील लेखक संघ के जिला अध्यक्ष डॉ. सुजान सेन, जन आंदोलन नेता शैबाल घोष व अन्य साथी मंच पर मौजूद थे।

कार्यक्रम में प्रद्युत रंजन चक्रवर्ती ने उद्घाटन गीत प्रस्तुत किया। प्रसिद्ध माइम अभिनेता शांतिमय रॉय ने माइम प्रस्तुत किया। नजरूल चर्चा केंद्र, आईपीसीए बारासात, हृदयपुर शाखा के कलाकारों द्वारा भी संगीत प्रस्तुत किया गया। इसके अलावा कई कलाकारों ने गीत और गायन प्रस्तुत किया। अशोकनगर आईपीसीए शाखा ने अपने लोकप्रिय नाटक “ऐ इ मृत्यु उपत्यकाय आमार देश नय“ का मंचन  किया । पूरे कार्यक्रम का संचालन तापस मैत्रा ने किया। अंत में, नफरत के खिलाफ प्यार के गीतों और नारों के साथ इस ऐतिहासिक यात्रा का समापन हुआ।

मूल बांग्ला रिपोर्ट : देबाशीष घोष
हिंदी अनुवाद :   मित्रा सेन मजूमदार

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