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उत्तराखंड में ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक यात्रा की शुरुआत

उत्तराखंड में ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक पदयात्रा 31 अक्टूबर 2023 को प्रथम दिन टिहरी गढ़वाल के मुनि की रेती स्थित शहीद भगत सिंह स्मारक से शुरू हुई। राज्य आंदोलनकारी कमला पंत जी ने भगत सिंह जी की मूर्ति पर माल्यार्पण कर ‘ढाई आखर प्रेम’ की उत्तराखंड राज्य यात्रा का शुभारंभ किया। शहीद भगत सिंह स्मारक से शुरू होकर यात्रा जन गीत गाते हुए शीशम झाड़ी पहुंची। यहाँ लोगों ने यात्रा का स्वागत किया। उत्तराखंड इंसानियत मंच की कमला पंत ने उत्तराखंड राज्य की तीन दिनी यात्रा के आरम्भ की घोषणा की। उन्होंने लोगों को ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक यात्रा में सम्मिलित होने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा, हाल के वर्षों में भाईचारे की भावना को लगातार चोट पहुँचाने की कोशिश की जा रही है। संवैधानिक मूल्यों की अनदेखी की जा रही है। राजनीतिक लाभ के लिए समाज को धर्म और जातियों में बाँटने का प्रयास किया जा रहा है। इसलिए ज़रूरी है कि हम समाज को बाँटने वाली ताकतों के खि़लाफ़ एकजुट हों और प्रेम, बंधुत्व, समानता, न्याय और मानवता के पक्ष में खड़े हों। शुरुआत एक जनगीत से हुई और जत्थे में मौजूद स्थानीय यात्री प्रेम और सौहार्द्र के नारे लगाते हुए आगे बढ़े।

उत्तराखंड राज्य इप्टा के अध्यक्ष डॉ वी के डोभाल ने सभी लोगों को ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक यात्रा के उद्देश्य के बारे में बताया। उनकी बातें सुनकर लोगों आश्वस्त किया कि वे नफरत से दूर रहेंगे और बाकी लोगों को भी यह बताएंगे कि बिना किसी भेदभाव के आपस में मिलजुल कर रहें, चाहे वे किसी भी धर्म और जाति के क्यों न हों! इसके बाद धर्मानन्द लखेड़ा, बी डी पांडे, विक्रम पुंडीर, हरिओम पाली और कुलदीप मधवाल ने जनगीत गाये। कमला पन्त को डॉ. वी के डोभाल ने श्रम का प्रतीक गमछा भेंट किया। इसी के साथ यात्रा आगे बढ़ते हुए शीशम झाड़ी के चौराहे पर पहुंची, जहां इप्टा सहारनपुर के रंगकर्मियों ने ‘जोगीरा सारारारा…’और जनसंवाद के सतीश धौलाखंडी ने जनगीत गाया, उपस्थित लोगों ने कलाकारों का साथ दिया,

मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे में बाँट दिया भगवान को
धरती बाँटी, सागर बाँटा, मत बाँटो इंसान को।

यात्रा लगभग चार किलो मीटर चलते हुए एक अन्य बस्ती चंद्रेश्वर नगर की मलिन बस्ती में गरीब बच्चों के लिए चलाए जा रहे चंदेश्वर पब्लिक स्कूल जा पहुंची। स्कूल के स्टाफ और नन्हे-नन्हे बच्चों के चेहरों पर खुशी झलक रही थी। वे लोग बहुत उत्साहित थे। बच्चों की उत्सुकता को और भी ज़्यादा बढ़ाते हुए उनके साथ मिलकर सतीश धौलाखंडी और त्रिलोचन भट्ट ने जनगीत गाये, जिसमें उन नन्हे मुन्ने बच्चों ने अपनी आवाज़ मिलाकर गीत को और भी जोशीला बना दिया।

तुम मुझको विश्वास दो, मैं तुमको विश्वास दूँ
शंकाओं के सागर हम तर जाएँगे,
इस धरती को मिलकर स्वर्ग बनाएंगे।

इसके बाद बच्चों के सामने एक नुक्कड़ नाटक ‘गिरगिट’ प्रस्तुत किया गया। साहिबा, कैफ अंसारी, छाया सिंह, नितिन, सचिन, अतुल गोयल और असद अली खान ने शानदार अभिनय किया। यह लघु नाटक एक भ्रष्ट अधिकारी के परिस्थितिनुसार रंग बदलने पर आधारित है। नाटक को बच्चों ने बहुत ही आनंद लेते हुए देखा, उनकी खिलखिलाहट पूरे नाटक को और भी जीवंत बना रही थी। नाटक की समाप्ति के बाद बच्चों ने पूरे जत्थे के साथ फोटो खिंचवाई। स्कूल के प्रबंधक प्रमोद जी को हरिओम पाली ने कबीर के श्रम का प्रतीक हैंडलूम का गमछा ओढ़ा कर समानित किया।

पदयात्रा आगे बढ़ी और त्रिवेणी घाट पर स्थित स्वामी विवेकानंद के स्मारक पर पहुँची। माल्यार्पण किया गया। स्वामी विवेकानंद ने शिकागो जाने से पूर्व अपने ऋषिकेश प्रवास के दौरान इस मंदिर में छह महीने बिताये थे। इसके बाद पदयात्रा आगे बढ़ती हुई महात्मा गांधी के स्मारक ‘गांधी स्तम्भ’ पर पहुंची। महात्मा गांधी की शहादत के बाद उनकी अस्थियों को यहां पर भी प्रवाहित किया गया था। इसकी स्मृति में ही गांधी स्तम्भ का निर्माण किया गया था। जत्थे में शामिल नंदनंदन पांडेय, जगनंदन शर्मा, असद अहमद, विक्रम पुंडीर, हरिनारायण, बीडी पांडेय, हरिओम पाली आदि ने गांधी जी का प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेणे कहिए रे, पीर पराई जाणे रे’ गाया। उसके बाद इप्टा सहारनपुर के साथियों ने जनगीत प्रस्तुत किया। यहाँ भोजन और विश्राम के लिए सांस्कृतिक जत्था थोड़ी देर रूका।

दोपहर ढलते हुए पदयात्रा जनगीत गाते, नारे लगाते और पर्चे बाँटते हुए श्यामपुर पहुंची, जहां पर एक छोटे से गांव खदरी में नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया। दृष्टि संस्था के कुलदीप मधवाल ने जनकवि बल्ली सिंह चीमा का गीत सुनाया। गांव के राय सिंह ने कबीर का गीत ‘झीनी झीनी बीनी चदरिया’ सुनाया और यात्रा के संदेश को लेकर शुभकामनाएं दीं। 90 वर्ष से भी अधिक उम्र के गांव के बुज़ुर्ग कुंदनसिंह ने हारमोनियम पर रागिनी प्रस्तुत की। हरिओम पाली, नई राय सिंह जी और कुंदन सिंह को हैंडलूम का गमछा भेंट कर सम्मानित किया गया। नुक्कड़ नाटक के साथ आज की पदयात्रा थके हुए कदमों, लेकिन अगले दिन के लिये उत्साह से लबरेज़ भोजन और रात्रि विश्राम में जुट गई।

इस यात्रा में राज्य की आन्दोलनकारी श्रीमती कमला पंत, इप्टा उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष डॉ वी के डोभाल, उपाध्यक्ष हरि ओम पाली, उपाध्यक्ष धर्मानंद लखेड़ा, बीडी पांडे, देहरादून इप्टा के अध्यक्ष जग नंदन शर्मा, महामंत्री विक्रम सिंह पुंडीर, इप्टा के प्रदेश कार्यकारी सदस्य असद अहमद, कुलदीप मधवाल, साहिबा, कैफ अंसारी, असद अली खान, नितिन, छाया सिंह, अतुल गोयल, सचिन, जन संवेदना के सतीश धौलाखंडी, नंदन पांडे, त्रिलोचन भट्ट, हरी नारायण, प्रमोद शर्मा, शिवकुमार भारद्वाज, जगदीश कुलियाल, प्रेमशंकर, राजभर, राय सिंह खद्री, कुंदन सिंह सम्मिलित थे।

रिपोर्ट: असद, साहिबा, नितिन और त्रिलोचन भट्ट

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