| क्रांतिकारी गीतों और जनगीतों के साथ दी गई शहीदों को श्रद्धांजलि |
‘ढाई आखर प्रेम’ उत्तराखंड राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्थे के चतुर्थ और आखिरी दिन 03 नवम्बर 2023 को प्रातः 8ः30 बजे जत्था पिरान कलियर से निकलने ही वाला था, उसी समय देहरादून से जे एन यू के प्रोफेसर राकेश अग्रवाल, बीजू नेगी, विजय नेगी, एस एस रावत, डॉ रमीज़ रज़ा, तनवीर आलम, दीपक शांडिल्य, देवेश और आतिफ़ खान आगे की यात्रा में शामिल होने के लिए पहुँच गए। इप्टा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा पहले से ही साथ थे। कुछ शारीरिक अक्षमता होने के बावजूद भी राकेश अग्रवाल का यात्रा के लिये जोश वाकई सलाम के लायक था। राकेश वेदा ने राकेश अग्रवाल का गमछे के साथ स्वागत किया।
गलियों से होते हुए, जनगीत गाते हुए ‘ढाई आखर प्रेम’ के मतवालों की टोली सड़क पर निकल पड़ी। गीत-संगीत की प्रेम धुन के साथ पदयात्रा मेवाड़ कला इमली रोड जनपद हरिद्वार पहुँची। इसी बीच लखनऊ से लिटिल इप्टा के साथी सुमन श्रीवास्तव के साथ यात्रा में शामिल हो गए। ‘इंसान का इंसान से हो भाईचारा, यही पैगाम हमारा’ गीत गाते हुए जत्थे ने पूरे गाँव में भ्रमण किया। गाँव के मुख्य चौक पर सामाजिक कार्यकर्ता दीपक शांडिल्य, तनवीर आलम, मोहसिन और विजय भट्ट को गमछा भेंट किया गया। यहीं से ‘ढाई आखर प्रेम’ के कारवाँ में सुनील कुमार, दिनेश कुमार और शाहिदा शेख रूड़की से शामिल हो गए। राकेश वेदा राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, डॉ. वी के डोभाल अध्यक्ष इप्टा उत्तराखंड राज्य, श्री ओमप्रकाश नदीम, धर्मानन्द लखेड़ा, हरिओम पाली, मोहम्मद असद खान, कुलदीप मधवाल, बीजू नेगी, विजय भट्ट, श्रीमती सुमन श्रीवास्तव, गरिमा सिंह, अंजली सिंह, पूजा प्रजापति, आरती प्रजापति, सोनी यादव, कविता यादव, शिवी सिंह आदि सभी साथी जोश के साथ गाते हुए मस्ती में चले जा रहे थे। लखनऊ की लिटिल इप्टा टीम ने मेवाड़ कला इमली रोड की नुक्कड़ पर गीत-संगीत के साथ ‘ढाई आखर प्रेम’ के संदेश को दूर दूर तक फैलाने का प्रयास किया।
इसके बाद यात्रा मेवाड़ कला गाँव की गलियों में जनगीत गाते हुए घूमी। मेवाड़ कला गाँव में वहाँ के सामाजिक कार्यकर्ता दीपक शांडिल्य के साथ-साथ स्थानीय निवासी सुनील कुमार, दिनेश कुमार, विश्व प्रताप जी को गमछा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। वापस लौटते हुए सहारनपुर इप्टा की टीम ने भी जनगीत गाए।
यात्रा मेवाड़ कला गाँव से बाहर निकल कर बाजुहेड़ी गाँव में स्थित कस्तूरबा गांधी छात्रावास में पहुँची। यहाँ पर पीपुल्स फोरम के देहरादून से आये साथी कंडवाल जी और कमलेश खंतवाल जी भी यात्रा में जुड़ गए। बच्चे पहले से ही जत्थे का इन्तज़ार कर रहे थे। कस्तूरबा गांधी विद्यालय में लिटिल इप्टा की टीम ने जनगीत गाए। सहारनपुर इप्टा की टीम ने जनगीत गाने के बाद ‘गिरगिट’ नामक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया। उपस्थित सभी लोगों को यात्रा का मक़सद बताया गया। स्कूल के बच्चों ने लिटिल इप्टा के साथियों की आवाज़ में आवाज़ मिला कर गीत गाये। विद्यालय की प्रधानाचार्य श्रीमती शिखा कपूर और जूनियर प्रधानाचार्य श्रीमती रश्मि शर्मा जी को भी गमछा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि ये सभी गीत और नाटक अगर स्कूल को उपलब्ध कराए जाएँ, तो स्कूल के बच्चों को इनकी प्रैक्टिस कराई जा सकती है। बीजू नेगी ने अपने संबोधन में बच्चों को सरल शब्दों में प्रेम की परिभाषा समझाई। इसके बाद राष्ट्रीय इप्टा के कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा ने अपने संबोधन से कार्यक्रम का समापन किया।
दोपहर हो चली थी, भूख भी लगने लगी थी। ओमप्रकाश नूर जी की पहल पर पदयात्रा बाजूहेड़ी गांव में रहने वाली गीता जी के घर पहुँची, वहां पर जत्थे के सभी सदस्यों ने गर्मागर्म उड़द की दाल के साथ चावल का आनंद उठाया। यहाँ से निकलकर सभी साथी भगत सिंह चौक पर पहुँचे। वहाँ भगत सिंह की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया तथा उसके बाद गीत गाये गए। वहाँ पर भी स्थानीय जनता जुड़ गई थी। शहर के बीच बाज़ार से गुज़रते हुए, हज़ारों निग़ाहों के अनेक सवालों का जवाब देने की कोशिश करते हुए जत्था शहीद स्थल सुनेहरा पहुँचा। वहाँ एक बार फिर क्रांतिकारी गीतों और जनगीतों के साथ शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई और फूलमाला अर्पित कर उनके बलिदानों को याद किया गया। इप्टा सहारनपुर और लिटिल इप्टा के साथियों को यहाँ गमछा भेंट किया गया। यहीं पर कमलेश खंतवाल, जगदीश कुलियाल और जयकृत कंडवाल जी को गमछा भेंट कर सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा ने उत्तराखंड पदयात्रा के सफल संचालन पर बधाई देते हुए कहा कि ये उत्तराखंड में यात्रा का समापन नहीं, बल्कि शुरुआत है।
रिपोर्ट – असद अली खान और नितिन