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तात्या टोपे की कर्मस्थली ग्राम चुरखी से ‘ढाई आखर प्रेम: राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था’ का उत्तर प्रदेश में आगाज़

|| जालौन के ग्राम चुरखी से यात्रा प्रारंभ, आधा दर्जन से अधिक गाँवों का भ्रमण ||

बुंदेलखंड के जनपद जालौन में ‘ढाई आखर प्रेम: राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था’ 18 नवंबर, शनिवार को आजादी के उन महानायकों को याद करके प्रारंभ हुआ जिन्होंने 1857 की क्रांति में न सिर्फ अपना बलिदान दिया बल्कि अंग्रेजों को अपने शौर्य और पराक्रम से लोहे के चने चबाने को मजबूर कर दिया। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और उनके अनन्य साथी तात्या टोपे की कर्मभूमि कहे जाने वाले जालौन के चुरखी गांव से प्रारंभ हुई यात्रा ने दिनभर आधा दर्जन से अधिक गाँवों में पहुंचकर वहां सांस्कृतिक और ऐतिहासिक तथ्यों को खंगाल कर सामाजिक चेतना बढ़ाने की दिशा में लोगों को प्रेरित किया। एकता के लोक कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक, दिवारी नृत्य आदि कई प्रस्तुतियों से ग्रामीणों में संस्कृति और इतिहास का महत्व बतलाया।

उत्तर प्रदेश इप्टा की अगुवाई में ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा की शुरुआत बुंदेलखंड के जालौन जिले के ऐतिहासिक ग्राम चुर्खी से प्रारंभ हुई. इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना , राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा , राज्य महासचिव/प्रदेश यात्रा समन्वयक शहज़ाद रिज़वी तथा स्थानीय यात्रा संयोजक देवेंद्र शुक्ला सहित लखनऊ और छत्तीसगढ़ से आए इप्टा कलाकारों के साथ जत्था प्रात: 9:00 बजे ग्राम चुरखी पहुंचा जो 1857 स्वतंत्रता संग्राम के महानायक और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के अनन्य साथी तात्या टोपे की कर्मभूमि कही जाती है। बताया तो यह भी जाता है कि चुरखी में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से युद्ध करते वक्त यहां एक दिन विश्राम भी किया था, उसके बाद वह ग्वालियर पहुंची थीं। मराठा परिवार के वंशज और चुरखी निवासी अरुण कुमार ने जत्थे को उस स्थान के संदर्भ में जानकारियां देते हुए बताया कि आज भी वह कमरा अपने मूल रूप में है जहां रानी लक्ष्मीबाई ने रात्रि विश्राम किया था। इसके अलावा और कई महत्वपूर्ण जानकारियां उन्होंने साझा कीं।

तात्या टोपे के वंशज अरुण कुमार को सम्मानित करते हुए इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना

ग्राम चुरखी में कई स्मारकों का भ्रमण करने के दौरान जत्थे के सदस्यों ने कंपोजिट विद्यालय पहुंचकर वहां छात्र-छात्राओं से विभिन्न जानकारियां साझा कीं और इस दौरान कलाकारों द्वारा गीतों के माध्यम से उन्हें अपनी संस्कृति और इतिहास को बनाए रखने के साथ-साथ समाज को प्रेम, भाईचारे और सुख समृद्धि की ओर ले जाने का संदेश दिया। वहां आजादी के सपूतों के चित्रों पर माल्यार्पण भी किया गया जिसके पश्चात जत्था ग्राम रनिया पहुंचा जहां ग्राम प्रधान नन्हे जी ने जत्थे का स्वागत किया। ग्राम रनिया में ग्रामीणों ने बताया कि गांव के ही एक युवा रवि कुशवाहा की दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी लिहाजा वहां जत्थे की टीम ने उस युवा को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए 2 मिनट का मौन धारण किया। वहाँ से सांस्कृतिक यात्रा ग्राम सोहरापुर पहुंची जहां कंपोजिट विद्यालय में विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं और बच्चों तथा ग्रामीणों की मौजूदगी में दिवारी नृत्य और नाटक प्रस्तुत किए गए। इसी क्रम में ग्राम रनिया वेदेपुर, बिनौरा वेद, ककहरा होते हुए सांस्कृतिक यात्रा ग्राम ओंता पहुंची जहां पूर्व ग्राम प्रधान राजपाल सिंह ने यात्रा में शामिल लोगों का स्वागत किया। यात्रा के विभिन्न पड़ावों पर देर शाम तक कलाकारों द्वारा दिवारी नृत्य और अन्य कई कार्यक्रमों की खूबसूरत प्रस्तुतियां की गईं जिन्हें देखकर ग्रामीण उत्साह से भरे दिखाई दिए।

सांस्कृतिक जत्थे में इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा, प्रदेश यात्रा समन्वयक एवं राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी के अतिरिक्त स्थानीय यात्रा संयोजक देवेंद्र शुक्ला, राज पप्पन, सदस्य- राष्ट्रीय कार्यकारिणी, डॉ धर्मेंद्र कुमार, डॉ सुभाष चंद्र, दीपेन्द्र सिंह , निशा वर्मा, अमजद आलम, संजीव गुप्ता, प्रीती गुप्ता, नेहा, मेहरताज, लखनऊ इप्टा के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव, क्षेत्रीय सचिव एवं संयोजक लिटिल इप्टा लखनऊ सुमन श्रीवास्तव, सोनी यादव, बबिता यादव, अंजली सिंह, दामिनी, इप्टा लखनऊ से इच्छा शंकर, विपिन मिश्रा, वैभव शुक्ला, तन्मय, हर्षित शुक्ला, हनी खान, अंकित यादव, प्रदीप तिवारी और इप्टा के सदस्य शामिल रहे। साथ ही छत्तीसगढ़ इप्टा से (नाचा गम्मत) निसार अली, देव नारायण साहू, आलोक बेरिया, और स्थानीय लोक कलाकार (दिवारी नृत्य) डा. पुनीत तिवारी, शैलेन्द्र यादव, जीतू यादव, दीपू यादव, अमित यादव, कृष्णा यादव, शिवम यादव, अर्जुन कुशवाहा, संजय यादव, प्रांशु यादव सहित बड़ी संख्या में ग्रामवासियों ने शिरकत की।

रिपोर्ट: शहज़ाद रिज़वी

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