|| उत्तर प्रदेश पड़ाव का पाँचवाँ दिन – 22 नवंबर 2023 ||
|| झलकियां ||
- प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी एवं वामपंथी विचारक ठाकुरदास वैद्य की जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर श्रद्धांजलि देने पहुँची यात्रा
- विश्वविख्यात विद्वान, भाषाविद राहुल सांकृत्यायन को किए श्रद्धा सुमन अर्पित
ढाई आखर प्रेम: राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के उत्तर प्रदेश पड़ाव की पांचवें दिन की शुरुआत जालौन जिले के कोंच तहसील मुख्यालय से हुई । किंवदंतियों के अनुसार कस्बे का नाम किन्हीं क्रौंच ऋषि से जुड़ा है । लेकिन यह ऐतिहासिक युद्ध स्थली रहा है। कोंच में सबसे बड़ा संघर्ष 1857 में अंग्रेजों और क्रांतिकारियों के मध्य हुआ । बारहवीं सदी में जहां पृथ्वीराज चौहान और आल्हा ऊदल के बीच भयानक और निर्णायक युद्ध हुआ था वहीं 1857 के संग्राम में झांसी की रानी ने यहां अंग्रेज़ी फौज के दांत खट्टे किए थे ।
उल्लेखनीय है कि यह यात्रा कामरेड ठाकुरदास वैद्य की जन्म शताब्दी को भी समर्पित है। कोंच ठाकुरदास वैद्य की कर्मस्थली रही है। वे केवल स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे बल्कि उन्होंने सपत्नीक भूमिगत रहकर वामपंथी आंदोलन का नेतृत्व भी किया था । इस कस्बे में इन्होंने तीन दशक पूर्व मथुरा प्रसाद महाविद्यालय की स्थापना की और लंबे समय तक उसके प्राचार्य रहे। वह प्रदेश में माध्यमिक शिक्षक संघ के संस्थापक सदस्य रहे। उन्होंने कोंच में इप्टा की इकाई कायम की और आखिरी सांस तक इप्टा का मार्गदर्शन किया। वैद्य जी ने कोंच और उरई इप्टा की टीमों का नेतृत्व करते हुए एक सप्ताह तक जिले के डेढ़ दर्जन गांवों की पदयात्रा की और गांव-गांव, गली-गली में इप्टा का संदेश पहुंचाया था। आज उसी विरासत को संजोते हुए और आगे बढ़ाते हुए इप्टा के नेतृत्त्व में प्रदेश में ढाई आखर प्रेम यात्रा निकाली जा रही है।
कोंच नगर में यात्रा आनंद शुक्ला महिला महाविद्यालय पहुँची। यहाँ प्रदेश यात्रा समन्वयक एवं राज्य महासचिव इप्टा, शहज़ाद रिज़वी ने कहा कि यह यात्रा महान क्रांतकारी अमर शहीद तात्या टोपे की कर्म भूमि जनपद के ग्राम चुर्खी से 18 नवंबर को शुरू हुई और जनपद के विभिन्न गाँवों का भ्रमण करते हुए आज पांचवें दिन कोंच में पहुंची है। इस यात्रा का उद्देश्य देश की साझा संस्कृति, साझा विरासत को मजबूत करना है ताकि प्रेम और सौहार्द की भावना के साथ देश में समता और एकता को स्थापित किया जा सके। इसी क्रम में यात्रा के स्थानीय संयोजक, देवेंद्र शुक्ला ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत विविधता का देश है और यही इसकी सबसे बड़ी खूबसूरती है जिसे बरकरार रखना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ से पधारे इप्टा के प्रांतीय अध्यक्ष, मणिमय मुखर्जी ने जनगीत प्रस्तुत किए। छत्तीसगढ़ से नाचा गम्मत के कलाकार के द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक का मंचन काफी रोचक एवं प्रभावशाली रहा।
जत्थे में शामिल सभी कलाकारों ने मिलकर गीत -“ढाई आखर प्रेम का पढ़ने पढ़ाने आए हैं, हम भारत में नफरत के हर दाग़ मिटाने आए हैं” – को बेहद खूबसूरत ढंग से प्रस्तुत किया। स्थानीय सांस्कृतिक संस्था की अवनी दीक्षित और हिमानी राठौर के देशभक्ति गीतों ने समां बांध दिया। उपस्थित लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच छत्तीसगढ़ के नाचा गम्मत कलाकार निसार अली, आलोक बेरिया और देवनारायण साहू भी अपने नुक्कड़ नाट्य प्रदर्शन के ज़रिये न सिर्फ अपने संदेश को प्रभावी ढंग से लोगों के दिलों दिमाग तक पहुंचाया बल्कि उनके बेहद आकर्षक मनोभावों ने सभी को झकझोर डाला।
इस मौके पर आनंद शुक्ला महिला महाविद्यालय, कोंच के प्रबंधक, विक्कू शुक्ला, प्राचार्य डॉ शैलेंद्र कुमार द्विवेदी को यात्रा समंवयक शहज़ाद रिज़वी, छत्तीसगढ़ इप्टा के प्रांतीय अध्यक्ष, मणिमय मुखर्जी, स्थानीय यात्रा संयोजक देवेन्द्र शुक्ला, राज पप्पन आदि उरई इप्टा के साथियों ने ढाई आखर प्रेम की यात्रा का प्रतीक अंग-वस्त्र पहनाकर सम्मानित किया गया। इस दौरान डॉ. नौशाद हुसैन, डॉ. अखिलेश, विक्रम सोनी, डॉ. हरिमोहन पाल, आलोक शर्मा ,अंजना द्विवेदी, ऋतु रावत, आकाश निगम, डॉ. गौरव श्रीवास्तव, नरेंद्र परिहार, विजय सिंह, मृदुल दातरे, प्रेम शंकर अवस्थी, अंकुर राठौर, ट्रिंकल राठौर, मानवेंद्र कुशवाहा, यूनुस मंसूरी, निखिल कुशवाह, दानिश आदि मौजूद रहे।
महाविद्यालय में कार्यक्रम समाप्त कर जत्था कोंच नगर के भ्रमण पर निकल पड़ा। नगर वासियों ने जगह-जगह पर यात्रा में शामिल कलाकारों का बड़े उत्साह और गर्म जोशी के साथ स्वागत किया। कोंच में ही यात्रा इप्टा के संरक्षक और कोच निवासी, ठाकुरदास वैद्य की जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने उनके प्रतिष्ठान गैस एजेंसी पहुंचा। यहाँ जत्थे में शामिल सभी साथियों ने स्वतन्त्रता सेनानी एवं वामपंथी विचारक कॉमरेड वैद्य और उनकी पत्नी के चित्र पर दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण किया। कस्बे के भ्रमण करने के उपरांत यात्रा का जत्था अगले पड़ाव के लिए रवाना हुआ ।
वास्तविक भारत गांव में बसता है – इस बात की प्रमाणिकता को धरातल पर साबित किया है – मध्य प्रदेश राज्य की सीमा से सटे जनपद जालौन के ग्राम महेश पुरा ने। गांव की सीमा में पहुँचने पर ग्राम प्रधान, राम प्रकाश कुशवाहा ने जत्था का ज़ोरदार स्वागत किया। गांव के ही मार्ग में इप्टा लखनऊ और छत्तीसगढ़ के नाचा गम्मत कलाकारों ने कई नुक्कड़ नाटक और लोकगीत प्रस्तुत कर बच्चे, युवा, महिलाओं, बुजुर्गों – सभी को आकर्षित किया। वहां बड़ी संख्या में लोग कलाकारों की प्रस्तुति देखने के लिए आतुर दिखाई दिए। बाद में जत्था विश्व प्रसिद्ध विद्वान राहुल सांकृत्यायन द्वारा स्थापित संस्कृत पाठशाला स्थल पर पहुंचा। यहाँ महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने अपने प्रवास के दौरान काफी वक़्त बिताया था। यहां संस्कृत विद्यालय की स्थापना कर इस गांव को इतिहास का हिस्सा बनाकर अविस्मरणीय सौगात दी।
जत्थे में शामिल सभी लोगों को महेशपुरा में कई अनोखे अनुभव प्राप्त हुए। सर्वप्रथम तो महेश पुरा ग्राम के प्राकृतिक सौंदर्य और आबोहवा ने सभी के अंदर उत्साह और स्फूर्ति भर दी। हर कोई अपनी यात्रा की थकान को पूरी तरह से भूलकर सिर्फ वहां के ऐतिहासिक स्थलों और प्राकृतिक सौंदर्य देख आश्चर्यचकित हो रहा था।
|| पहूज और धमना के संगम स्थल महेशपुरा में दिखा अद्भुत नज़ारा||
पहूज और धमना – दो नदियों के संगम स्थल के बीहड़ में बसा महेशपुरा गांव जालौन जिले की सीमा का अंतिम गांव है। यह गांव मध्य प्रदेश राज्य के भिंड जिले की सीमा से जुड़ा हुआ है, लिहाजा यहां की संस्कृति में बुंदेलखंड के दतिया, भिंड और जालौन का मिश्रण स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है। यहाँ एक-दो नहीं कई अद्भुत और चौंकाने वाले दृश्य दिखाई दिए। गाँव के समीप प्राकृतिक पाताल तोड़ कुएं, प्राकृतिक जलस्रोत झरने के रूप में नजर आए। ग्रामवासी यशपाल सिंह राठौड़ ने बताया कि यह झरने अनवरत रूप से बहते हैं। ग्राम प्रधान, राम प्रकाश कुशवाहा, कंचन कुशवाहा, पान सिंह वर्मा एवं राजेंद्र कुशवाहा, आदि ने गांव से जुड़ी अन्य रोचक जानकारियां दी । उन्होंने बताया कि यहां संस्कृत पाठशाला के समीप एक विशालकाय बरगद का पेड़ है जो लगभग 400 वर्ष पुराना है।
महेशपुरा में कार्यक्रम के दौरान 75 वर्षीये वृद्ध महिला कलाकारों की प्रस्तुति से इस कदर प्रभावित हुईं कि उन्होंने अपने घूँघट से थोड़ा चेहरा बाहर निकालते हुए समीप बैठे अपने 60-65 वर्षीये देवर से मज़ाकिया लहजे में कहा – “यह सब तो तुम भी कर सकते हो कि नहीं, करते काहे नहीं !” जिस खूबसूरत भाव के साथ उन्होंने अपनी अभिव्यक्ति की हमें बड़ी खुशी और संतुष्टी का एहसास हुआ – ऐसा लगा जैसे हमें यात्रा का हासिल मिल गया हो।
एक जगह कार्यक्रम की समाप्ति से कुछ ही समय पहले एक महिला तेज कदमों के साथ आई और पूछने लगी कि क्या अभी कार्यक्रम चल रहा है ? उन्होंने बताया कि वह अपने घर के काम में व्यस्त थीं जब उन्हें पता चला कि बहुत अच्छे कार्यक्रम हो रहे हैं तो वह खुद को रोक न सकी और भागी-भागी यहां चली आईं।
जत्था के साथियों के साथ जंगल में मंगल वाली बात महेशपुरा में चरितार्थ हुई। देर शाम ग्राम प्रधान राम प्रकाश ने घने जंगल के बीच यात्रा में शामिल लोगों को चने की साग, बाजरे की रोटी, गुड़ तथा दाल का भोजन कराया। भोजन इतना स्वादिष्ट था कि हर कोई खुले दिल से तारीफ किए बिना न रह सका।
मन जब अधिक प्रसन्न होता है तो व्यक्ति को थकान महसूस नहीं होती। ऐसा उस वक्त महसूस हुआ जब देर शाम यात्रा के साथियों को विदा करने के लिए स्थानीय लोग गाँव की सरहद से दूर तक छोड़ने आए। बिछड़ते वक्त सभी भाव विभोर हो गए । महेश पुरा से यह यात्रा अपने अगले पड़ाव उरई पहुँची और सभी साथियों ने भोजनोपरांत रात्रि विश्राम किया।
सांस्कृतिक यात्रा के काफिले में प्रदेश समन्वयक एवं राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी, छत्तीसगढ़ इप्टा के प्रांतीय अध्यक्ष मणिमय मुखर्जी, स्थानीय यात्रा संयोजक देवेंद्र शुक्ला, उरई इप्टा के सचिव दीपेंद्र सिंह, राष्ट्रीय समिति सदस्य-राज पप्पन, प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ सुभाष चन्द्रा, डॉ धर्मेंद्र कुमार, संजीव गुप्ता, संतोष, अमजद आलम छत्तीसगढ़ की नाचा गम्मत शैली के कलाकार निसार अली, आलोक बेरिया, देवनारायण साहू, इप्टा लखनऊ के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव, इच्छा शंकर, विपिन मिश्रा, वैभव शुक्ला, तन्मय, हर्षित शुक्ला, हनी खान, अंकित यादव, प्रदीप तिवारी एवं राहुल पांडे आदि सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
रिपोर्ट: शहज़ाद रिज़वी