बड़वानी | 25 दिसंबर 2023
ढाई आखर प्रेम यात्रा के अंतर्गत तीसरे दिन यात्रा का प्रारंभ अहिंसक आंदोलन के प्रेरणा केंद्र तथा बड़े बांधों के दुष्प्रभाव पर सारी दुनिया को सजग करने वाले ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ के कार्यालय में पहुंची। यहां सादगी और मानवीय गरिमा के इस केंद्र के हर कक्ष में मेधा पाटकर की छाप देखी गई।
आंदोलन के प्रमुख मुकेश भगोरिया ने बताया कि जन सहयोग से बने इस भवन में प्रार्थना कक्ष, प्रशिक्षण कक्ष, कंप्यूटर कक्ष आदि हैं, जिन्हें विख्यात चित्रकार विमल भाई ने सजाया है। भवन के लिए भूमि एक जैन परिवार तथा रेती, लकड़ी सहित अन्य निर्माण सामग्री स्थानीय ग्रामीणों और आदिवासियों ने जुटाई थी। यहां मौजूद विस्थापित आदिवासियों, पीड़ित किसानों के मुकदमों की हजारों फाइलें शासन की बेरुखी बदनियति की अनेक कहानियों को समेटे है।
आंदोलन के इस तीर्थ स्थल से प्रेरित होकर यात्री अपने अगले पड़ाव नर्मदा नगर के उस क्षेत्र में पहुंचे जहां नर्मदा की पंचकोशी परिक्रमा में शामिल तीर्थ यात्री विश्राम कर रहे थे। बड़ी तादाद में मौजूद यात्रियों को ढाई आखर प्रेम यात्रा के बारे में आंदोलन के कार्यकर्ता वहीद मंसूरी ने जानकारी दी। अपने संबोधन में हरनाम सिंह ने सभी यात्रियों की मनोकामनाएं पूरी होने की शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि हम सभी यात्री चाहते हैं कि समाज और देश में अमन-चैन, भाईचारा, बहानापा बना रहे। हमारे लक्ष्य समान है। पड़ाव स्थल पर निसार अली सहित अनेक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी। विलास बुंबरु ने आदिवासी संघर्ष की पहचान का गीत ‘गांव छोड़ब नाही, जंगल छोड़ब नाहीं, माय माटी छोड़ब नाहीं, लड़ाई छोड़ब नाहीं’ गाया।
यात्रियों का अगला पड़ाव ग्राम कवठी था यहां यात्रा के कलाकारों के अलावा स्थानीय गायक पन्नालाल पाटीदार, अमर सिंह रावत, मुकेश पाटीदार, धन्नालाल पाटीदार, धर्मेंद्र पनवेल, श्रीराम पाटीदार, मधु वर्मा ने ‘तेरा जीवन सफल हो जाए रे रेवा मैया’ का गायन किया। विनीत तिवारी ने ‘जिंदगी ने एक दिन कहा कि तुम लड़ो, तुम लड़ो, तुम लड़ो’ गीत गाया। जत्थे में शामिल अन्य कलाकारों के अलावा बड़ी तादाद में उपस्थित महिलाओं ने भी भजन गाए।
प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर नर्मदा पूजन के लिए सरदार सरोवर बांध में रोके गए पानी को बिना पूर्व सूचना के छोड़े जाने से क्षेत्र के 193 गांव डूब गए। इन गांवों में बड़ी तेजी से नर्मदा का जल भरने लगा। ग्रामवासी अपने प्राण बचाकर भागने पर विवश हुए। ऐसे ही एक गांव में तबाही का मंजर देखने के लिए ढाई आखर प्रेम का जत्था एकलवारा मूल गांव पहुंचा। यहां अनेक घर उजड़ चुके हैं। ग्रामीणों की संग्रहित फसल नष्ट हो गई, पशु मारे गए। ग्रामवासी गंगाराम ने बताया कि इस अमानवीयता के चलते पांच लोगों की मौत हो गई। उनकी 200 क्विंटल सोयाबीन नष्ट हो गई। अनेक पशु मारे गए हैं। नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता अधिकारियों से मिले। डिप्टी कलेक्टर ने निरीक्षण किया लेकिन आज तक किसी को मुआवजा नहीं मिला है।
सरदार सरोवर बांध परियोजना अंतर्गत वर्षा काल में बांध भरने के दौरान कितने गांव किस लेवल तक डूबेंगे इसका आकलन किया जाता है। देवी सिंह तोमर, जगदीश सिंह मंडलोई ने बताया कि सरकार का 99 प्रतिशत आकलन गलत है। डूब क्षेत्र में आने वाले घर, गांव में लगाए निशान बेमानी साबित हो चुके हैं। केंद्रीय जल आयोग द्वारा नियुक्त कमेटी के रिपोर्ट फर्जी है। सरकार प्रभावित किसानों को पुनर्वास नीति के तहत मुआवजा बांट रही है जो नुकसान के मुकाबले बेहद कम है। जबकि किसान अधिक मुआवजे की हकदार हैं।
यहां से यात्रा आंदोलन के सक्रिय कार्यकर्ता वकील योगेंद्र सिंह तोमर के आतिथ्य को स्वीकार करते हुए सेमल्दा गांव पहुंची। यहां एकत्र ग्रामीणों को संबोधित करते हुए विनीत तिवारी ने कहा कि नर्मदा बचाओ आंदोलन नर्मदा के साथ मानव को बचाने का काम कर रहा है। हम कलमकार और कलाकार आपके संघर्षों को समर्थन देने के लिए संतों की प्रेम की वाणी को लेकर आए हैं। यहां अन्य कलाकारों के अलावा छत्तीसगढ़ रायपुर से आए नाचा गम्मत शैली के कलाकार निसार अली ने जीवन यदु का गीत ‘जब तक रोटी के प्रश्नों पर रखा रहेगा भारी पत्थर’ गीत गाया।
तीसरे दिन के अंतिम पड़ाव धर्मपुरी (यह शहर भी डूबा था) में यात्री बस स्टैंड पर आयोजित सभा में शामिल हुए विनीत तिवारी ने यात्रा की जानकारी देते हुए कहा कि जल, जंगल, जमीन पर कब्जा करने की होड़ लगी है। आम लोगों की सोच को भ्रष्ट किया जा रहा है। पहले यह काम टेलीविजन करता था अब उसमें मोबाइल भी जुड़ गया है। डूब में आने वाले परिवारों की पीड़ा को महसूस किया जाना चाहिए। मंच पर विराजित एडवोकेट दीदार खान और विक्रम वर्मा ने कहा कि विश्व तो मुट्ठी में है। लेकिन समाज में दूरियां बढ़ गई है। यहां भी जत्थे के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी। संचालन मुकेश भाई ने किया।
रिपोर्ट: हरनाम सिंह