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श्रम, ज्ञान और प्रेम का रिश्ता मज़बूत करना ज़रूरी

05 जनवरी 2024, सूरत।

आज सुबह ढाई आखर प्रेम यात्रा के सहयात्री कीम से सुबह 10.30 बजे सूरत के लिए निकले। कीम में हमारे मेजबान उत्तमभाई परमार ने हमारी आगे दांडी तक कि यात्रा के लिए एक छोटी बस का इंतजाम कर दिया था और कीम से जत्थे में हमारे संग बड़ोदा से आईं हुईं पारुल बहन दांडीकर भी साथ हो लीं और मुम्बई से आये गायक फ़राज़ और उनके संगतकार बांसुरीवादक साथी उत्कर्ष और तबलावादक रौशन गाइकर भी। इस तरह हम वाहन सारथी जीतू भाई सहित 12 लोग दोपहर क़रीब 12 बजे सूरत में नवसर्जन संस्था में पहुँचे। यह संस्था बच्चों के अधिकारों और कचरा-पन्नी बीनने वाले मजदूरों को संगठित करने का काम करती है।

वहाँ कच्चे सूत की माला पहनाकर सूरत शहर के गणमान्य वरिष्ठजनों ने यात्रियों का स्वागत किया। इनमें विभिन्न गांधीवादी, सर्वोदयी सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि तो थे ही, कुछ साथी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, शांति एवं एकजुटता संगठन (एप्सो), प्रगतिशील लेखक संघ, एटक और इंटक एवं भारतीय महिला फेडरेशन के भी प्रतिनिधि थे।

सबसे व्यक्तिगत परिचय हुआ और फिर छत्तीसगढ़ के कलाकार निसार अली ने दमादम मस्त कलंदर गीत गाया। यात्रा के उद्देश्यों और पूरी योजना तथा अब तक की यात्रा के अनुभवों को संक्षेप में रखते हुए विनीत तिवारी ने कहा कि यह यात्रा इस उद्देश्य के साथ की जा रही है कि श्रम, ज्ञान और प्रेम के बीच बढ़ती जा रही दूरी को कम किया जा सके और सूफ़ी तथा संत कवियों के सैकड़ों वर्षों पुराने इंसानियत के संदेशों को लोगों को याद दिलाया जाए। इस प्रक्रिया में 17-18 राज्यों की यात्रा ने हमें इस अनुभव से समृद्ध किया है कि लोग बुनियादी तौर पर प्रेम, आपसी सद्भाव और इंसानियत के पक्षधर हैं। नफ़रत की ताक़तें बहुत थोड़ी हैं लेकिन वे विध्वंस की पक्षधर होने से अधिक ताकतवर नज़र आती हैं।
इप्टा बिहार के साथी पीयूष मधुकर ने अपने साथियों फ़िरोज़, राजन और संजय के साथ तीन राज्यों की यात्रा के अपने अनुभव साझा किए। यात्रा में सूरत में बिहार के मंसूर ख़ान नादान भी जुड़ गए जो सूरत में ही नौकरी करते हैं। यात्रा में अहमदाबाद से साथ आ रहे प्रलेस गुजरात के महासचिव रामसागर सिंह परिहार ने यात्रा के गुजरात पड़ाव की जानकारी दी। फ़राज़ ने अपना लिखा और कंपोज़ किया हुआ एक वीडियो गीत प्रोजेक्टर से दिखाया जो सर्वधर्म समभाव और सद्भाव पर आधारित था।

सूरत की यात्रा के कार्यक्रमों के मुख्य शिल्पकार श्री किशोरभाई देसाई और अतुल पाठकजी ने यात्रियों के लिए स्वागत शब्द कहे। इस आत्मीय  स्वागत कार्यक्रम में प्रोफेसर सूर्यकांत भाई शाह, नाटू भाई, चंद्रकांत भाई राणा, पद्माकर परसोले, लक्ष्मण भाई सुखाड़िया, मुम्बई से चारुल जोशी, राजेश हजीरावाला, मयूराबेन ठक्कर, महेश पटेल, विजय शेनमारे, जयमिन्द देसाई, उर्मिलाबेन राणा, दीपिका पाठकजी, समीर मैकवान, कमलेश त्रिवेदी आदि उपस्थित थे। सुगीत पाठकजी ने सभा का संचालन किया।

  • रिपोर्ट : विनीत तिवारी
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