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काबा फिर कासी भया

काबा फिर कासी भया, राम भया रहीम।
मोट चून मैदा भया, बैठ कबीरा जीम॥
– कबीर 

सांप्रदायिक सद्भावना के कारण कबीर के लिए काबा काशी में परिणत हो गया। भेद का मोटा चून या मोठ का चून अभेद का मैदा बन गया, कबीर उसी को जीम रहा है।

चित्र: डी सुरेन्द्र राव 
संयोजन: रजनीश साहिल