दिन में पाँच बार प्रार्थना की तो लोगों ने तुम्हें धर्मनिष्ठ कहा। जब युद्ध करके घर वापस लौटकर आए तो लोगों ने तुम्हें वीर कहा। जब तुम न्याय की कुर्सी पर चढ़कर बैठे तो लोगों ने तुम्हें न्यायाधीश कहा। लेकिन ये सब उपाधियाँ व्यर्थ हैं। अगर तुम अपने प्रिय को नहीं मना सके तो तुमने कुछ भी नहीं पाया।
– बुल्ले शाह
When you prayed five times a day, people called you religious. When you returned home after the war, people called you a hero. When you sat on the chair of justice, people called you judge. But all these titles are useless. If you didn’t convinced your beloved then you have achieved nothing.
– Bulle Shah
Poster: Rajneesh Sahil