प्रिय दोस्तों,
भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) का गठन 1943 में एक राष्ट्रीय सांस्कृतिक संगठन के रूप में हुआ जिसका उद्देश्य भारत के लोगों के बीच सांस्कृतिक जागृति पैदा करना है। प्रेम, शांति, सद्भाव, विविधता, समावेशी संस्कृति और एकजुटता का संदेश फैलाने के लिए इप्टा ने अब तक देश के विभिन्न हिस्सों में 20 से अधिक सांस्कृतिक यात्राएं आयोजित की हैं।
हमारी आखरी यात्रा 2022 में निकली थी, जो रायपुर (छत्तीसगढ़) से शुरू होकर इंदौर (मध्य प्रदेश) में समाप्त हुई। 44 दिनों यानि सवा महीने चलाने वाली इस यात्रा में हमने पाँच राज्यों – छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश की कई जगहों में इप्टा का संदेश पहुंचाया। इस यात्रा में गीत, कविता, रंगमंच और नए समय को संबोधित करती सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों के साथ प्रेम, सौहार्द और आपसी सम्मान के मिले-जुले धागों को बुना। इस वर्ष भी हमने इस सिलसिले को बरकरार रखा है और “ढाई आखर प्रेम” के नाम से एक राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था (यात्रा) 28 सितंबर, 2023 को भगत सिंह की जयंती के अवसर पर राजस्थान से शुरू होगी। इसका समापन 30 जनवरी, 2024 को “शहीद दिवस” पर नई दिल्ली में होगा। इस जत्था के पीछे निहित है वह भावना जिसमें हम उन बलिदानियों को विस्मृत न करें जिनकी बदौलत हमारे देश में अनेकता में एकता की भावना फलती-फूलती रही। इसकी रक्षा के लिए उन बलिदानियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। यह जत्था आपसी प्रेम, शांति और सौहार्द का उत्सव है जो दुनिया में व्याप्त नफ़रत और अविश्वास की भावना के जवाब में हम संस्कृतिकर्मियों और जिम्मेदार नागरिकों की ज़रूरी पहल है।
जाथा, जत्था, यात्रा जैसे कई हर्फ़ हमें अपनी भाषा में मिल जाएंगे, जिस भी नाम से पुकारो उसका मूल तत्व उसमें मौजूद रहेगा। यह जत्था पूरे देश में पैदल यात्रा कर गाँव-गाँव से गुज़रेगा। इस जत्था के रास्तों में मिलने वाले लोगों के सम्मान में हम गीत गाएंगे, नृत्य करेंगे, नाटक प्रस्तुत करेंगे, हथकरघा से बनीं चीज़ें लोगों से साझा करेंगे जिन्हें आज लोग विस्मृत कर चुके हैं, अपनी माटी में रंगे प्रेम के धागों को बुनने और बांटने वाले समाज सुधारकों, संतों, कलाकारों, लोक-कलाकारों, कवियों और आज़ादी के दीवानों को याद करते उनके जन्म और कर्मस्थली जाएंगे। इस यात्रा का उद्देश्य अपने लोगों से गहरी समझ बनाना, संवाद करना, विविध रूपों और स्थायी रूप से जुड़ने और जोड़ने की गंभीर सार्थक पहल है। ‘ढाई आखर प्रेम” जत्था गंगा-जामुनी तहज़ीब की ऊष्मा से भरा स्वतंत्रता, समता, न्याय और एकजुटता को फिर से पाने और जीने की कोशिश के साथ इसे पुनः समाज में स्थापित करने का प्रयास है जिसे नफरत, विभाजन,अहंकार और पहचान की वर्तमान राजनीति ने बड़ी क्रूरता से कमज़ोर कर दिया है।
बतौर आम नागरिक हम कठिन दौर से गुज़र रहे हैं पर फिर भी हमारी उम्मीदें और सपने कबीर के छंदों और गांधी की प्रार्थनाओं में ज़िंदा हैं, सांस लेते हैं और हमारे दिलों में धड़कते हैं। किसान, कलाकार, श्रमिक, बुद्धिजीवी, ज़मीनी कार्यकर्ता और युवा अपने बुनियादी मूल्यों को पुनर्जीवित करके, पोषित करके एक साथ निकलेंगे, एक साथ आएंगे, वे मिलकर हमारे घर, समाज और देश के धर्म-निरपेक्ष ताने-बाने को कसेंगे, संरक्षित करेंगे। यह जाथा हमारी आने वाली नस्लों के लिए ऐसी दुनिया को बनाने का ख़्वाब है जो सिर्फ़ ख़यालों तक नहीं बल्कि ज़मीन पर उतारने का हौसला है इसी के बूते हम रच पाएंगे, गा पाएंगे और जी पाएंगे मुक्ति के आदर्श।
मानव मुक्ति और प्रेम शहीदों, समाज सुधारकों, भक्ति आंदोलन के कवियों और सूफी संतों का आदर्श रहा है , हमारा जत्था शहीदों को याद करने, समाज सुधारकों के रास्ते पर चलने की सीखों को जीने का, भक्ति और सूफी परंपरा के हमारे पुरखों को जीने और बरतने का संकल्प होगा। भाषा, जाति, लिंग और धर्म के आधार पर भेद को मिटाने का साहस असल में प्रेम और उम्मीद की अभिव्यक्ति होगी । ढाई आखर प्रेम की यात्रा होगी स्वतंत्रता और एकजुटता का उत्सव और न्याय की दस्तक।
“ढाई आखर प्रेम” यात्रा में इप्टा सभी प्रगतिशील सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों, कलाकारों, कवियों, लेखकों, संगीतकारों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक-सांस्कृतिक पर्यावरण कार्यकर्ताओं के साथ आम जन को भी इस सामूहिक श्रम में सहभागिता के लिए आवाज़ दे रही है, आमंत्रित कर रही है। आइए ! हम इस जत्थे को प्रेम, ऊर्जा, ऊष्मा, करुणा, सद्भाव, शांति और एकता से भरकर, सब मिलकर अपनी आवाज़ बुलंद करें। आप हमारे दोस्त, सहयोगी और सहयात्री के रूप में इस राष्ट्रीय अभियान में सहज ही समान रूप से शामिल हो सकते हैं, हम आपका दिल से स्वागत करते हैं।
आप हमें किसी भी रूप में सहयोग कर सकते हैं, जुड़ सकते हैं। हमारा विश्वास है कि जब हम एक साथ कदम आगे बढ़ाएंगे तो वो चाहे छोटा हो या बड़ा, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता बल्कि साथ चलने से यह हमारी एकजुटता और सामूहिकता को पल्लवित-पुष्पित करेगा और मज़बूत करेगा। आपसे आग्रह है कि आप किसी भी जगह अपनी क्षमता के मुताबिक हमारे जत्थे में शामिल हो सकते हैं, इस जत्था का रूट इस प्रकार है:
जत्था मार्ग/रूट:
राज्य | दिनांक | राज्य | दिनांक | |
राजस्थान | 28-09 to 01-10 | तमिलनाडु | 13-12 to 17-12 | |
केरल | 02-10 to 08-10 | आंध्र प्रदेश | 18-12 to 22-12 | |
बिहार | 09-10 to 14-10 | मध्य प्रदेश | 23-12 to 27-12 | |
पंजाब | 27-10 to 30-10 | पश्चिम बंगाल | 28-12 to 01-01 | |
उत्तराखंड | 31-10 to 03-11 | तेलंगाना | 02-01 to 06-01 | |
ओडिशा | 04-11 to 07-11 | छतीसगढ़ | 07-01 to 12-01 | |
जम्मू कश्मीर | 08-11 to 12-11 | गुजरात | 13-01 to 16-01 | |
उत्तरप्रदेश | 18-11 to 23-11 | पॉन्डिचेरी | 17-01 to 18-01 | |
उत्तर पूर्व राज्य | 24-11 to 30-11 | महाराष्ट्र | 19-01 to 24-01 | |
कर्नाटक | 01-12 to 07-12 | मुंबई | 25-01 to 26-01 | |
झारखंड | 08-12 to 12-12 | हरियाणा और दिल्ली | 27-01 to 30-01 |
आपसे आग्रह है और यह विश्वास भी है कि आप सोशल मीडिया पर ऑडिओ-विजुअल और लिखित सामग्री को यात्रा के समर्थन के सामूहिक संदेशों को साझा करने में संकोच नहीं करेंगे। आपके द्वारा नाटकों, गीतों, कविताओं, कहानियों, चित्रों या कला के अन्य किसी भी माध्यम से आप अपना योगदान कर सकते हैं जो किसी भी बोली या भाषा में सहज स्वीकार्य है, उनका स्वागत है। आपके द्वारा किया गया प्रयास इस यात्रा की कामयाबी के लिए, हम सबके लिए महत्वपूर्ण है। इस जाथा के लिए आपका वित्तीय योगदान भी हमारे लिए मददगार होगा जिसके द्वारा हम इस जत्थे में कई ऐसी शख्सियतों को लाने में, जोड़ने में सक्षम होंगे जो संसाधनों के अभाव में चाहकर भी जुड़ पाने में असमर्थ होंगे जबकि उनकी उपस्थिति जत्था के लिए, आमजन के लिए उत्प्रेरक का काम करेगी।
अधिक जानकारी के लिए, कृपया हमसे संपर्क करने में संकोच न करें।
हम आपकी उपस्थिति-आपकी भागीदारी-आपके समर्थन की अत्यधिक आशा रखते हैं।
हम सभी मामलों में आपकी उदारता, सहभागिता के लिए आपको अग्रिम धन्यवाद देते हैं।