डाली छेड़ूँ न पत्ता न कोई जीव सताऊं पात पात में प्रभू बसत वहि को शीस नवाऊँ तोड़े से जो न चटके ऐसो सूत कताऊँ ये गमछो है प्रेम को गमछों सब काहु को उड़ाऊं प्रेम राग है सहज सुरीलो सब संग मिलि के गाऊं प्रेम राग है सहज सुरीलो सब संग मिलि के गाऊं […]
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Love, the Sweetest Raga: Raghubir Yadav
