(राजस्थान जत्था: दूसरा दिन)
देश के कुछ संस्कृतिकर्मियों ने, खासतौर से राष्ट्रीय भारतीय जन नाट्य संघ इप्टा ने एक सांस्कृतिक अभियान के तौर पर पूरे देश के विभिन्न अंचलों में ” ढाई आखर प्रेम” शीर्षक से एक सांस्कृतिक सद्भाव यात्रा की शुरुआत की है।इसी क्रम में कल शहीद-ए-आजम भगतसिंह के जन्मदिन 28सितंबर से राजस्थान के पूर्वी द्वार अलवर से इसकी शुरुआत हुई ।
उल्लेखनीय है कि अलवर आज से नहीं, पिछली पांच सदियों से भी अधिक समय से एक मिलीजुली संस्कृति का अंचल रहा है।आज भी है। मध्यकाल में यह खूब फली फूली।भक्ति आंदोलन ने इसको व्यापकता और गहराई दोनों दीं। जिससे यहां एक मेव परिवार में लालदास जैसा संत पैदा हुआ, जिसने हिंदू मुस्लिम धर्मों से अलग एक इंसानियत प्रधान धर्म चलाया।
उन्होंने कहा –
“दोनू दीनन सू जायगौ, लालदास कौ साध”
आधुनिक काल में भी इसका एक शुरुआती लोकतांत्रिक संस्कृति की तरह विकास हुआ लेकिन धीरे-धीरे पिछले कुछ सालों से देश की जनता को धार्मिक तौर पर विभाजित कर उन संकीर्ण एवं संकुचित विषाणुओं ने इस पर हमला किया है जो सत्ता हासिल करने के लिए इस तरह के हथकंडों को काम में लाता है। इस तरह की नफ़रत पर आधारित राजनीति को सद्भाव की गांधीवादी संस्कृति से ही दूर किया जा सकता है।
आज अलवर में दूसरे दिन की यात्रा की शुरुआत मोती डूंगरी पर स्थित सैय्यद बाबा की मज़ार और हनुमान मंदिर जैसे संयुक्त परिसर से सुबह सात बजे हुई। उल्लेखनीय है कि इसमें यहां के स्थानीय सांस्कृतिक मंच जैसे जनवादी महिला समिति, जनवादी लेखक संघ, सृजक संस्थान, भारत परिवार आदि अलवर इप्टा के साथ सहयोग करते हुए इसमें भागीदारी कर रहे हैं।आज यह यात्रा शहीद चन्द्रशेखर, विवेकानंद स्मारक , अंबेडकर चौराहा, राव तुलाराम पर स्थित प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करती हुई हसनखां मेवाती पेनोरमा और राजर्षि भर्तृहरि पेनोरमा से होती हुई धौली दूब गांव स्थित संंत लालदास के मंदिर तक पहुंची। यहां छत्तीसगढ़ नाचा के कलाकारों ने एक नाटक का मंचन किया।
इस यात्रा का नेतृत्व राष्ट्रीय इप्टा अध्यक्ष और कर्नाटक निवासी श्री प्रसन्ना कर रहे हैं।उनके साथ राष्ट्रीय इप्टा के कार्यकारी अध्यक्ष लखनऊ वासी राकेश वेदा, राष्ट्रीय सचिव झारखंड वासी शैलेन्द्र, राष्ट्रीय प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव सुखदेव सिंह सिरसा, राजस्थान इप्टा के महासचिव राकेश जी और स्थानीय लेखक, संस्कृतिकर्मी चल रहे हैं।
इस जत्थे में महिलाओं की भागीदारी बेहद उत्साहवर्धक है। जोधपुर के पीपाड़ कस्बे के बाल नाटककारों की टीम का उत्साह देखने लायक है। जोधपुर, जयपुर के कलाकारों का भी इसको पूरा सहयोग मिल रहा है। अलवर में इसका संयोजन और संचालन अलवर इप्टा सचिव डा सर्वेश जैन, जनवादी महिला समिति की नेता रईसा, और अलवर जलेस इकाई के सचिव डा. भरत मीना कर रहे हैं। यह यात्रा तीन दिनों तक आसपास के गांवों में सद्भाव वार्ता और नाट्य मंचन तथा वहीं रात्रि विश्राम कर 2 अक्टूबर को अलवर वापस आयेगी।
रिपोर्ट: जीवन सिंह मानवी