Prasanna in his speech given in Jammu on 15th November 2023 during the Dhai Aakhar Prem Jatha explains why we are doing this Jatha. प्रसन्ना ने 15 नवंबर 2023 को जम्मू में ढाई आखर प्रेम जत्था के दौरान दिए अपने भाषण में बताया कि हम यह जत्था क्यों निकाल रहे हैं।
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অমলেন্দু দেবনাথ (IPCA – পশ্চিমবঙ্গ চেয়ারম্যান) বাংলায় ঢাই আখর প্রেম যাত্রার কথা বলেছেন. Amalendu Debnath (Chairman of IPCA, West Bengal) explains about Dhai Aakhar Prem Yatra in Bangla. अमलेंदु देबनाथ (IPCA-WB के चेयरमैन) बांग्ला में ढाई आखर प्रेम यात्रा के बारे में बताते हुए।
इंदौर। 22 दिसम्बर 2023. अनेक संगठनों द्वारा आयोजित “ढाई आखर प्रेम” यात्रा के शुभारंभ में जन संस्कृति का अनूठा स्वरूप सामने आया। गांधी हाल प्रांगण में नाटक, नृत्य, व्याख्यान, पोस्टर, पुस्तक, खादी वस्त्रों की प्रदर्शनी के साथ श्रम के सम्मान की अभूतपूर्व प्रस्तुति हुई। इंदौर के अलावा देवास, मंदसौर, अशोक नगर, छतरपुर, सेंधवा से आए […]
इस गीत को इप्टा जमशेदपुर के नन्हे साथियों ने राजबासा (पूर्वी सिंगभूम, झारखण्ड) में ‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रा के दौरान 9-दिसम्बर-2023 को गया था.This song was performed by young members of Little IPTA, Jamshedpur during the ‘Dhai Akhar Prem’ Jatha at Rajabasa (East Singhbhum, Jharkhand) on 9-December-2023. गीत और धुन: मनीष श्रीवास्तव Lyrics and composition: […]
Jharkhand’s famous artist, Ganesh Murmu explains in his song, what is Dhai Akhar Prem? Love is everything to human beings. The whole world exists in this love. Love makes society beautiful and nourishes it too. Everything on this earth is useless without love. झारखण्ड के नामी कलाकार, गणेश मुर्मू अपने गीत में बताते हैं कि […]
Shailendra Shaili in Conversation with Vineet Tiwari, National Secretary of Progressive Writers Association.
31 अक्टूबर, देहरादून । ढाई आखर प्रेम-रास्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था प्रेम,एकजुटता और आपसी सदभाव की यात्रा 28 सितम्बर 23 से 30 जनवरी 24 तक देश भर में चल रही है। “ढाई आखर प्रेम” नामक इस राष्ट्रीय अभियान में प्रेम,शांति और सामाजिक सदभाव चाहने वाले सभी देशवासियों का स्वागत है। यह राष्ट्रव्यापी सांस्कृतिक जत्था (पदयात्रा) 28 सिम्बर […]
सुभाष रायप्रधान संपादक,जन सन्देश टाइम्स बसवन्ना ने कभी अपने हाथ से बने कपड़े का, प्रेम, करुणा और श्रम का महत्व समझा था। उनके समय में चरखा एकमात्र मशीन थी। उनके काम को आगे बढ़ाया कबीर ने। उन्होंने हाथ से बाहर का करघा चलाया तो सांसों से भीतर का। एक करघे से सूत निकला। उससे गमछे […]