28 सितंबर, 2023 को भगत सिंह के जन्मदिन पर राजस्थान के अलवर से शुरू हुई ‘ढाई आखर प्रेम यात्रा’ को करने के मकसद में ढेर-सी बुनियादी बातें शामिल हैं जिनके अभ्यास से हम कहीं दूर होते जा रहे हैं। प्रेम करना दुष्कर कार्य हो चला है। सीखने की प्रक्रिया में ठहराव आ गया है। मनुष्यता […]
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|| श्रम को जीते लोग -2 || • अर्पिता • प्रेम में बड़ी ताकत होती है जिसके आगे ताकतवर हुक्मरान की भी नहीं चलती अगर वे गर्व, घमंड से भरे होते हैं। प्रेम मनुष्यता के साथ विनम्रता भी नवाज़ती हैं और हमें जटिलता से सरलता की ओर ले जाती है। कबीर ने कहा है: […]
सुभाष रायप्रधान संपादक,जन सन्देश टाइम्स बसवन्ना ने कभी अपने हाथ से बने कपड़े का, प्रेम, करुणा और श्रम का महत्व समझा था। उनके समय में चरखा एकमात्र मशीन थी। उनके काम को आगे बढ़ाया कबीर ने। उन्होंने हाथ से बाहर का करघा चलाया तो सांसों से भीतर का। एक करघे से सूत निकला। उससे गमछे […]
रावण मर गया!
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक त्यौहार ‘विजयादशमी’ हर साल पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। दशहरे से पहले कई जगह ‘रामलीला’ होती हैं। एक दौर था, जब ‘रामलीला’ सभी के आकर्षण का केन्द्र हुआ करती थीं। लोगों को इसका साल भर इंतज़ार रहता था। अदाकारी के शौक़ीन ‘रामलीला’ में अपना पार्ट […]
कबीर का मार्ग, वही पथ है
• अर्पिता • कहा गया है ‘महाजनो येन गतः स पंथा:’, यानि महापुरुष जिस मार्ग पर चले वही पथ है, वही रास्ता है। हम भी उसी रास्ते पर चलने के लिए तत्पर हैं। चलने वालों में न जाने कितनी बिरादरी के लोग साथ चलेंगे। ‘बिरादरी’ को यहाँ श्रम और कला से जोड़ कर देखा जाए। […]
गीत रचने, गाने और सुनने की मशक्कत
• दिनेश चौधरी • कलाओं से मेहनत के ताल्लुकात बड़े पुराने हैं। शरीर से मशक्कत करते हुए अनायास जो मुद्राएँ बन जाती हैं, या जो आवाजें फूटती हैं; वही नृत्य और गीत बन जाते हैं। नाव खेते हुए जब नाविक धार के उलट अपने बाजुओं पर जोर लगाता है तो “हइया हो हइया” का गीत […]
• अर्पिता • प्रेम में बहुत ताकत होती है लेकिन इसके यह मायने नहीं कि हम शेर से प्रेम कर बैठे पर क्या शेर से नफ़रत करना अनिवार्य है? उसी तरह से सोचिए कि क्या किसी विचार को समाज में,दुनिया में फैलाने के लिए किसी से नफ़रत करना अनिवार्य है? ज़रा ठहर कर इस बात […]
धीरे-धीरे सब बदलेगा: अहमद बद्र
(गीत) बदलेगी जीवन की धारा बदलेगा संसार ये सारा बदलेगा यह देश हमारा यह मत पूछो कब बदलेगा धीरे-धीरे सब बदलेगा ढोंग, दिखावा, रीति-रिवाज जात पात में बंटा समाज जिसकी लाठी उसका राज हम बदलेंगे तब बदलेगा धीरे-धीरे सब बदलेगा शिक्षा से बदलेगा जीवन खुशहाली होगी घर आँगन आएगा ऐसा परिवर्तन जीने का मतलब बदलेगा […]
Love wrapped in GAMCHA
(A Summary of the Essence of Dinesh Chaudhary’s Original Piece in Hindi) Love is both a universal and singular experience. To love and be loved is the essence of life. Love is a force to be reckoned with – tethering the earth to its axis. Love does not accept defeat – not even under the […]