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ढाई आखर प्रेम पद यात्रा: कबीरी गमछा

सुभाष रायप्रधान संपादक,जन सन्देश टाइम्स बसवन्ना ने कभी अपने हाथ से बने कपड़े का, प्रेम, करुणा और श्रम का महत्व समझा था। उनके समय में चरखा एकमात्र मशीन थी। उनके काम को आगे बढ़ाया कबीर ने। उन्होंने हाथ से बाहर का करघा चलाया तो सांसों से भीतर का। एक करघे से सूत निकला। उससे गमछे […]