इंदौर। 22 दिसम्बर 2023.
अनेक संगठनों द्वारा आयोजित “ढाई आखर प्रेम” यात्रा के शुभारंभ में जन संस्कृति का अनूठा स्वरूप सामने आया। गांधी हाल प्रांगण में नाटक, नृत्य, व्याख्यान, पोस्टर, पुस्तक, खादी वस्त्रों की प्रदर्शनी के साथ श्रम के सम्मान की अभूतपूर्व प्रस्तुति हुई। इंदौर के अलावा देवास, मंदसौर, अशोक नगर, छतरपुर, सेंधवा से आए कलाकारों, लेखकों से भरे सभागृह में देश में खादी की दुर्दशा पर चर्चा हुई। कबीर के प्रेम और भाईचारे के संदेश को सुनाया गया। आम जन द्वारा प्रस्तुत फैशन परेड ने सौंदर्य की नई परिभाषा बताई।
खादी की दुर्दशा पर प्रोफेसर कीर्ति त्रिवेदी ने खोज परक व्याख्यान में सरकार द्वारा किस तरह से खादी के स्वरूप को बदला गया है उसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि खादी के नाम पर बिकने वाले वस्त्रों को उद्योगपतियों के हवाले कर दिया गया है। आजादी के अमृत काल में देश के खादी भंडारों में अब खादी मिलना बंद हो गई है। मिलों में पॉलिएस्टर खादी के नाम पर बने वस्त्रों को बेचा जा रहा है। इन कपड़ों में 67 प्रतिशत पॉलिएस्टर धागे का उपयोग होता है। खादी हाथ से बने वस्त्रों को कहा गया है। जिससे किसानों, कारीगरों को रोजगार मिलता था। सरकार ने एक अधिनियम के माध्यम से खादी ग्रामोद्योग संस्था को यह अधिकार दे दिया है कि वह जिस कपड़े को खादी कहे उसे ही खादी के नाम पर बेचा जा सकता है। गांधी जी ने खादी को गरीबों के साथ जोड़ा था। सरकार ने इस पूंजीपतियों के साथ जोड़ दिया है। पहले शासकीय विभागों में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारीयों के लिए खादी पहनना अनिवार्य थी, जिसे अब समाप्त कर दिया गया है। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा खादी से ही बनता था। भारत सरकार ने आजादी के अमृत काल में चीन से पॉलिएस्टर के झंडे मंगाने की अनुमति देकर खादी पर निर्मम प्रहार किया है।
श्री त्रिवेदी ने बताया कि देश में खादी समाप्त होने के कगार पर है, जिसके चलते किसान ही नहीं कताई, बुनाई, रंगाई करने वाले लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं। मध्य प्रदेश में 90 प्रतिशत करघे बंद हैं। बड़ी कंपनियां रेमंड, रिलायंस पॉलिएस्टर युक्त कपड़े को खादी के वस्त्र प्रचारित कर बेच रहे हैं। खादी के प्रमाणीकरण हेतु सरकार भारी भरकम शुल्क वसूलती हैं जिसके चलते आम ग्रामीण खादी के वस्त्र बनाकर बेचने के अधिकार से वंचित कर दिया गया है। श्री त्रिवेदी ने देश में नकली खादी के खिलाफ सत्याग्रह का आव्हान किया।
तत्पश्चात विख्यात भजन गायक पद्मश्री प्रहलाद टिपानिया और उनके साथियों ने कबीर के भजनों की मनमोहक प्रस्तुति और व्याख्या से श्रोताओं का मन मोह लिया। श्री टिपानिया ने कहा कि देश में आपसी नज़दीकियाँ और भाईचारे को बढ़ाने की जरूरत है। “ढाई आखर प्रेम” यात्रा, प्रेम का अलख जगाने का कारवां है। कबीर और संत परंपरा में सदैव श्रम को ही महत्व दिया गया है। 19वीं सदी में मशीनीकरण के दुष्प्रभावों से किस तरह ग्रामीण परिवार प्रभावित हुए थे उसकी भावुक प्रस्तुति “शांति की कहानी” के माध्यम से फ्लोरा बोस,उजान बनर्जी, सुमेर राजू और गुलरेज ने किया। इंदौर में चरखे से सूत कातने का प्रशिक्षण देने वाली कस्तूरबा गांधी आश्रम की पदमा ताई एवं 30 हजार महिलाओं को खादी से जोड़ने वाली बाड़मेर राजस्थान की रूमा देवी का सम्मान किया गया।
आयोजन का अंतिम कार्यक्रम फैशन शो था जिसमें महेश्वर में निर्मित साड़ियों का प्रदर्शन महिला बुनकरों की ‘रेवा कोआपरेटिव सोसाइटी’ की महिलाओं द्वारा किया गया जो स्वयं साड़ियाँ बनाती हैं। इसके अलावा गांधी जी के प्रिय “भजन वैष्णव जन ते तेने कहिए… की पृष्ठभूमि में ट्रांसजेंडर, घरेलू महिलाओं और हर वर्ग, हर आयु के आम लोगों ने इस परेड में भाग लेकर सौंदर्य की परिभाषा को नया रूप दिया।
अपने संबोधन में शो के निर्देशक फैशन डिजाइनर प्रसाद बिडपा ने इंदौर की जनता के सौंदर्य बोध की सराहना करते हुए लोगों से अनुरोध किया कि वह आंशिक रूप से ही सही खादी और हाथ से बने वस्त्रों को अवश्य खरीदें।
कार्यक्रम में शोभा गुर्टू के गीत “रंगी सारी गुलाबी चुनरिया, मोह मारे नजरिया सांवरिया” पर अदिति मेहता ने तथा “कांटों से खींच के ये आंचल पर पिंकल ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया।
इंदौर इप्टा की अध्यक्ष जया मेहता ने बताया कि इस आयोजन से खूबसूरती को देखने और समझने का नया नजरिया सामने आया है। इसमें प्रसाद बिडपा की बड़ी भूमिका रही है। आयोजन में प्रगतिशील लेखक संघ मंदसौर इकाई द्वारा प्रकाशित पुस्तिका “ताकि, जागें लोग का विमोचन श्री प्रहलाद टिपानिया द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी ने ढाई आखर प्रेम यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस यात्रा में मजदूरों किसानों ,कारीगरों से चर्चा कर हम उनसे सीखने का प्रयास करेंगे। उन्होंने आयोजन के सहयोगी अनेक संगठनों, सहयोग कर्ताओं का आभार माना।
आयोजन स्थल पर अशोक नगर के पंकज और इंदौर की रूपांकन संस्था द्वारा पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गई थी। परिसर में पुस्तकों और खादी, हैंडलूम वस्त्रों के स्टॉल भी लगाए गए थे।
रिपोर्ट: हरनाम सिंह