पंजाब में “ढाई आखर प्रेम; राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था” का दूसरा दिन
पंजाब में जत्थे के दूसरे दिन 28 अक्टूबर को पदयात्री सुबह दस बजे बल्लोवाड़ पहुंचे। पंजाब में अभी धान की कटनी चल रही है, कटाई के बाद जो समय मिलता है उस समय लोग ‘झूमर’ का सामूहिक गायन करते हैं जिसकी प्रस्तुति बल्लोवाड़ में आज़ाद कला मंच के साथियों ने दी। छत्तीसगढ़ इप्टा के साथी निसार अली, देवनारायण साहू, गंगाराम बघेल और जगनू राम ने जत्था के उद्देश्य पर आधारित नाचा-गम्मत ‘ढाई आखर प्रेम’ के माध्यम से लोगों से संवाद स्थापित किया। बल्लोवाड़ के गुरुद्वारा में जत्थे के पदयात्रियों ने लंगर पाया और अगले पड़ाव औजला के लिए निकल पड़े।
हालांकि दोपहर का वक्त था और सिर पर धूप थी लेकिन ईख के लहलहाते हुए खेत, धान की कटाई के दृश्य चिलचिलाती धूप का अहसास ही नहीं होने दे रहे थे। औजला में जत्था पहुंचने से पहले ही बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे, नौजवान साथी प्रतीक्षा कर रहे थे। बरगद के पेड़ के नीचे एकत्रित साथियों और ग्रामवासियों से संवाद और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने सभी को इस तरह बांधा कि समय के गुजरने का एहसास ही न हुआ, तीन कब बज गए पता ही न चला।
अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी ने उपस्थित जनसमूह से संवाद करते हुए साहिर लुधियानवी की नज़्म सुनाई –
“रंग और नस्ल, जात और मज़हब जो भी हो आदमी से कमतर है
इस हक़ीक़त को तुम भी मेरी तरह मान जाओ तो कोई बात बने
नफ़रतों के जहान में हम को प्यार की बस्तियाँ बसानी हैं
दूर रहना कोई कमाल नहीं पास आओ तो कोई बात बने”
इसके बाद आज़ाद कला मंच के साथियों ने देश में फैल रही सांप्रदायिक व धार्मिक नफरत और प्रतिद्वंद्विता पर आधारित नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया जिसका मूल संदेश था कि धार्मिक झगड़े और सांप्रदायिकता से कभी भी किसी देश का भला नहीं होता। स्थानीय साथी धीरेंद्र मसानी ने मोगा से ताल्लुक रखने वाले और लोहार का काम करते हुए अनेक क्रांतिकारी व एकजुटता के गीत रचने वाले ‘महेंद्र साथी’ के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनकी रचना “मशालें लेकर चलना जब तक रात बाक़ी है” को मूल पंजाबी भाषा में पेश किया।
जत्था अपने अगले पड़ाव फगवाड़ा की ओर बढ़ चला। रास्ते में पड़ने वाले ‘सरहाल मुड़िया’ चौक पर पदयात्रियों ने लोगों से संक्षिप्त संवाद किया और साथी निसार अली ने कॉर्पोरेट लूट को दर्शाता गीत “दमादम मस्त कलंदर” प्रस्तुत किया।
कपूरथला जिले के फगवाड़ा शहर में आज़ाद कला मंच का भवन है जहां पिछले कई सालों से रंगकर्मी थिएटर की ट्रेनिंग, रियाज़ और प्रस्तुतियाँ करते रहे हैं। शहर की सड़कों से गुज़रता हुआ जत्था इस भवन में पहुंचा जहां पर निसार अली और साथियों द्वारा “जब तक रोटी के प्रश्नों पर रखा रहेगा भारी पत्थर” जनगीत की प्रस्तुति से सांस्कृतिक संवाद की शुरुआत हुई। आज़ाद कला मंच ने उस्ताद -जमूरे पर आधारित नुक्कड़ की पेशकश की। भगत सिंह की जीवनी पर आधारित नाटक “मैं फेर आवांगा” की प्रस्तुति के साथ पंजाब में दूसरे दिन की यात्रा की समाप्ति हुई।
जत्थे में प्रसन्ना (राष्ट्रीय अध्यक्ष, इप्टा), विनीत तिवारी (राष्ट्रीय सचिव, प्रगतिशील लेखक संघ), संजीवन सिंह (अध्यक्ष, इप्टा पंजाब), इंद्रजीत रूपोवाली (महासचिव, इप्टा पंजाब), दीपक नाहर, बलकार सिंह सिद्धू (अध्यक्ष, इप्टा चंडीगढ़), के एन एस शेखों (महासचिव, इप्टा चंडीगढ़), छत्तीसगढ़ इप्टा से निसार अली, देवनारायण साहू, गंगाराम बघेल, जगनू राम, देविन्दर दमन (थिएटर कलाकार), जसवन्त दमन (फिल्म कलाकार), जसवन्त खटकर, अमन भोगल, डॉ. हरभजन सिंह, परमिंदर सिंह मदाली, सत्यप्रकाश, रणजीत गमानु, बिब्बा कलवंत, रोशन सिंह, रमेश कुमार, कपन वीर सिंह, विवेक सहित हर पड़ाव पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने शिरकत की।
रिपोर्ट: संतोष, इप्टा दिल्ली