|| उत्तर प्रदेश में ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा का तीसरा दिन ||
|| झलकियां ||
- उरई के सन राइजिंग स्कूल के एक मासूम बच्चे ने अपनी अदाकारी से छत्तीसगढ़ के कलाकारों के साथ दिखाई प्रतिभा, तो सभी दंग रह गए
- ग्राम वजिदा में कक्षा 8 की छात्रा तान्या ने कलाकारों के गीत की पुनरावृत्ति करते हुए उसे बेहतर अंदाज में सुनाया, तो सभी ने उसकी जमकर सराहना की
- विद्यालय की प्रधानाध्यापिका स्वयं प्रभा दुबे ने कलाकारों के अभिनय और सामाजिक सौहार्द की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की तारीफ करते हुए विद्यालय में पुनः आने का आमंत्रण दिया
|| 20 नवम्बर 2023 ||
उगते सूरज की लालिमा चारों दिशाओं को रोशन करके अंधेरा दूर कर देती है। कलरव करते हुए पंछी अपने बच्चों के लिए दाना जुटाने को निकल पड़ते हैं। ठीक इसी तरह से यात्रा के तीसरे दिन भी सभी साथी सुबह-सुबह प्रेम का सन्देश लेकर गांव भ्रमण पर निकल पड़े। इप्टा की टीम ने समाज की नब्ज टटोलते हुए और सामाजिक विसंगतियों को बारीकी से समझने-परखने, उनमें व्याप्त अंधविश्वाश और रूढ़िवाद को खत्म करने के लिए प्रेम, सद्भाव, सहयोग और एकता पर बल दिया। लोक कलाकारों के संयुक्त गायन, अभिनय और सहज व्यवहार ने जहां एक और लोगों का दिल जीत लिया, वहीं अपने पीछे कई ऐसी खूबसूरत तस्वीरें छोड़ दी जो इस यात्रा को बेमिसाल बना देती है।
|| उरई में रात्रि विश्राम के बाद तीसरे दिन की यात्रा की पूरे जोश के साथ शुरुआत हुई ||
नगर के जेल रोड स्थित पूर्व विधायक माधवगढ़ संतराम कुशवाहा ने अपनत्व और सम्मान के साथ जत्थे का स्वागत किया। दिन की शुरुआत में ही यात्रा के कलाकारों ने सन राइजिंग स्कूल के बच्चों के बीच पहुंचकर लोकगीत गायन और नुक्कड़ नाटक के जरिए सभी का दिल जीत लिया। बच्चों की खुशी और उत्साह का तो यह आलम देखने को मिला कि वहां से टीम की रवानगी के लिए लोगों का मन उन्हें गवाही नहीं दे रहा था। आखिरकार शुभकामनाओं का आदान-प्रदान के बाद टीम आगे बढ़ी। अगला पड़ाव ग्राम करसान में था। यहाँ स्कूली बच्चे अचानक टीम के सदस्यों को देखकर पहले तो विस्मित हुए पर बाद में जब उन्हें कलाकारों ने अपने अभिनय से जोड़ा तो वे मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने पूरी शिद्दत के साथ कलाकारों का स्वागत किया और उनकी प्रस्तुतियों में शामिल हुए।
जैसे ही छत्तीसगढ़ के नाचा गम्मत कलाकार टीम ने अपनी प्रस्तुतियां देना शुरू की वैसे ही वहां मौजूद सभी बच्चे और शिक्षक-शिक्षिकाएं तथा ग्रामीण उत्साह से भर उठे। विद्यालय परिसर के बाउंड्री वाल के बाहर से भी कई ग्रामीण पुरुष और महिलाएं कलाकारों की परिस्थितियों को देखने की चेष्टा करते नजर आए। विद्यालय परिसर का माहौल एकता के सूत्र में खुशी और उमंग से भर गया।
दोपहर तक जत्था ग्राम बजिदा पहुंचा, जहां परिषदीय विद्यालय में बच्चे दोपहर का लंच ले रहे थे। जानकारी मिलते ही शिक्षकों ने जत्था के साथियों को विद्यालय परिसर में आमंत्रित किया। यहाँ कलाकारों की एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों को देखकर बच्चे झूम उठे। स्वर में स्वर मिलाते हुए बच्चों ने यात्रा के कई गीत गाये। कक्षा 8 की छात्रा तानिया ने गीत – “ढाई आखर प्रेम का पढ़ने और पढ़ाने आए हैं, हम भारत से नफरत के हर घाव मिटाने आए हैं” – को बेहद ही संजीदगी के साथ प्रस्तुत किया। इस मौके पर विद्यालय की प्रधानाध्यापिका डॉ. स्वयं प्रभा दुबे, शिक्षिका, सुधा द्विवेदी, शिक्षक विनोद निरंजन, और शिक्षिका रंजना ने यात्रा के प्रति अपना उत्साह व्यक्त किया। वे इस बात से काफी खुश थे कि देश में सामाजिक सौहार्द, प्रेम, भाईचारा और एकता फैलाने के लिए कलाकार इस तरह की यात्रा निकाल रहे हैं।
इसी क्रम में यात्रा ग्राम मरोड़ा स्थित कंपोजिट अपर प्राइमरी स्कूल पहुंची। यहाँ कलाकारों ने लोक गीतों के साथ-साथ ‘गिरगिट’ नाटक का मंचन किया। लिटिल इप्टा के कलाकारों के जीवंत अभिनय को देखकर वहां मौजूद सभी ने जमकर तालियां बजाई और कलाकारों का उत्साह वर्धन किया। सामाजिक विसंगतियों को उजागर करते इस नाटिका को लोगों ने खूब सराहा। छत्तीसगढ़ के नाचा-गम्मत कलाकारों द्वारा प्रस्तुत ‘शिकारी और कबूतर’ नुक्कड़ नाटक ने बच्चों को जमकरहँसाया। विद्यालय के प्रधान अध्यापक बृज बिहारी शर्मा, सहायक अध्यापक, शैलेंद्र नायक, मनीष कुमार, प्रशांत कुमार मौर्य, रश्मि वर्मा, मतीजा स्वर्णकार ने कहा कि प्रेम और सौहार्द वर्तमान सामाजिक जीवन की सबसे बड़ी जरूरत है।
अन्य रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुतियों के उपरांत जत्था अगले पड़ाव के लिए रवाना हुआ और ग्राम गढ़र पहुंचा। यहाँ दोदेरिया फार्म हाउस पर रामनरेश दौदेरिया, सतीश चंद्र दौदेरिया, सुल्तान सिंह, रामकुमार दुहोलिया,रामहेत, मोहम्मद इरफान, और सागर ने यात्रा का स्वागत करते हुए दोपहर के भोजन के लिए सभी को आमंत्रित किया। भोजन उपरांत जत्थे में शामिल कलाकारों ने शिवालय परिसर के सामने नुक्कड़ नाटक और गीतों की खूबसूरत प्रस्तुति कर सामाजिक सौहार्द और एकता की दिशा में लोगों को प्रेरित किया।
तीसरे दिन के अंतिम पड़ाव – ग्राम मिनौरा के लिए जत्था निकल चुका था। रास्ते भर डफली बजाते हुए कलाकार गीतों की मधुर स्वर लहरी छेड़ते जा रहे थे। राह चलते लोग रुक-रुक कर देख रहे थे और सुनने की कोशिश कर रहे थे। ग्राम मिनौरा के प्रवेश मार्ग पर ही कृपा शंकर द्विवेदी उर्फ बच्चू महाराज शिवराम, राम जी दीक्षित, आदित्य दीक्षित, सुधीर प्रदीप, अमन सहित कई लोग जत्थे में शामिल हुए। कलाकारों ने गांव के चौराहों और मुख्य मार्गों पर लोक गायन और नुक्कड़ नाटक किये। रात्रि विश्राम गांव के ही समीप घनाराम महाविद्यालय में किया गया।
यात्रा में राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, राकेश वेदा, प्रदेश यात्रा समंवयक एवं राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी, स्थानीय यात्रा संयोजक देवेंद्र शुक्ला, कृपा शंकर द्विवेदी (बच्चू महाराज), दीपेंद्र सिंह, राज पप्पन, प्रदीप कुमार, डा० सुभाष चन्द्रा, धर्मेंद्र कुमार, डा० स्वाति राज प्रीति, डा० संजीव, अमजद आलम तथा छत्तीसगढ़ के नाचा गम्मत कलाकार निसार अली, देवनारायण साहू, आलोक बेरिया सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
रिपोर्ट: शहज़ाद रिज़वी