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सवाल लेके आए हैं, जवाब लेके जाएंगे | संघर्षों की भूमि पर गूंजे प्रेम के गीत

इंदौर। 23 दिसम्बर 2023

विभिन्न जन संगठनों द्वारा आयोजित “ढाई आखर प्रेम” यात्रा अपने पहले दिन में औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर से होती हुई संघर्ष की भूमि ठीकरी, पिपलोद एवं बड़वानी पहुंची। नर्मदा परियोजना से विस्थापित, सेंचुरी मिल बंद होने से बेरोजगार श्रमिकों के इस क्षेत्र में दर्द पीड़ासंत्रास और संघर्ष की अनेक कहानियां है।

यात्रा के पहले पड़ाव में पीथमपुर के गुरु तेग बहादुर उद्यान में श्रमिकों के बीच छतरपुर इप्टा के शिवेंद्र और उनके सहयोगी लखन अहिरवार, अभिदीप सुहाने, अनमोल चतुर्वेदी ने राजेश जोशी की कविता “मारे जाएंगे..” तद्पश्चात कबीर की रचना “काया का क्यों कर गुमान, काया तेरी माटी की” का गायन किया। उसके बाद प्रगतिशील लेखक संघ मंदसौर इकाई के निखिलेश शर्मा असअद अंसारी, हूरबानो सैफी, दिनेश बसेर ने दुष्यंत कुमार की गजल “हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए…” का गायन किया। नाट्य प्रस्तुति में नाचा गम्मत के विख्यात कलाकार निसार अली ने लोक भाषा में “कृपा बरसेगी” एकल नाटक के माध्यम से दर्शकों को गुदगुदाया। इंदौर इप्टा इकाई द्वारा गुलरेज खान के निर्देशन में हरिशंकर परसाई की कहानी “सदाचार का ताबीज” की नाट्य प्रस्तुति भी हुई। जिसमें तौफीक, अथर्व, विवेक, नितिन, समर, उजान ने भाग लिया।

पीथमपुर से यात्रा ग्राम ठीकरी पहुंचीं। बिड़ला के उद्योग सेंचुरी रेयान के बंद होने से बेरोजगार श्रमिकों में से एक राजेश खेते परिवार के होटल में यात्रियों ने दाल बाटी का भोजन किया। आंदोलन कार्यकर्ताओं द्वारा निर्धारित आयोजन स्थल पर बड़ी तादाद में महिलाओं की उपस्थिति में प्रलेसं के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी ने कहा कि यहां की जनता ने अपना रोजगार बचाने के अधिकार के लिए संघर्ष किया है। अब प्रेम को बचाने के संघर्ष की जरूरत है। मोहब्बत के दुश्मन बहुत हैं। यात्रा के उद्देश्य की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से भी अधिकारों के लिए संघर्ष करने की जरूरत बनी हुई है। दुनिया को बेहतर बनाने के प्रयासों और अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए जरूरी है कि सत्ता मेहनतकश लोगों के हाथ में हो।

यहां सांस्कृतिक प्रस्तुति में शिवेंद्र और उनके साथियों ने राजेश जोशी की रचना “जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे मारे जाएंगे…”, गीत “कौन हैं हम और हम कहां से हैं, क्या है हमारा ठिकाना….” तथा कबीर की वाणी “काया का क्यों रे गुमान, काया तेरी माटी की” के अलावा बिस्मिल के विख्यात गीत “सरफरोशी की तमन्ना…” का गायन भी किया। निसार अली की नाटक प्रस्तुति “एकता में ताकत” एवं “सदाचार का ताबीज” का मंचन भी हुआ। आभार आंदोलन के प्रमुख मुकेश भाई ने माना।

रात्रि में ग्राम पिपलूद में पहुंची, यात्रा का मंदिर परिसर में स्वागत हुआ। यहां अशोक नगर इप्टा के कलाकार सीमा राजोरिया, कबीर, रतनलाल पटेल ने हरिओम राजोरिया के निर्देशन में संत कबीर की रचना “साधु देखो जग बौराना …”, “पानी बीच मीन प्यासी…”, और “मोको कहां ढूंढे रे बंदे…” की संगीतमय प्रस्तुति दी।आंदोलन के कलाकार कैलाश ठाकुर, प्रणेश यादव ने “कहानी राम की…” के साथ आंदोलन के प्रमुख गीत “सवाल लेके आए हैं, जवाब लेके जाएंगे” गाकर श्रोताओं में जोश भर दिया। उन्होंने श्रोताओं की मांग पर “मां रेवा तेरा पानी अमृत..” गीत प्रस्तुत किया। निसार भाई ने “चालाक शिकारी” की नाट्य प्रस्तुति की। यात्रा यहां से ग्राम बड़वानी पहुंची जहां गुरुद्वारा परिसर में भोजन का इंतजाम था। रात्रि विश्राम यहीं पर था।

रिपोर्ट: हरनाम सिंह

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