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मेधा पाटकर, मीता वशिष्ट, फ़्लोरा बोस और कई कलाकारों ने अहिल्या घाट पर रंग जमाया

महेश्वर | 26 दिसंबर 2023

ढाई आखर प्रेम यात्रा के चौथे दिन का पड़ाव बुनकरों की बस्ती महेश्वर था। पिछले पड़ाव धर्मपुरी से रवाना होकर यात्रा महेश्वर पहुंची थी। यहां रात्रि विश्राम पश्चात 26 दिसंबर की प्रातः यात्रा निकटवर्ती ग्राम गोगांवा पहुंची।

विनीत तिवारी

वहां आयोजित कार्यक्रम में विनीत तिवारी ने बताया कि गोगांवा आंदोलन का प्रमुख गांव रहा है। यहां की जनता ने दमन सहा है। विकास के नाम पर विनाशकारी योजनाओं को समझना होगा। आंदोलन के प्रमुख जगदीश भाई ने कहा कि महेश्वर बांध से 8 किलोमीटर दूर के गांव पुलगांव एवं पथराड़ डूब में आने वाले गांव हैं। इन गांवों से मुआवजे की मांग होती है, लेकिन अधिकारी टाल देते हैं। समस्या के समाधान पर कोई भी चर्चा करने को तैयार नहीं है। हमें अब समझ में आया है कि अपने अधिकार के लिए लड़ने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है। ग्राम वासियों ने 12 जनवरी 1998 को महेश्वर बांध पर कब्जा किया था जो लगातार 12 दिनों तक जारी रहा। प्राकृतिक संसाधन जल, जंगल, जमीन निजी कंपनियों को सौंपी जा रहे हैं। जिन्हें हम वोट देकर चुनते हैं वे ही प्रतिनिधि हमारे मुद्दों पर बात नहीं करते।

यहां यात्रा में अभिनेत्री मीता वशिष्ठ एवं फ्लोरा बोस भी शामिल हुई। कार्यक्रम में जत्थे में शामिल कलाकारों ने गीत एवं नाट्य प्रस्तुति दी।

ग्राम गोगांवा के कार्यक्रम में अभिनेत्री मीता वशिष्ठ एवं फ्लोरा बोस अन्य साथियों के साथ

छत्तीसगढ़ से आये कलाकार निसार अली तथा इंदौर से विनीत तिवारी, हूरबानो सैफ़ी, असद अंसारी, अथर्व शिन्त्रे, निखिलेश शर्मा और जत्थे के साथियों ने अहिल्या घाट पर जीवन यदु का गीत – ‘जब तक रोटी के प्रश्नों पर’ तथा ‘दमादम मस्तकलंदर’ की शानदार प्रस्तुति की तथा गममत शैली में दर्शकों से संवाद भी किया। हरिओम राजोरिया, सीमा राजोरिया और कबीर राजोरिया ने कबीर के भजन तथा ‘डारा डिरी डारा डिरी डा’ गीत की बहतरीन सामुहिक प्रस्तुति दी।
मंदसौर इप्टा से हूरबानो सैफ़ी, असद अंसारी, निखिलेश शर्मा की जुगलबंदी में ‘कहां तो तय था चरागां हरेक घर के लिये’ प्रस्तुत कर घाट पर समां बांध दिया।

सांय काल अहिल्या घाट पर कश्मीर की कवयित्री लल द्येद (लल्लन देवी) पर व्याख्यान सहित अनेक नृत्य, संगीत कार्यक्रम हुए। विशिष्ट अतिथि मेधा पाटकर ने नर्मदा के अहिल्या घाट पर हो रहे कार्यक्रम के संदर्भ में कहा कि महारानी अहिल्या देवी प्रकृति धर्मी थी। अगर वह आज होती तो नर्मदा से किए जा रहे खिलवाड़ को स्वीकार नहीं करती। प्रधानमंत्री का जन्मदिन मनाने के लिए कई किसानों को शहादत देना पड़ी है। उनके घर डूब गए बावजूद इसके अधिकारियों ने नुकसान का सर्वे नहीं होने दिया। प्रकृति से खिलवाड़ का नतीजा है कि जोशीमठ खत्म होने के कगार पर है। ढाई आखर प्रेम यात्रा समता, स्वावलंबन, मानवता को बचाने में सफल होगी। संतो के संदेश हमें ताकत देते हैं। आज नित्य नई चुनौतियां सामने आ रही है। अडानी-अंबानी का नाम लेने पर ही दंडित किया जा रहा है। इन साजिशों के खिलाफ खड़ा होना जरूरी है। लोग नदी किनारे स्थित धर्म स्थलों पर जाते हैं पर नदियों के प्रदूषण पर कोई नहीं बोलता। इंसान का इंसान के साथ और इंसान का प्रकृति के साथ प्रेम जरूरी है। देश में केवल कावड़ यात्राएं ही नहीं निकलती है। प्रेम और सद्भाव के लिए भी लोग यात्राएं करते हैं। हिंसा हमें मंजूर नहीं है संवैधानिक मूल्यों के साथ देश को बचाना है।

विख्यात अभिनेत्री मीता वशिष्ठ

विख्यात अभिनेत्री मीता वशिष्ठ ने कश्मीर की चौदहवीं शताब्दी की कवियत्री लल द्येद के जीवन व लेखन पर विस्तार से व्याख्या की। उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोग लल द्येद से बिना धार्मिक आधार के सभी प्यार करते हैं, जानते हैं।

कार्यक्रम का संचालन कर रहे विनीत तिवारी ने मीता वशिष्ठ के परिचय के साथ फिल्मों में उनके योगदान की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अतीत में शास्त्रीय कलाएं जो केवल महलों और श्रेष्ठी जनों के लिए थी आज वह आम जनता के बीच है। हमने इसीलिए कार्यक्रम सार्वजनिक स्थल पर रखा है। हम मानते हैं कि आम लोगों में भी शास्त्रीय कलाओं की समझ है।

आयोजन में यात्री कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दी, उनके अलावा सेंचुरी मिल के श्रमिकों के अधिकारों के लिए संघर्षरत नवीन मिश्रा ने ‘पर्वत की चिट्ठी ले जाना तू सागर की ओर, नदी तो बहती रहना, रेवा तू बहती रहना’ के माध्यम से नदियों का महत्व बताया। उन्होंने अन्य कविताओं का भी वाचन किया। शर्मिष्ठा बनर्जी ने अमीर खुसरो की रचना सहित अन्य गीत प्रस्तुतियां दी। अदिति मेहता ने ओडीसी कत्थक कला सम्मिश्रित भाव भंगिमाओं के साथ नृत्य किया। महेश्वर की बुनकर महिलाओं ने भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में अतिथियों एवं नर्मदा बचाओ आंदोलन के अनेक कार्यकर्ताओं को खादी का गमछा भेंटकर सम्मानित किया गया। ढाई आखर प्रेम की यात्रा का यह अंतिम पड़ाव था। यहां से यात्री इंदौर की ओर रवाना हुए।

इस यात्रा की सफलता का श्रेय नर्मदा बचाओ आंदोलन के अनेक उन कार्यकर्ताओं को भी जाता है जिनके नाम सामने नहीं आ सके हैं। इन्हीं कार्यकर्ताओं ने यात्रियों के लिए संसाधन और सुविधाएं जुटाई थी। इनमें कुछ प्रमुख कार्यकर्ता जो लगातार यात्रा के साथ बने रहे तथा अन्य कई जो हर पड़ाव पर व्यवस्था संभाल रहे थे, उनमें मुकेश भगोरिया, कमला यादव, वाहिद मंसूरी, राजा मंडलोई, राजेश खेते, भगवान भाई, गौरी शंकर कुमावत, कैलाश गोस्वामी, भगीराम यादव, कनक सिंह, श्रीमती रजनी मुलेवर, देवी सिंह तोमर, संजय चौहान, सुखेंद्र मंड्या, मनीषा पाटिल प्रमुख थे।

रिपोर्ट: हरनाम सिंह

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