हत्यारे जलती हुई आग की परांत सिर पर लेकर घर से निकले। वे चारों तरफ आग बिखेर रहे थे जिससे बस्तियाँ राख में तब्दील हो रही थीं। लोगों के जले हुए जिस्मों से निकली बू से आत्मा शर्मसार हो रही थी। तभी हत्यारों को सामने एक खेत दिखा जिसमें एक किसान खरपतवार काट रहा था।
हत्यारों ने कहा, ‘तुम यह परांत लो और हर तरफ़ आग बिखेर दो।’
किसान बोल, ‘यह परांत रखकर तुम खाना खा लो, फिर बात करेंगे।’
हत्यारे कई दिनों से भूखे थे। उन्होंने भरपेट खाना खाया। तब तक परांत की आग बुझकर ठंडी हो चुकी थी।
• संदीप मील