जमशेदपुर एवं घाटशिला में प्रेसवार्ता
06-दिसंबर-2023 | जमशेदपुर, झारखण्ड
आज हम टूटते परिवारों और बिखरते समाज के जिस प्रेम-विहीन दौर से गुज़र रहे हैं वह एक भयावह परिणाम की चेतावनी देता दिखाई देता है। भाई-भाई से और पड़ोसी-पड़ोसी से बेगाना है। एक दूसरे को संदेह की दृष्टि से देखना और अपने-अपने दायरे में सिमट कर रहने का चलन बहुत बढ़ गया है। आपसी और सामाजिक सदभाव की यह कमी हमें और हमारे साथ देश, भारत को भी खतरनाक परिस्थितियों की ओर धकेल रही है। भारत में सामाजिक समरसता, सहिष्णुता और सदभाव की एक लम्बी परम्परा और समृद्ध इतिहास रहा है। विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में दर्जनों धर्म व संप्रदाय, सैंकड़ों संस्कृतियां और हज़ारों भाषाएं अपनी-अपनी पहचान के साथ यहां फूलते-फलती रहीं। विविधता में एकता यहाँ की ऐसी विशेषता रही जिसकी दूसरी मिसाल दुनिया में नहीं मिलती। लेकिन आज यह विशेषता धूमिल होती दिखाई देती है।
इसीलिए हर वह व्यक्ति जो इस धरती से, यहां के लोगों से, यहां की रंगारगं संस्कृति से, यहां की भाषाओं से, संगीत से, नृत्य से, पहनावे से, खान-पान से, रीति-रिवाज से, परम्पराओं से प्रेम करता है उसका दायित्व है कि इन सबको बचाए रखे ताकि भारत अपने इस गौरवशाली अतीत के साथ सुन्दर भविष्य की ओर बढ़ सके।
गौतम बुद्ध, महाबीर, कबीर, नानक, रैदास, महात्मा गांधी, ज्यातिबा फुले, अम्बेडकर इत्यिादि हमारे महान विचारकों और समाज सुधारकों ने अपने-अपने समय में इस समस्या को पहचाना और अपने-अपने ढंग से इससे निपटने के उपाय किये। विगत 80 वर्षों से सक्रिय एक सांस्कृतिक संगठन के रूप में भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा-इंडियन पीपुल्स थियटर एसोसिएशन) भी इस दिशा में निरतंर चिंतित और सक्रिय रही है। गत वर्ष इप्टा की पहल पर कई सांस्कृतिक सामाजिक व साहित्यिक संगठन एकजुट हुए और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि इसके निवारण के लिये आमजन तक पहुंचना, उनकी सांस्कृतिक विरासत को याद दिलाना, उस विरासत को पुनर्जीवित करना, श्रम को सम्मान देना तथा प्रेम, बंधुत्व व समरसता को बढ़ावा देना आवश्यक है। इसी उद्देश्य से पिछले साल ढाई आखर प्रेम यात्रा के अंतर्गत कलाकारों, नाट्यकर्मियों, लेखकों व संस्कृतिकर्मियों ने पांच हिन्दी भाषी प्रदेशों में सघन दौरा किया।
इससे उत्साहित होकर इस वर्ष 22 राज्यों में यह यात्रा सांस्कृतिक पदयात्रा के तारै पर चल रही है। इसकी शुरूआत शहीद भगत सिंह के जन्म दिवस, 28 सितम्बर 2023 से अलवर, राजस्थान से हुई है और इसका समापन महात्मा गाांधी के शहादत दिवस पर 30 जनवरी 2024 को दिल्ली में होगा।
झारखंड में यह यात्रा 8 दिसम्बर से 12 दिसम्बर की अवधि में घाटशिला से जमशेदपुर के बीच होगी। इसकी पूर्व संध्या पर 7 दिसम्बर की शाम महान साहित्यकार स्व. विभूति भूषण बंधोपाध्याय के निवास स्थान गौरीकुंज, घाटशिला में एक सांस्कृतिक उदघाटन कार्यक्रम होगा और सांकेतिक रूप से गौरीकुंज से मउभंडार तक पदयात्रा होगी। अगली सूबह मउभंडार से धरमबहाल, एदलबेड़ा, झांपड़ीशोल, बनकाठी, हेंदलजुड़ी होते हुए कालाझोर में रात्रि विश्राम होगा। दूसरे दिन राजबासा, खड़ियाडीह होते हुए गालूडीह तक यात्रा होगी। तीसरे दिन यह यात्रा बैराज पार करते हुए दिगड़ी मोड़, राखा, माटीगोड़ा, जादुगोड़ा से लुगु मुर्मू स्कूल, भटिन पहुंचेगी। चौथे दिन सोसोघुट्टू, झरिया, धोबनी, जादूगुट्टू, बाड़ेगुट्टू, डुंगरीडीह से गुजरते हुए राजदोहा पहुंचेगी। अंतिम दिन वहां से मुर्गाघुट्टू, हाड़तोपा, डोमजुड़ी गोविन्दपुर होते हुए जेम्को, प्रेमनगर स्थित वरिष्ठ नागरिक समिति में विश्राम करेगी, जहां शाम में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होगा।
यात्रा जहां से भी गुजरेगी वहां के स्थानीय लोक कलाकार झारखंड के विभिन्न जिलों से तथा देश के विभिनन भाग से आए कलाकारों व संस्कृतिकर्मियों के सामने अपनी प्रस्तुति करेंगे। बाहर से आए कलाकार भी अपनी कला व संस्कृति का नमूना पेश करेंगे। 13 दिसम्बर की सुबह यात्रा के प्रतिभागी साकची स्थित बिरसा मुंडा के स्मारक के पास सम्मान प्रकट करके यात्रा का विधिवत समापन करेगे।
आशा है कि इस यात्रा के दौरान संथाल बहुल आदिवासी गांवों से गुजरते हुए लोक कलाओं और संस्कृति की एक साझा समझ उभरेगी जो समाज को जोड़ने का काम करेगी।
06-दिसंबर-2023 | घाटशिला, झारखण्ड
राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा ‘ढाई आखर प्रेम’ का आह्वान प्रेम और भाईचारे, श्रम और संस्कृति के सुंदर संगत के लिए पूर्वी सिंहभूम के गांवों में दिनांक 08 से 12 दिसंबर, 2023 किया गया है. यह यात्रा भगत सिंह की जयंती 28 सितंबर, 2023 से शुरू होकर देश के 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरते हुए महात्मा गाँधी के शहादत दिवस 30 जनवरी, 2024 को सम्पन्न होगी. अब तक यह यात्रा राजस्थान, बिहार, उत्तराखंड, पंजाब, उत्तर प्रदेश, जम्मू, कर्नाटक आदि राज्यों से गुजर चुकी है.
झारखण्ड में घाटशिला में यह 07 दिसंबर, 2023 को प्रवेश करेगी, जहाँ गौरीकुंज पहला पड़ाव होगा और 13 दिसंबर को जमशेदपुर के बिरसा चौक पर समापन करते हुए अगले प्रान्त तमिलनाडू की ओर निकल जायेगी.
‘ढाई आखर प्रेम’ कबीर का संदेश है, भगत सिंह, बिस्मिल, गांधी का संदेश है, रैदास का संदेश है. ढाई आखर प्रेम संदेश है – भाईचारा का, एकता का, बंधुत्व का, गंगा- जमुनी तहजीब का. देश-दुनिया में व्याप्त नफ़रत, सांप्रदायिकता का जवाब है – ‘ढाई आखर प्रेम’. ये सांस्कृतिक यात्रा उत्सव है लोक परंपरा का जिसके लिए झारखंड प्रसिद्ध है. यह यात्रा वीरों, समाज सुधारकों जैसे बुधू भगत, बिरसा मुंडा, सिद्धू-कान्हू, नायक शेख भिखारी, पंडित रघुनाथ मुर्मू के विरासत को आगे बढ़ाने का उत्सव है.
हाथ से काम करने वाले मेहनतकश लोगों और भांति भांति के सांस्कृतिक प्रतिभा से सम्पन्न ग्रामीण जनता से आदान प्रदान और उनका सम्मान करने का अवसर है. हमलोग अपनी माटी में रंगे प्रेम के धागों को बुनने और बांटने वाले समाज सुधारकों, संतों, कलाकारों, कवियों और आज़ादी के दीवानों को याद करते यह सांस्कृतिक यात्रा चलेगी. देश और प्रान्त की महान विभूतियों की विरासत को आगे बढ़ाने के इस उत्सव में सभी सहयात्री बन सकते हैं.
झारखंड में इस सांस्कृतिक जत्थे का मार्ग पूर्वी सिंहभूम जिले में घाटशिला से जमशेदपुर तक निर्धारित है. घाटशिला से जमशेदपुर की इस यात्रा में पदयात्री लगभग 60 किमी की दूरी तय करेंगे जिसमें लगभग 23-24 गांवों से गुज़रेंगे. यह यात्रा बांग्ला भाषा के महत्वपूर्ण कथाकार विभूति भूषण बंद्योपाध्याय के घर गौरी कुंज, दाहिगोड़ा से चलकर धरमबहाल, एदेलबेड़ा, झांपड़ीशोल, वनकाटी, हेंदलजुड़ी, कालाझोर, राजाबासा, हलुदबनी, पिंड्राबाद, बागालगोड़ा, चूड़ीन्दा, जोड़िसा, महुलिया, दिगड़ी होते हुए राखामाइंस, माटीगोड़ा, जादूगोड़ा, भाटिन, राजदोहा, मुर्गागुट्टू, जोजोबेड़ा, गोविंदपुर आदि विभिन्न गांवों से गुजरेगी।
इस दौरान यात्रा के कलाकारों के साथ स्थानीय लोक कलाकारों का मजमा भी होगा. नुक्कड़ सभा होगी. प्रेम और भाईचारे के गीत, लोक नृत्य, नगाड़ा, मांदर और तुमदा की गूँज होगी. सांस्कृतिक जत्था में यात्रा के पड़ाव में मिलने वाले लोगों के सम्मान में उनके साथ, उनके गीत गाए जायेंगे, नृत्य और नाटक प्रस्तुत होंगे. देश के लोक और लोक कलाओं, लोक कलाकारों को,उनके जीवन और संस्कृति को जाने समझने, बंधुता का गान गाने के लिए यह परस्पर संपर्क आवश्यक है.
गौरी कुंज, दाहिगोड़ा में पूर्वरंग (उद्घाटन समारोह) में प्रख्यात लोक गायक, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त पद्मश्री मधु मंसूरी, राष्ट्रपति पदक प्राप्त वृतचित्र फिल्मकार बीजू टोप्पो, निसार अली के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ी लोक नाचा का कलाकार दल, देश के सुप्रसिद्ध लेखक रणेंद्र, चित्रकार डॉ. भारती, युवा रंगकर्मी और फ़िल्मकार राम मार्डी सहित कई नामी गिरामी रंगकर्मी और कलाकार शामिल होंगे और सांस्कृतिक संध्या का समा बांधेंगे.
इस ऐतिहासिक सांस्कृतिक यात्रा में समिलित होने के लिए आयोजन समिति सभी का मुक्त ह्रदय से स्वागत करती है. इस आयोजन में गौरी कुंज उन्नयन समिति, संयुक्त नाट्य कला केंद्र, इवनिंग क्लब, विभूति स्मृति संसद, संस्कृति संसद आदि घाटशिला की कई सांस्कृतिक संगठनों का सहयोग है।
कार्यक्रम :
07 दिसंबर 2023: गौरी कुंज, दाहिगोड़ा में पूर्वरंग (उद्घाटन समारोह) संध्या 4.00 बजे और शाम 6 बजे गौरीकुंज से यूनियन ऑफिस तक सांस्कृतिक जुलूस
08-12 दिसंबर 2023: घाटशिला से जमशेदपुर तक उपरोक्त विभिन्न गांवों से होकर पदयात्रा
13 दिसंबर 2023: बिरसा चौक, साकची (समापन समारोह)
यह जानकारी “ढाई आखर प्रेम” पदयात्रा आयोजन समिति झारखण्ड राज्य की ओर से स्थानीय संयोजिका ज्योति मल्लिक ने दी. मौके पर रवि प्रकाश सिंह, वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी और घाटशिला इप्टा के अध्यक्ष गणेश मुर्मू,घाटशिला इप्टा की सचिव ज्योति मल्लिक, लेखक डॉ. शेखर मल्लिक, मल्लिका प्रधान, मानव सीट, कार्तिक चौधरी, मुखिया कल्पना सोरेन, रंगकर्मी दिलीप सरकार और झूमुर कलाकार मनोरंजन महतो सहित कई संस्कृति कर्मी भी मौजूद थे.