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‘मिटे नफरत का चलन प्रेम का साम्राज्य बने’ | बस्ती, उत्तर प्रदेश में उप प्रादेशिक सांस्कृतिक यात्रा

फेंकी न मुनव्वर ने बुर्जुगों की निशानी
दस्तार पुरानी है मगर बांधे हुए हैं

वर्तमान में घृणा, वैमनस्य और घुटन भरे माहौल में आपसी सौहार्द, प्रेम, भाईचारा और एकता की भावना को मज़बूत करने, देश की बहुरंगी संस्कृति, लोक जीवन, साझी विरासत और समरसता को समझने, सीखने और उसे अंगीकार करने के उद्देश्य से आयोजित देशव्यापी ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में 18 नवंबर से 23 नवंबर 2023 तक बुन्देलखंड में पूर्केव निर्धारित यात्रा के बाद जन संख्या और जिलों की संख्या के हिसाब से बड़ा प्रदेश होने के फलस्वरूप शेष पूर्वांचल, अवध, पश्चिमांचल आदि सम्भाग के अधिक से अधिक जनपदों में एक दिवसीय उप यात्राओं का आयोजन किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक लोगों के मध्य पहुंचकर आपसी सद्भाव और प्रेम का संदेश बांटा जा सके। इसी क्रम में प्रदेश में उप प्रादेशिक सांस्कृतिक यात्राओं का सिलसिला लगातार जारी है। इस श्रृखंला के अन्तर्गत रविवार, 17 दिसम्बर को बस्ती में एक दिवसीय सांस्कृतिक यात्रा का आयोजन बड़े ही धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।

यात्रा की शुरुआत सिविल लाइन स्थित संत कबीर की प्रतिमा स्थली से हुई। सर्व प्रथम संत कबीर की प्रतिमा पर बस्ती इप्टा के संरक्षक सुरेंद्र मोहन वर्मा एडवोकेट, देवेन्द्र श्रीवास्तव एडवोकेट, श्याम प्रकाश वर्मा एडवोकेट, प्रदीप कुमार श्रीवास्तव एडवोकेट एवं बस्ती इप्टा की अध्यक्ष वंदना चौधरी ने माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया। कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए इप्टा के संरक्षक सुरेंद्र मोहन वर्मा एडवोकेट ने यात्रा के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह यात्रा प्रेम और सद्भाव की यात्रा है आज हमें नानक, कबीर और रविदास के दिखाए गए रास्तों पर मजबूती के साथ चलने की आवश्यकता है और इसी के माध्यम से हम समाज को प्रेम और मानवता के सूत्र में बांध सकते हैं। इसके पश्चात् इप्टा बस्ती के वरिष्ठ रंगकर्मी व कवि विजय श्रीवास्तव द्वारा स्वरचित गीत की प्रस्तुति को काफ़ी सराहा गया –

ढाई आखर प्रेम की ये यात्रा
भाई चारा का संदेश लेकर आई है

मिटे नफरत का चलन प्रेम का साम्राज्य बने
कहीं न द्वेष ईर्ष्या छल के लिए स्थान बने
कोई बड़ा नहीं छोटा नहीं अभिमान को तजना होगा
एक दूजे से गले मिलके‌‌ सभी को यहां चलना होगा
सारे गिले-शिकवे मिटा दो यही कहने आई है ।

तदोपरांत जत्था ढोल और झाल की थाप पर गाते-बजाते अपने अगले पड़ाव शास्त्री चौक के लिए निकल पड़ा। शास्त्री चौराहे पहुँच कर वहाँ स्थापित लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा पर जत्थे में शामिल वरिष्ठ अधिवक्ता कौशल किशोर श्रीवास्तव एवं वरिष्ठ पत्रकार जयंत मिश्रा सहित जत्थे के साथियों ने शास्त्री जी की प्रतिमा माल्यार्पण का उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित की। इसी क्रम में कवि व संस्कृति कर्मी विजय श्रीवास्तव, जनगायक/रंगकर्मी कृष्ण चन्द्र श्रीवास्तव एवं वरिष्ठ कवि दीपक प्रेमी ने जनगीतों की प्रस्तुति की।

जत्थे के पदयात्री शहर के मुख्य और व्यस्त मार्गों से ‘लें मशाले चल पड़े हैं लोग मेरे गाँव के अब अंधेरा जीत लेगें लोग मेरे गाँव के’, ‘एक नया लाल सूरज उगे तम में डूबी ज़मी के लिए’ गीत गाते कचहरी, स्टेडियम से कम्पनी बाग़ होते हुए यात्रा के अंतिम पड़ाव सुभाष तिराहे मालवीय रोड स्थित नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा स्थली पर पहुँचे। यहाँ इप्टा बस्ती के सचिव अमरदीप साहित भोजपुरी सिने अभिनेता एवं इप्टा बस्ती के उपाध्यक्ष बाल मुकुन्द आकाश, संगठन मंत्री भक्ति नरायण श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष सुरेश चंद्र गौड़, मनोज श्रीवास्तव, कु० कृष्णा पाण्डेय आदि साथियों ने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रतिमा प्रांगण स्थल पर इप्टा बस्ती के कलाकारों ने जनगीतों के अतिरिक्त रहीम के दोहे –

रूठे सुजन मनाइए जो रूठे सौ बार
रहिमन फिर फिर पोइए टूटे मुक्ताहार

एवं कबीर पद –

कबीरा सोई पीर है जो जाने पर पीर
जो पर पीर न जानई सो काफी बेपीर

की संगीतमय प्रस्तुति की जिसे प्रांगण मे बड़ी संख्या उपस्थित लोगों ने काफी पसंद किया। यात्रा के समापन पर यात्रा संयोजिका/अध्यक्ष बस्ती इप्टा वंदना चौधरी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

ज्ञातव्य हो कि आपसी प्रेम एकता और भाईचारा के लिए प्रसिद्ध जिसका नाम ही विशुद्ध रूप से सांप्रदायिक सौहार्द और कस्बाई एकता का प्रतीक है, जनपद बस्ती तमाम राजनीतिक, साहित्यिक व सांस्कृतिक विरासतों को अपने में समेटे हुए है जिसमें शामिल हैं ग्रेजों के दांत खट्टे करने वाली महान वीरांगना रानी तलाश कुंवारी जो रानी अमोढ़ा के नाम से लोकप्रिय हैं। साहित्यिक पहचान प्रख्यात निबंधकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल, प्रसिद्ध नाटककार डॉ० लक्ष्मी नारायण लाल, लक्ष्मीकांत वर्मा एवं प्रख्यात कवि/नाटककार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना से है, जिन्होंने अपने लेखन से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। बस्ती जनपद में आंचलिक बोलियों का संगम भी देखने को मिलता है। जनपद के पूर्वी क्षेत्र में भोजपुरी और पश्चिम क्षेत्र में अवधि का प्रयोग किया जाता है।

सांस्कृतिक यात्रा में इप्टा बस्ती के सरंक्षक सुरेंद्र मोहन वर्मा एडवोकेट, देवेंद्र श्रीवास्तव एडवोकेट, श्याम प्रकाश शर्मा एडवोकेट, प्रदीप कुमार श्रीवास्तव एडवोकेट के अतिरिक्त स्थानीय यात्रा संयोजक व इप्टा बस्ती की अध्यक्ष वन्दना चौधरी, सह संयोजक यात्रा विजय श्रीवास्तव, यात्रा समंवयक/सचिव इप्टा बस्ती अमरदीप, उपाध्यक्ष – बाल मुकुंद आकाश, संगठन मंत्री – भक्ति नरायण श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष- सुरेश चन्द्र गौड़ शुभम साहू, शैलेश श्रीवास्तव, परमात्मा प्रसाद श्रीवास्तव, कृष्ण चन्द्र श्रीवास्तव, अमित कुमार मिश्र , जयंत मिश्रा, कौशल किशोर श्रीवास्तव, कु० कृष्णा पांडे, किशन पांडे, दुर्गेश नंदन श्रीवास्तव एडवोकेट, सूफी गायक सत्येंद्र श्रीवास्तव, अनिल सिंह, कामरेड राम लौट, कुलदीप मिश्रा एडवोकेट, मनोज श्रीवास्तव, प्रदीप श्रीवास्तव एवं उमेश यादव सहित अन्य लोग मौजूद थे।

रिपोर्ट: शहज़ाद रिज़वी, राज्य महासचिव इप्टा उ० प्र०

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