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झुको नहीं, रुको नहीं, बढ़े चलो – बढ़े चलो

Poem: Sohanlal DwivediPoster: Obaid Akhtar

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Poetry/Tales

जब नव-जीवन की नई ज्योति अंतस्थल में जग जाती है

(गीत) खादी के धागे-धागे में अपनेपन का अभिमान भरा माता का इसमें मान भरा अन्यायी का अपमान भरा खादी के रेशे-रेशे में अपने भाई का प्यार भरा मां-बहनों का सत्कार भरा बच्चों का मधुर दुलार भरा खादी की रजत चंद्रिका जब, आकर तन पर मुसकाती है जब नव-जीवन की नई ज्योति अंतस्थल में जग जाती […]