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हमारे पूर्वजों ने जो यात्रा शुरू की थी…

• मृगेन्द्र •

प्रेम, सद्भाव, भाईचारा, एकजुटता की भावना के साथ ही देश की बहुलतावादी संस्कृति का सम्मान करने वाले जनसंगठनों के नेत्रत्व में देशभर में ढाई आखर प्रेम यात्रा के नाम से सांस्कृतिक यात्रा निकाली जा रही है। भगत सिंह के जन्मदिवस पर अलवर से शुरू हुई यह यात्रा 03 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में निकाली गई।

बच्चे, बड़े सभी के हाथों में प्रेम का संदेश देते पोस्टर, कार्डबोर्ड, ढपली की तान के साथ जनगीत गाते इप्टा के साथी और उनके साथ चल रहे आम नागरिक।

यह मेरे लिए पिछले साल 9 अप्रैल को शुरू हुई इप्टा की ढाई आखर प्रेम यात्रा की यादों को जीवंत कर देने वाला दृश्य था।

जांजगीर की बात करें तो पिछली बार की तुलना में यह यात्रा ज्यादा व्यवस्थित और नयेपन के साथ थी। सुबह ही बारिश हो चुकी थी, जिसके चलते मौसम भी सुहाना था, लेकिन जैसा कि छत्तीसगढ़ के मौसम का मिजाज है कि बरसात के दिनों में कितनी भी बारिश हो जाये, कुछ ही देर में उमस अपना स्थान बना लेती है। फिर भी पिछली बार की जानलेवा तपन से तो बेहतर मौसम था। पिछली बार जैसे ही हम लोग जांजगीर पहुंचे गन्ने का रस पिला कर स्वागत किया गया था। इस बार उसकी जरूरत नहीं पड़ी। गन्ने का रस मिलने वाली जगह पर मूंगफली और कच्चे सिघाड़े के ठेले लगे थे।

खैर, यात्रा की शुरुआत तालाब के किनारे लगभग हजार साल पुराने मंदिर के परिसर पर गीतों और संबोधन के साथ हुई। मै जब पहुंचा तब तक यहां का लोकगीत जिसे बांसगीत कहते हैं, वरिष्ठ लोकगायक द्वारा प्रस्तुत किया जा चुका था। जिसकी प्रशंसा बाद में भी सुनने को मिली। मंदिर परिसर से रैली के रूप में आगे बढ़ने की तैयारी हो चुकी थी। इप्टा छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष मणिमय मुखर्जी माइक थाम चुके थे और मिल के चलो-मिल के चलो जनगीत फिजा में गूंज रहा था और यात्रा बढ़ चली। इप्टा रायगढ़ के साथी भरत और श्याम सहित अन्य साथी भी ढपली के साथ जनगीत गाते हुए सभी के साथ कदमताल करते हुए चलते रहे। सांस्कृतिक रैली में पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे लड़के लड़कियां। प्रेम और शांति का नारा लगाते हुए सभी साथी कचहरी चौक पहुंचे। यहां पर शहीद पार्क के बाहर जनगीतों की प्रस्तुति के साथ ही यात्रा के उद्देश्य को लेकर बातें रखी गयी।

इस दौरान इप्टा के साथी व छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी अध्यक्ष ईश्वर सिंह दोस्त ने कहा कि जब परिवार, समाज में शक-ओ-शुबहा की शुरुआत होती है तो परिवार और समाज टूटता है। इसी तरह देश और दुनिया। लेकिन आज यह सब जानते हुए भी कुछ लोग शक-ओ-शुबहा को फैलाते-फैलाते यहां तक आ पहुंचे हैं कि बाकायदा नफ़रत के करोबार में तत्परता के साथ लगे हुए हैं। वो नफरत इसलिये फैला रहे हैं ताकि आप शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे मूलभूत मुद्दों को लेकर आवाज ना उठायें। आपस में लड़ते-भिड़ते रहें। उन्होंने कहा कि इप्टा इसीलिए प्रेम की यात्रा निकाल रही है ताकि समाज से नफ़रत गायब हो और परस्पर प्रेम बढ़े। इप्टा उसी उसी संदेश को आगे बढ़ा रही है जो बुद्ध ने संदेश दिया था। बुद्ध, कबीर, रहीम, रसखान, नानक जैसे हमारे पूर्वजों ने जो यात्रा शुरू की थी, आज इप्टा उसी यात्रा को आगे बढ़ा रहा है।

यात्रा के क्षेत्रीय आयोजक जीवन यादव का उत्साह पहले की तरह ही देखने को मिला। स्पीकर खराब होने पर उन्होंने कहा कि हमारे पास संसाधनों की कमी है लेकिन उत्साह में कोई कमी नहीं है, जो दिख भी रहा था। जीवन यादव ने कहा कि यह यात्रा श्रम से उपजे प्रेम की यात्रा है। यहाँ पर जसम रायपुर के साथी राजकुमार सोनी ने जनगीत प्रस्तुत किया। इप्टा बिलासपुर से अरुण दाभाड़कर, प्रगतिशील लेखक संघ के प्रदेश अध्यक्ष नथमल शर्मा, रफ़ीक खान, मोहम्मद रफ़ीक सहित श्रीकांत वर्मा पीठ के अध्यक्ष राम कुमार तिवारी, कॉमरेड श्याम बिहारी बनाफ़र, मुदित मिश्र सहित क्षेत्रीय नागरिक उपस्थित रहे।

इसके बाद जांजगीर चाम्पा के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए सांस्कृतिक यात्रा चांपा के लिए निकल पड़ी। थोड़ी दूर पैदल साथ चलने के बाद हम लोग साथियों से विदा लेकर रायपुर के लिए निकल गये। बाद में पता चला कि चांपा में अच्छा आयोजन हुआ और लोगों की उपस्थिति भी बढ़िया रही।।।

 

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