Categories
Daily Update

खेती-किसानी, प्रकृति और प्रेम के रंगों से सराबोर रही ‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा

|| यात्रा के झारखंड पड़ाव का तीसरा और चौथा दिन ||

आँसू हों तो प्रेम के हों…

‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा का जत्था झारखण्ड पड़ाव के तीसरे दिन पिछले पड़ाव महुलिया से आगे बढ़ा। सुभाष चौक, गालूडीह बाज़ार पर यात्रा के कलाकारों ने उपस्थित लोगों के सामने जनगीत गाए और यात्रा का सन्देश दिया। बराज कॉलोनी में नाचा के कलाकारों के द्वारा लोकनृत्य पेश किया गया। ज्योति ने बांग्ला भाषा में और प्रेम प्रकाश ने हिंदी में यात्रा के उद्देश्य का बारे में बताया।

जोश के साथ जनगीत गाते हुए जत्था दिगडी होते हुए राखा माइंस में केदार भवन जा पहुँचा। यहाँ कॉमरेड केदार दास के जीवन के बारे में शशि कुमार ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केदार बाबू के जीवन भर की कमाई दो जोड़ी धोती और बनियान थी। जब उनका देहांत हुआ तो उनकी अंतिम यात्रा में दस किलोमीटर तक लोगों की कतार थी। उन्होंने कहा कि आँसू हों तो प्रेम के हों, छेड़छाड़ हो तो प्रिय-प्रिया की हो, कलह की न हो। वहाँ लिटिल इप्टा के बाल कलाकारों ने ‘पढ़के हम तो इंकलाब लाएँगे’ गीत गाया।

इसके बाद जत्था बढ़ते हुए जादूगोड़ा चौक पहुँचा। यहाँ भी बाल कलाकारों ने जनगीत प्रस्तुत किया। अगला पड़ाव भाटिन गाँव में लुगू मुर्मू रेसिडेंशियल ट्राइबल स्कूल में था, जहाँ स्कूल के बच्चों और स्कूल से जुड़े लोगों ने पारम्परिक रूप से सांस्कृतिक जत्था का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन लखाई बास्के ने किया। उन्होंने अतिथि कलाकार यात्रियों का स्वागत करते हुए डुमु पीठा खिलाया। रामू सोरेन ने स्कूल के बारे में जानकारी दी और स्कूल के संस्थापकों, शिक्षक-शिक्षिकाओं का परिचय कराया। भोजनोपरांत धमसा (नगाड़ा) बजाकर पारम्परिक नृत्य प्रस्तुत किया गया, जिसमें यात्री कलाकार भी उत्साह से शामिल हुए।

लुगु मुर्मू स्कूल में इप्टा पलामू के कलाकारों ने ‘बोल भाई झारखण्ड’ गाकर सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत की। लिटिल इप्टा के बच्चों ने जनगीत ‘ढाई आखर प्रेम के पढ़ ले ज़रा’ पेश किया। इप्टा घाटशिला के कलाकारों ने संथाली गीत ‘आले ले ले दिशोम’ गया। उसके बाद नाचा-गम्मत कलाकारों ने लोक नाटक प्रस्तुत किया। नाटक के बाद प्रख्यात वृत्तचित्रकार बीजू टोप्पो की फिल्म का प्रदर्शन हुआ।

भाटिन गाँव में भी सांस्कृतिक संध्या का आयोजन हुआ। आज यात्रा में कुछ नए सहयात्री जुड़े, जिनमें मुख्य थे कथाकार कमल, कृपाशंकर, जनमत के संपादक सुधीर सुमन, विनय, शशिकुमार, शायर गौहर अज़ीज़, नासिक इप्टा के तल्हा और संकेत, मनोरमा, संजय सोलोमन, प्रशांत, नोरा, अंजना, श्वेता, शशांक और लिटिल इप्टा के कुछ और कलाकार।

किसानों की खुशी और प्रकृति से प्रेम…

चौथे दिन 11 दिसम्बर को ढाई आखर प्रेम की पदयात्रा लुगू मुर्मू रेजिडेंशियल स्कूल भाटीन से नाश्ता के बाद प्रारंभ हुई। यात्रा में भाटीन के पलटन सोरेन और हडतोपा गांव की उर्मिला शामिल हुई। भाटीन के रास्ते पर गीत के माध्यम से पुरखों के प्रेम के संदेश को फैलाते हुए पदयात्रा आगे बढ़ रही थी जब पलटन सोरेन सभी पदयात्रियों को अपने घर ले गए और अपने परिवार के लोगों से मिलाया। पदयात्रियों ने पलटन सोरेन को एक गीत गाने को कहा तो उन्होंने संथाली भाषा में एक गीत सुनाया। गीत के माध्यम से पलटन सोरेन ने पहली बारिश में किसानों की खुशी और प्रकृति से प्रेम को प्रदर्शित किया। जब पहली बारिश होती है तो काले बादल को देखकर मोर भी नाच उठता है। यह पहली बारिश के प्रति तमाम जीव जगत के प्रेम को प्रदर्शित करता है।

पलटन सोरेन के परिवार के प्रति प्रेम प्रदर्शित करते हुए पदयात्रा आगे बढ़ी और एक से डेढ़ किलोमीटर चलने के बाद नीमडीह गांव पहुंची। यहां कलाकारों ने ‘बोल रे भाई झारखंडी बोलो’ गीत की प्रस्तुति से कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम की कड़ी में छत्तीसगढ़ी शैली में एक गीत निसार अली के नेतृत्व में प्रस्तुत किया गया। अंत में नीमडीह के छीतअ हेंब्रम ने संथाली गीत प्रस्तुत किया। गीत के माध्यम से उन्होंने कहा कि चाहे जितना भी पढ़ लिख लो, खेती-बाड़ी मत छोड़ना। इसके बाद पदयात्रियों ने झरिया गांव के लिए प्रस्थान किया।

झरिया गांव में नाचते-गाते, पर्चा बांटते हुए यात्रा आगे बढ़ती रही और राजदोहा गांव पहुँची। इस गांव के उत्क्रमित मध्य विद्यालय परिसर में पदयात्रियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में विद्यालय के छात्रों के द्वारा नृत्य प्रस्तुत किया गया, जिसे पदयात्रियों ने काफी सराहा। इसके बाद छत्तीसगढ़ के कलाकारों के द्वारा निसार अली के निर्देशन में नाचा थिएटर शैली में ‘ढाई आखर प्रेम’ नामक नाटक प्रस्तुत किया गया। बच्चों और शिक्षकों ने नाटक का भरपूर आनंद उठाया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम से पहले इस विद्यालय में बच्चों के बीच शॉर्ट फिल्में दिखाई गई। सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंत में फिल्मकार बीजू टोप्पो ने बच्चों के बीच दिखाई गई फिल्म के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि सभी फिल्मों में प्रेम के संदेश छुपे हैं। किसी अच्छी वस्तु का निर्माण बिना प्रेम के संभव नहीं। आपने फिल्म में देखा पृथ्वी का निर्माण भी सभी जलचर जीवों ने मिलकर किया है।
यहाँ कार्यक्रम का संचालन अंकुर ने किया।

जीवन की बेहतरी के लिए प्रेम महत्वपूर्ण…

पदयात्रियों ने नाचते-गाते हुए राजदोहा गांव का भ्रमण किया और पर्चा का वितरण किया। आगे बढ़ते हुए सभी पदयात्री संगीत-नाटक अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत दुर्गा सोरेन के घर पहुंचे। उनके घर पहुंच कर उनसे बातचीत किया। उन्होंने जीवन की बेहतरी के लिए प्रेम को महत्वपूर्ण बताया और संथाली में एक कविता दुलड सुनाया। पद यात्रियों में साथ चलने वाले नाचा शैली थिएटर के विशेषज्ञ निसार अली के नेतृत्व में एक गीत प्रस्तुत किया गया।

नोरा नदी के किनारे पिकनिक प्लेस पर पद यात्रियों के द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया और नदी किनारे भोजन का आनंद उठाया। इसके बाद हडतोपा के लिए यात्रा ने प्रस्थान किया और रारते में बसंती चौक, मुर्गाघुटु पर गीतों की प्रस्तुति करते हुए हडतोपा गांव पहुंची। इस गांव में पहुंचते ही रामचंद्र मारडी और उर्मिला हांसदा के नेतृत्व पद यात्रियों का भव्य स्वागत किया गया।

Spread the love
%d bloggers like this: