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दुःख की घडी में हम एक-दूसरे का सहारा बनेंगे, आने वाली पीढ़ी को प्रेम का सन्देश देंगे

|| झारखंड यात्रा का पाँचवाँ दिन हड़तोपा, डोमजुड़ी, गोविंदपुर में ||

‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा के पाँचवें और अंतिम दिन की शुरुआत हड़तोपा गाँव से हुई। नाचते-गाते हुए और अपने गीतों के माध्यम से शहीद पुरखों को याद करते हुए यात्रा गाँव के प्राथमिक विद्यालय में पहुँची। बच्चों के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आरम्भ में स्कूल के बच्चों ने बाहर मधुर स्वागत गीत से यात्रियों का स्वागत किया। इसके बाद बच्चों ने एक नाटक प्रस्तुत किया। नाटक के माध्यम से पढ़ाई-लिखाई के महत्व को बताया गया। विद्यालय में कार्यक्रम का संयोजन उर्मिला हसदा और रामचंद्र मार्डी ने किया।

कार्यक्रम के बाद यात्रा नाचते-गाते हुए आगे बढ़ी। बीच रस्ते में चाईबासा के साथी यात्रा में शामिल हुए। इस तरह कारवाँ में लोग जुड़ते रहे और यात्रा आगे बढ़ती रही। लगभग चार किलोमीटर की यात्रा के बाद पदयात्री डोमजुड़ी पहुंचे, जहाँ पदयात्रियों की ओर से फिल्मकार तरुण मोहम्मद ने परगना हरिपदो मुर्मू को प्रेम और श्रम का प्रतीक गमछा भेंट कर सम्मानित किया।

इस मौके पर परगना हरिपदो मुर्मू ने सभी पदयात्रियों को ढेर सारी शुभकामनाएँ देते हुए कहा, “आप सभी प्रेम बाँट रहे हैं, यह सबसे बड़ी बात है।” इसके बाद उर्मिला और रामचंद्र ने सामूहिक रूप से संथाली गीत प्रस्तुत किया। गीत के माध्यम से उन्होंने कहा कि पहाड़-पर्वत फूल और पत्तों से सजे हैं। नदी-झरने सजे हैं झर-झर बहते हुए पानी से। हम लोग फूलों से सजेंगे और फलों का आनंद लेंगे। दुःख की घडी में हम एक-दूसरे का सहारा बनेंगे। आने वाली पीढ़ी को प्रेम का सन्देश देंगे।

कार्यक्रम की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए परवेज़ आलम ने ‘हो’ भाषा में एक गीत प्रस्तुत किया। उन्होंने गीत के माध्यम से बिरसा मुंडा के जीवन और उनके संघर्षों को विस्तार से बताया। साथ ही उन्होंने जल-जंगल-ज़मीन के प्रति बिरसा के समर्पण को भी प्रतिबिंबित किया। जल-जंगल-ज़मीन और स्वतंत्रत की खातिर उन्होंने अपने जीवन को कुर्बान कर दिया। कार्यक्रम का संचालन उर्मिला ने किया।

इसके बाद डोमजुड़ी से नाचते-गाते और परचा बाँटते हुए यात्रा गोविंदपुर स्टेशन पर पहुंची। वहाँ गाँधी शांति प्रतिष्ठान के सुखचन्द्र झा, कॉम. केदार दास के पौत्र अशोक लाल दास, प्रगतिशील लेखक संघ के विनय कुमार के साथ गोविंदपुर के नागरिकों ने पदयात्रियों का स्वागत किया। शाम को ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक पदयात्रा जेम्को इलाके के प्रेमनगर स्थित वरिष्ठ नागरिक समिति पहुँची, जहाँ पदयात्रियों का रात्रि विश्राम था।

13 दिसम्बर को होगा यात्रा का समापन

13 दिसम्बर को सुबह प्रेमनगर से साकची स्थित बिरसा स्मारक पर शहीद बिरसा मुंडा को नमन करते हुए झारखण्ड की ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक पदयात्रा का समापन होगा।

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