- अर्पिता.
प्रेम की यात्रा के शुरू करने का लम्हा हम याद रख सकते हैं और उसे कहीं किसी भी रूप में दर्ज कर सकते हैं। इसे दर्ज करने की आवश्यकता भी है जिससे कि आने वाली पीढ़ी के लिए यह जीने के अभ्यास में शामिल करने का उदाहरण बने।
प्रेम की यात्रा एक बार शुरू होती है तो इसके अनंतकाल तक चलने के लिए हमें गाहे-बगाहे कोशिश करनी पड़ती है क्योंकि कई बार हम मानवीय मूल्यों को भूलकर ऐसी दिशा में बढ़ जाते हैं जहां इंसान, इंसान का दुश्मन बनने में देर नहीं करता। इंसानियत को ताक में रख दिया जाता है और अवाम से उम्मीद की जाती है कि वो अपना विवेक और मनुष्यता तजकर उस रास्ते चल पड़े जो दुनिया को हिंसा, अमानवीयता के गर्त में पहुंचाता हो, और इस रास्ते में आभास इसका दिलाया जाता है कि यह रास्ता श्रेष्ठता का सर्वमान्य रास्ता है।
इस नकली यानी आभासी दुनिया को बनाने के लिए आज के समय में कई उपाय मौजूद हैं जिनकी बदौलत हम अपनी क्षमताओं को भूल रहे हैं, सही-गलत के निर्णय का विवेक खो रहे हैं। हमारी हस्ती एक भीड़ में तब्दील हो सिकुड़ती चली जा रही है जिसमें हम श्रेष्ठ मानव के गर्व से भरे स्व-केंद्रित हो चले हैं।इस आभासी दुनिया के जाल से निकलने की यात्रा है प्रेम की यात्रा जहां हम और आप अपनी तमाम पहचानों और अहं को तजते चलेंगे। प्रेम के संदेश से उपजी आवाज़ें हमारी कोमल संवेदनाओं के तन्तु को जाग्रत करेंगी और डर की दुनिया से मुक्त करेंगी।
हम जहां भी हैं वहाँ से एक यात्रा हम अकेले शुरू कर सकते हैं जिसका पैमाना होगा हमारे जीवन अभ्यास में प्रेम की रक्त धमनियों का विस्तार, और दूसरी यात्रा शुरू होगी अपने आसपास के लोगों के साथ, जिनके साथ हम जीवन गुज़ारते हैं। बस यही बदलाव हमें दुनिया के उस रास्ते में लाएगा जिस पर चले कबीर, रैदास, नानक, रूमी, गांधी, अंबेडकर और भगत सिंह।
‘प्रेम’ शब्द गिनती में ढाई है पर इसे साधने और जीने के लिए बहुत कुछ तजना होता है। तभी न कबीर ने कहा-
“कबीरा खड़ा बाजार में, लिए लुकाठी हाथ
जो घर फूंके आपनौ, चले हमारे साथ”
जो घर फूंके आपनौ, चले हमारे साथ”
इस छोटे से दोहे में जीने का वो अंदाज़ कबीर देते हैं जिसके बूते बनती हैं हमारे आसपास की वो शख़्सियतें जिनकी बदौलत हम प्रेम की राह में चलने और जीने का जज़्बा बरक़रार रखे हैं। परसाई, मुक्तिबोध, प्रेमचंद, हबीब तनवीर, शैलेन्द्र और न जाने कितनों ने इस प्रेम की यात्रा को अपने जीवन में, काम में ज़िंदा रखा जो हमारे लिए मिसाल है। यह सूची लंबी है और हमारी “ढाई आखर प्रेम” यात्रा भी लगातार चलने वाली है। हम नियत समय में अपने राज्य में इसे पूरा कर ठहरेंगे नहीं और खत्म नहीं मानेंगे, बल्कि इस जज़्बे की लौ में जलते हम प्रेम की मशाल को ज़िंदा रखेंगे।
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