ढाई आखर प्रेम की मूल भावना और उसके अपरिमित विस्तार को दर्शाती बचपन में पढ़ी एक कहानी मुझे याद आ रही है। साधु और बिच्छू की कहानी। नदी में नहाते समय साधु ने जब पानी में बहते हुए एक बिच्छू को अपनी जान बचाने के लिए हाथ पैर मारते देखा तो उसे दया आ गई। […]
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