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झारखण्ड में ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक यात्रा ने बुनी एक बहुरंगी चादर

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‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक पदयात्रा के नवें राज्य झारखण्ड में यात्रा पूरी तरह आदिवासी संस्कृति-संवाद के मीठे लय-तालभरे नृत्यों की थिरकन और परस्पर घुलने-मिलने का शानदार उदाहरण रही। इसमें न केवल अनेक महिला साथी शामिल हुए, बल्कि अनेक बाल कलाकार, स्कूल के बच्चे भी बराबरी से प्रस्तुतियों में भरपूर उत्साह के साथ दिखाई दिए। पदयात्रा में अनेक बुजुर्ग साथी भी पूरे दमख़म के साथ गाँव-दर-गाँव घूमते हुए जन-संवाद कर रहे थे। वक्त आने पर नाचे भी। हरेक क्षेत्र के स्थानीय सांस्कृतिक आदान-प्रदान की इसी तरह की अवधारणा ‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा की शुरुआत में की गयी थी। इस आदान-प्रदान में औपचारिकताओं के सभी बंधन टूट गए थे। यहाँ पदयात्री सिर्फ सन्देश देने, अपने नाटक दिखाने के लिए नहीं आये थे, बल्कि वे स्थानीय बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों से गाना-बजाना-नाचना-चलने का सहज अंदाज़ सीख रहे थे, उनके जीवन में सम्मिलित हो रहे थे। खिले हुए चेहरों के साथ सभी पदयात्री हर उम्र के स्थानीय लोगों से घुलमिलकर ऐसे नाच-गा रहे थे कि अपनेआप प्यार-मोहब्बत का सन्देश सबके दिलों में हलचल मचा रहा था।

07 दिसंबर 2023 गुरूवार

झूठ, नफरत और हिंसा के विरुद्ध ‘ढाई आखर प्रेम’ की झारखण्ड राज्य की पदयात्रा लोकप्रिय उपन्यासकार विभूतिभूषण बंदोपाध्याय की कर्मभूमि से 08 दिसंबर को आरम्भ हुई । इसकी पूर्वसंध्या पर ‘पूर्वरंग’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ‘ढाई आखर प्रेम पदयात्रा आयोजन समिति’ द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन घाटशिला स्थित गौरीकुंज के तारादास मंच पर किया गया था। बारिश के बावजूद घाटशिला में साथियों का उत्साह बरकरार रहा।

पूर्वरंग कार्यक्रम की शुरुआत विभूतिभूषण बंदोपाध्याय की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई। माल्यार्पण साइंस फॉर सोसाइटी झारखण्ड के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ अली इमाम खान, महासचिव डॉ डी एन एस आनंद, गौरीकुंज के अध्यक्ष तापस चटर्जी, जनवादी लेखक संघ जमशेदपुर के जिला अध्यक्ष अशोक शुभदर्शी, प्रगतिशील लेखक संघ के शशि कुमार, छत्तीसगढ़ इप्टा के सदस्य निसार अली तथा राष्ट्रीय सचिव शैलेन्द्र कुमार ने सामूहिक रूप से किया। इस मौके पर डॉ अली इमाम खान ने कहा कि बराबरी संघर्ष की धरती रही है। इस यात्रा से सन्देश नीचे तक जायेगा। हम ‘हम और वे’ की बाउंड्री को तोड़ेंगे। ये मामला एक-दो-चार का नहीं, बल्कि हम सब का है। सभी लोगों के समान हक़ व आज़ादी की बात करेगी हमारी यात्रा।

माल्यार्पण कार्यक्रम के बाद मंच पर उपस्थित कलाकारों ने कार्यक्रम प्रस्तुत किये। सलिल चौधरी द्वारा इप्टा के लिए लिखा गीत “पोथेर एबार नामो साथी” गाया गया, जिसे दाहिगोड़ा में स्थित गौरी कुंज के आसपास रहने वाली किशोरियों और बच्चों ने प्रस्तुत किया। ये कलाकार साथी थे – स्वीटी बारीक, संजना मंडल, रिया मंडल, बबीता प्रधान, शुभाशीष मंडल और नृत्य सिखाया था घाटशिला इप्टा की साथी ज्योति मल्लिक ने। इसके अलावा ‘ढाई आखर प्रेम’ गीत, संथाली गीत तथा छत्तीसगढ़ी नाचा शैली में ‘ढाई आखर प्रेम’ नाटक प्रस्तुत किया गया।

इस मौके पर पद्मश्री मधु मंसूरी ने ‘गाँव छोड़ब नाहीं’ गीत की प्रस्तुति के साथ जीवन के लिए प्रेम को आवश्यक बताया। लोकप्रिय कथाकार रणेन्द्र ने कहा कि वर्त्तमान समय में सिर्फ मानव से ही प्रेम नहीं, बल्कि तमाम प्राणी जगत और वनस्पति जगत से प्रेम की आवश्यकता है। तभी हमारा जीवन खुशहाल हो सकता है। प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव मिथिलेश सिंह एवं अन्य साथियों ने भी आयोजन समिति के साथ अपनी एकजुटता जाहिर की। इस अवसर पर तारादास मंच पर आयोजन समिति द्वारा पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख, ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक कथाकार रणेन्द्र, चित्रकार भारती, झारखंड प्रलेस के महासचिव मिथिलेश, डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकर बीजू टोप्पो, डॉ अली इमाम खान, डॉ डी एन एस आनंद, अशोक शुभदर्शी को प्रेम और श्रम का प्रतीक गमछा देकर सम्मानित किया गया। ‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा के पूर्व रंग के रात्रि भोजन के लिए इप्टा घाटशिला के अध्यक्ष गणेश मुर्मू के घर पर लिट्टी चोखा घर की महिला सदस्यों द्वारा बनाकर खिलाया गया।

08 दिसंबर 2023 शुक्रवार

‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा की शुरुआत 08 दिसंबर 2023 से हुई। पदयात्रा का आगाज़ मऊभंडार आई सी सी मज़दूर यूनियन ऑफिस के बासुकि मंच से छत्तीसगढ़ के साथी निसार अली की प्रस्तुति के साथ किया गया। पलामू इप्टा के जनगीत के साथ कारवाँ आगे बढ़ा। कॉम ओमप्रकाश सिंह, बीरेंद्र सिंहदेव, महमूद अली, सुशांत सीट, रवि प्रकाश सिंह, कॉम विक्रम कुमार सहित अनेक लोगों ने यात्रा की शुरुआत में अपनी भागीदारी की और अगले पड़ाव तक साथ चले।

पहला पड़ाव चुनूडीह धरमबहाल में हुआ। मुखिया बनाव मुर्मू और माझी मुकेश मुर्मू आदि ने जत्थे के कलाकारों का स्वागत किया। पद्मश्री मधु मंसूरी ने गीत गाया। घाटशिला इप्टा के साथियों के साथ ग्रामीणों ने धमसा-तुमदा बजाकर और लोकगीत के साथ नृत्य प्रदर्शन किया। ग्रामीण भी अगले पड़ाव तक साथ चलकर गए। यात्रा में प्रगतिशील लेखक संघ झारखण्ड के अध्यक्ष रणेन्द्र, महासचिव मिथिलेश सिंह, पद्मश्री मधु मंसूरी, छत्तीसगढ़ी नाचा के कलाकार निसार अली के नेतृत्व में देवनारायण साहू, जगनू राम, हर्ष सेन, कैमरे के साथ बीजू टोप्पो और डालटनगंज इप्टा के कलाकार गीत-संगीत के साथ चल रहे थे।

एदेलबेडा गाँव होते हुए जत्था दोपहर को झांपड़ीशोल गाँव में पहुंचा। यहाँ गाँव के माझी पीताम्बर जी के नेतृत्व में ग्रामीणों ने पारम्परिक रूप से स्वागत किया। मधु मंसूरी ने झारखण्ड के कोरा गाकर सबको झुमा दिया। साथ ही सिंग सिंगराया, सुन्दर हेम्ब्रम, बुधन सोरेन ने सेंदरा गीत सुनाया तथा महिलाओं ने संथाली नृत्य किया। ये झापड़ीशोल गांव के ग्रामीण थे, जिन्होंने यात्रा की आमद और गीत-नृत्य देख स्कूल में पहुँचकर कहा कि हमें भी गीत गाना है। लगभग 50-52 की उम्र के दोनों पुरुष कलाकार साथी तैयार होने लगे – एक केंदरी बजाने के लिए, तो दूसरा साड़ी, नकली नथ और बाल – चोटी लगाकर । उन्हें लेकर अखड़ा आए तो उन्होंने गीत गया। गीत के बाद मधु मंसूरी ने उठकर उनसे बात की और युवाओं में आदिवासी वाद्य यंत्रों के प्रति अरुचि पर चिंता ज़ाहिर की। घाटशिला इप्टा के कलाकारों ने संथाली गीत ‘बेरेद मेसे हो…’ गाया। गाँव के स्कूल में निसार अली के नाचा दल ने बच्चों के सामने ‘चिड़िया और शिकारी’ की मोहक प्रस्तुति दी। गाँव के लोक कलाकारों ने पारम्परिक गीत गाए। उर्मिला हांसदा ने सुन्दर गीत सुनाया। गाँव में जत्थे को भोजन कराया गया।

इसके बाद यह पदयात्रा बनकाटी से होते हुए हेंदलजुड़ी पहुँची। यहाँ स्थानीय निवासियों के बीच और उनके साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए। हेंदलजुड़ी से पदयात्रा कालाझोर पहुँची, जहाँ रात को सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए। रात को खाना खाकर उत्क्रमित मध्य विद्यालय में रात्रि विश्राम किया गया। इसमें स्थानीय निवासी फुदान सोरेन ने वायलिन वादन करते हुए पारम्परिक संथाली गीत प्रस्तुत किया। साथ ही निसार अली, देवनारायण साहू, जगनू राम ध्रुव तथा हर्ष सेन ने छत्तीसगढ़ी नाचा शैली में नाटक प्रस्तुत किया।

प्रथम दिन की पदयात्रा में पंकज श्रीवास्तव, प्रेम प्रकाश, भोला, संजू, शशि, अनुभव, रवि, स्नेहज मल्लिक, ज्योति मल्लिक, गणेश मुर्मू, शेखर मल्लिक, उर्मिला हांसदा, रामचंद्र मार्डी, डॉ देवदूत सोरेन, शशि कुमार, अंकुर, अर्पिता, उपेंद्र मिश्रा, शैलेन्द्र कुमार, मृदुला मिश्रा, अहमद बद्र, अशोक शुभदर्शी, रणेन्द्र, मिथिलेश, डॉ अली इमाम खान, गीता, मल्लिका, मानव (पवित्रो), अरविन्द अंजुम और राकेश सम्मिलित थे।

09 दिसंबर 2023 शनिवार

‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा के दूसरे दिन की यात्रा कालाझोर उत्क्रमित मध्य विद्यालय से सुबह 8:00 बजे प्रारंभ हुई। 9:30 बजे यात्रा राजाबासा पहुँची, जहां दुलाल चन्द्र हांसदा, सिद्धो मुर्मू ने जत्थे का स्वागत किया। इन्हें ‘ढाई आखर प्रेम गमछा’ ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। अंग्रेजों के समय में यहां से लगान देने के लिए गाँव का राजा अंग्रेज़ों के पास नहीं जाता था, बल्कि अंग्रेज़ अधिकारी खुद आते थे और कुछ दिन यहां रहकर आगे जाते थे इसलिए इस गांव का नाम राजाबासा पड़ा। पदयात्री राजाबासा की गलियों में गाते-बजाते हुए राजाबासा अखड़ा में पहुँचे, जहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत जमशेदपुर इप्टा के बाल कलाकारों के द्वारा ‘ढाई आखर प्रेम रे साधो’ गीत से हुई। इसके बाद छत्तीसगढ़ इप्टा के कलाकारों ने निसार अली के नेतृत्व में ‘ढाई आखर प्रेम’ नामक नाटक पेश किया गया। नाटक के बाद पलामू इप्टा के कलाकारों के द्वारा एकता, समानता और शांति के लिए गीत प्रस्तुत किया गया।

कार्यक्रम के बीच सिद्धराम मुर्मू, दुलाल हादसा, मंगल मुर्मू को प्रेम और श्रम का प्रतीक गमछा भेंटकर सम्मानित किया गया। घाटशिला इप्टा के द्वारा संथाली गीत प्रस्तुत हुए। स्थानीय आदिवासी महिलाओं सोमवारी हेंब्रम , रायमनी टुडू और चंपा मुर्मू ने पारंपरिक संथाली गीत पेश किए। अपने गीत के माध्यम से उन्होंने माता-पिता के प्रति अगाध प्रेम को प्रतिबिंबित करते हुए बताया कि जिन माँ-बाप ने हम लोगों को जन्म दिया, आज जब उनकी सेवा का वक्त आया तो वे हम सब को छोड़कर विदा हो गए। ग्रामीण महिलाओं ने ‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रा के पदयात्रियों के साथ उत्साह के साथ नृत्य किया।

कार्यक्रम के अंत में शैलेंद्र कुमार ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि आज पूरी दुनिया में हिंसा का माहौल है। सत्ता के लोग आपस में फूट पैदा कर अपने वर्चस्व को बरकरार रखना चाहते हैं। समाज को आज प्रेम की जरूरत है। हम प्रेम का संदेश अपने गीतों में लेकर आए हुए हैं। हमारे गीत प्रेम के गीत हैं, भूख के विरुद्ध भात के गीत हैं। शैलेन्द्र ने आगे कहा कि घृणा सबसे पहले खुद को मारती है फिर दूसरे को मारती है। कार्यक्रम का संचालन शेखर मलिक ने किया। इस गांव में सभी बांग्ला भाषी मिले। लेकिन आपसी प्रेम के कारण भाषा की कोई समस्या नहीं रही।

दर्जनों संस्कृतिकर्मियों के साथ डॉक्टर अली इमाम खान, डीएस आनंद, भावी पीढ़ी के संपादक ओम प्रकाश सिंह, रायगढ़ से आए रविंद्र चौबे, अहमद बद्र, अंजना, सहेंद्र यात्रा में साथ चल रहे हैं। दूसरे दिन की यात्रा में विशेष रूप से जमशेदपुर इप्टा की बाल टीम आकर्षण का केंद्र रही। बाल टीम में रोशनी, वर्षा, सुजल, करण शामिल थे। सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान राजाबासा के ग्रामीणों से बातचीत के क्रम में यह पता चला कि इस गाँव में दो भाषाएँ बोली जाती हैं, पहली संथाली और दूसरी बांग्ला।

बातचीत के बाद यात्रा गाते-बजाते वृंदावनपुरी चौक पहुँची वहाँ दो गीतों की प्रस्तुति के बाद एआईएसएफ चाकुलिया के साथी सरकार किस्कू और ज्योति ने ग्रामीणों से बांग्ला में संवाद किया। वहाँ नाश्ता कर और सत्तू पीकर यात्रा आगे बढ़ी। दोपहर एक बजे यात्रा खडियाडीह पहुँची। खड़ियाडीह गाँव में पहुँचते ही देखा कि एक मैदान में सजी-सजाई कुर्सियाँ लगी हुई थीं। इस मैदान में पदयात्रा में शामिल लोगों का वीणापाणी क्लब के द्वारा स्वागत किया गया। उस मैदान में एक मकान दिखा। वह मकान वीणापाणी क्लब का कार्यालय था। मैदान में वीणापाणी क्लब के द्वारा ‘ढाई आखर प्रेम’ के पदयात्रियों में शामिल कलाकारों का सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। यहाँ निखिल महतो और शिवनाथ सिंह ने पदयात्रियों का स्वागत किया। यहाँ संगीत की शिक्षा प्राप्त कर रही छात्राओं भारती, ममता, झूमा, जानकी ने स्वागत गीत पेश किए। लिटिल इप्टा जमशेदपुर के कलाकारों ने ‘ढाई अक्षर प्रेम’ गीत प्रस्तुत किया और उसके बाद घाटशिला के बाल कलाकारों के साथ मिलकर “डारा डिरी डा” गाया।

निसार अली ने अपनी टीम में शामिल देवनारायण साहू, जुगनू राम, हर्ष सेन के साथ ऊर्जावान ‘दमादम मस्त कलंदर’ गीत और नाच पेश किया। गीत की प्रस्तुति के बाद निसार अली के निर्देशन में नाचा थिएटर शैली के माध्यम से ‘चालक शिकारी’ गम्मत का प्रदर्शन किया गया। साथ ही नाचा गम्मत लोक कला के बारे में गांव वालों को बताया गया । दुलाल चन्द्र हांसदा जी ने स्थान के बारे में बताया। परवेज़ आलम और अली इमाम खान ने भी संबोधित किया। अली इमाम खान ने यात्रा के उद्देश्यों की चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान समय में पूरी दुनिया हिंसा के दौर से गुजर रही है। इस हिंसा के दौर में हमारा जीवन समस्याओं से घिर चुका है। ऐसे में यह यात्रा जरूरी है। शेखर मल्लिक ने बांग्ला में संबोधित कर गांव वालों को यात्रा की जानकारी दी।

कार्यक्रम के अंत में पदयात्रियों के द्वारा प्रभात खबर के पत्रकार मोहम्मद परवेज को प्रेम और श्रम का प्रतीक गमछा भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मोहम्मद परवेज ने कहा कि प्रेम के संवाद को गाँव-गाँव तक ले जाने के लिए इस तरह की पहल ज़रूरी है। पद यात्रियों की जितनी भी सराहना की जाए, कम है। इसके बाद मनोरंजन महतो ने बांग्ला भाषा में झूमर प्रस्तुत किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के समापन के बाद वीणापाणी क्लब के द्वारा पदयात्रा में शामिल लोगों को भोजन कराकर विदा किया गया। बातचीत के बाद यह पता चला कि वीणापाणी क्लब इस गाँव का लगभग 100 वर्ष पुराना क्लब है। इस क्लब में शिवनाथ सिंह अपना पूरा समय देते हैं और बच्चों को शास्त्रीय संगीत सिखाते हैं। शिवनाथ सिंह शास्त्रीय संगीत के शिक्षक तो हैं ही, साथ ही एक किसान भी हैं। शिवनाथ सिंह के साथ निखिल रंजन महतो और गाँव के लोग मिलकर क्लब की देखरेख करते हैं।

गाते-बजाते हुए ‘ढाई आखर प्रेम’ की यात्रा स्थानीय निवासी तापस जी के निमंत्रण पर खड़ियाडीह गांव से बड़बिल गाँव पहुँची। बड़बिल के हरि मंदिर के पास पदयात्रियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर ग्रामीणों से संवाद स्थापित किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में अहमद बद्र ने कहा कि पोथी पढ़कर एटम बम तो बना सकते हैं, लेकिन प्रेम नहीं कर सकते। प्रेम अपने घर और अपने आसपास से शुरू होता है। प्रेम सीखने और सिखाने की ज़रुरत है। प्रेम के बगैर ज्ञान अधूरा होता है। जिस ज्ञान में प्रेम का समावेश होता है वही ज्ञान मानव की सुरक्षा की बात कर सकता है। ज्योति मल्लिक ने यात्रा के उद्देश्य को बांग्ला में समझाया। ज्योति ने ग्रामीण महिलाओं से भी संवाद किया, उन्होंने भी अपना दुःख-दर्द साझा किया। साथ ही ज्योति ने गाँव वालों को अगले पड़ाव तक साथ चलने का अनुरोध किया, जो उन्होंने मान लिया।

इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम में निसार अली के नेतृत्व में ‘अफवाह’ नमक गम्मत प्रस्तुत किया गया। गम्मत के बाद एकता, समानता और शांति के लिए सामूहिक गीत प्रस्तुत किया गया। विकास भगत ने जत्थे को धन्यवाद दिया। पदयात्रियों के द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रमों को स्थानीय लोगों ने काफी सराहा और आगे की यात्रा के लिए आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया। इसके बाद ‘ढाई आखर प्रेम’ की यात्रा ने गालूडीह के लिए प्रस्थान किया। यात्रा शाम छह बजे गालूडीह के आंचलिक मैदान में पहुंची, जहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। यहाँ लिटिल इप्टा जमशेदपुर के बच्चों ने ‘पढ़के हम तो इंकलाब लाएंगे’ गाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। उसके बाद ‘ढाई आखर प्रेम के पढ़ लें ज़रा, दोस्ती का एहतराम कर लें ज़रा’ गीत पेश किया। नाचा कलाकारों ने भी प्रस्तुति दी। सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति के बाद दर्शकों ने आग्रह किया कि आप लोग सुबह भी कार्यक्रम कीजिए। इसके बाद जत्थे ने विश्राम किया।

जत्थे में अर्पिता, प्रशांत श्रीवास्तव, उपेंद्र, शैलेंद्र, भोला, संजू, रवि, शशि, अनुभव, बीजू टोप्पो, डी एन एस आनंद, अहमद्र बद्र, अंजना, वर्षा, सुजल, करण, रौशनी, सयेंद्र, रविंद्र चौबे, अंकुर, शादाब, हीरा मानिकपुरी, डॉ शमीम, मृदुला मिश्रा, प्रो बी एन प्रसाद, प्रभात खबर के प्रतिनिधि परवेज़ आलम, मल्लिका, स्नेहज, गीता, मानव, मनोरंजन महतो, सरकार किस्कू, दुलाल चन्द्र हांसदा, डी डी लोहरा, ज्योति मल्लिक, शेखर मल्लिक आदि शामिल रहे। आज जत्था में बरेली के साथी गार्गी सिंह और अंजना भी जुड़े। बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएँ , बच्चे-बच्चियाँ और अन्य लोग मौजूद रहे।

10 दिसंबर 2023 रविवार

‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा का जत्था झारखण्ड पड़ाव के तीसरे दिन पिछले पड़ाव महुलिया से आगे बढ़ा। सुभाष चौक, गालूडीह बाज़ार पर यात्रा के कलाकारों ने उपस्थित लोगों के सामने जनगीत गाए और यात्रा का सन्देश दिया। बराज कॉलोनी में नाचा के कलाकारों द्वारा लोकनृत्य पेश किया गया। ज्योति ने बांग्ला भाषा में और प्रेम प्रकाश ने हिंदी में यात्रा के उद्देश्य के बारे में बताया। बराज होते हुए जोश के साथ जनगीत गाते हुए जत्था दिगडी होते हुए राखा माइंस में केदार भवन जा पहुँचा। यहाँ कॉमरेड केदार दास के जीवन के बारे में शशि कुमार ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केदार बाबू के जीवन भर की कमाई दो जोड़ी धोती और बनियान थी। जब उनका देहांत हुआ तो उनकी अंतिम यात्रा में दस किलोमीटर तक लोगों की कतार थी। उन्होंने कहा कि आँसू हों तो प्रेम के हों, छेड़छाड़ हो तो प्रिय-प्रिया की हो, कलह की न हो। वहाँ लिटिल इप्टा के बाल कलाकारों ने ‘पढ़के हम तो इंकलाब लाएँगे’ गीत गाया। इसके बाद जत्था बढ़ते हुए जादूगोड़ा चौक पहुँचा। यहाँ भी बाल कलाकारों ने जनगीत प्रस्तुत किया।

अगला पड़ाव भाटिन गाँव में लुगू मुर्मू रेसिडेंशियल ट्राइबल स्कूल में था, जहाँ स्कूल के बच्चों और स्कूल से जुड़े लोगों ने पारम्परिक रूप से सांस्कृतिक जत्था का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन लखाई बास्के ने किया। उन्होंने अतिथि कलाकार यात्रियों का स्वागत करते हुए डुंबू पीठा खिलाया। रामो सोरेन ने स्कूल के बारे में जानकारी दी और स्कूल के संस्थापकों, शिक्षक-शिक्षिकाओं का परिचय कराया। भोजनोपरांत धमसा (नगाड़ा) बजाकर पारम्परिक नृत्य प्रस्तुत किया गया, जिसमें यात्री कलाकार भी उत्साह से शामिल हुए। लुगु मुर्मू स्कूल में इप्टा पलामू के कलाकारों ने ‘बोल भाई झारखण्ड’ गाकर सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत की। लिटिल इप्टा के बच्चों ने जनगीत ‘ढाई आखर प्रेम के पढ़ ले ज़रा’ पेश किया। इप्टा घाटशिला के कलाकारों ने संथाली गीत ‘आले ले ले दिशोम’ गया। उसके बाद नाचा-गम्मत कलाकारों ने लोक नाटक प्रस्तुत किया। नाटक के बाद प्रख्यात वृत्तचित्रकार बीजू टोप्पो की फिल्म का प्रदर्शन हुआ।

भाटिन गाँव में भी सांस्कृतिक संध्या का आयोजन हुआ। आज यात्रा में कुछ नए सहयात्री जुड़े, जिनमें मुख्य थे कथाकार कमल, कृपाशंकर, जनमत के संपादक सुधीर सुमन, विनय, शशिकुमार, शायर गौहर अज़ीज़, नासिक इप्टा के तल्हा और संकेत, मनोरमा, संजय सोलोमन, प्रशांत, नोरा, अंजना, श्वेता, शशांक, सहेंद्र, गार्गी, इंजिमाम, फरहान और लिटिल इप्टा के कुछ और कलाकार।

11 दिसंबर 2023 सोमवार

चौथे दिन की ढाई आखर प्रेम की पदयात्रा लुगू मुर्मू रेजिडेंशियल स्कूल भाटीन से नाश्ते के बाद प्रारंभ हुई। स्कूल के बच्चों के साथ साथी निसार अली ने संवाद किया। उन्होंने बच्चों के बीच अपना मेकअप करके दिखाया। बच्चों की उत्सुकता देखते बनती थी। यात्रा में भाटीन के पलटन सोरेन और हाड़तोपा गांव की उर्मिला शामिल हुई। भाटीन के रास्ते पर गीत के माध्यम से पुरखों के प्रेम के संदेश को फैलाते हुए पदयात्रा आगे बढ़ रही थी। इसी बीच पलटन सोरेन अपने घर सभी पदयात्रियों को ले गए और अपने परिवार के लोगों से मिलाया। पदयात्रियों के आग्रह पर उर्मिला ने संथाली भाषा में एक गीत सुनाया और पलटन सोरेन ने संगत की। गीत में पहली बारिश में किसानों की खुशी और प्रकृति से प्रेम को परिलक्षित किया गया था। साथ ही जब पहली बारिश होती है तो काले बादल को देखकर मोर भी नाच उठता है। यह पहली बारिश के प्रति तमाम जीव जगत के प्रेम को प्रदर्शित करता है। पलटन सोरेन के परिवार के प्रति प्रेम प्रदर्शित करते हुए पदयात्रा आगे बढ़ी और लगभग डेढ़ किलोमीटर चलने के बाद यात्रा नीमडीह गांव पहुंची।

यहां कलाकारों ने ‘बोल रे भाई झारखंडी बोलो’ झारखंड गीत की प्रस्तुति से कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम की कड़ी में छत्तीसगढ़ी शैली में एक गीत निसार अली के नेतृत्व में प्रस्तुत किया गया। अंत में नीमडीह की छीतामुनि हेंब्रम ने संथाली गीत प्रस्तुत किया। गीत के माध्यम से उन्होंने कहा कि चाहे जितना भी पढ़ लिख लो, खेती बाड़ी मत छोड़ना। इसके बाद यात्रा ने झरिया गांव के लिए प्रस्थान किया। झरिया गांव में नाचते-गाते-पर्चा बांटते हुए, आगे बढ़ते हुए यात्रा राजदोहा गांव पहुंची। इस गांव के उत्क्रमित मध्य विद्यालय परिसर में पदयात्रियों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में विद्यालय की छात्राओं के द्वारा नृत्य प्रस्तुत किया गया, जिसे पदयात्रियों ने काफी सराहा। इसके बाद छत्तीसगढ़ के कलाकारों द्वारा निसार अली के निर्देशन में नाचा थिएटर शैली में ‘ढाई आखर प्रेम’ नामक नाटक प्रस्तुत किया गया। विद्यालय में नाशिक के साथी संकेत ने मात्र एक-डेढ़ मिनट में बच्चों को ताली बजने का हुनर सिखाया, जिसे बच्चों ने बहुत मज़ा लेते हुए सीखा।

बच्चों और शिक्षकों ने नाटक का भरपूर आनंद उठाया। सांस्कृतिक कार्यक्रम से पहले इस विद्यालय में बच्चों के बीच शॉर्ट फिल्में दिखाई गई। सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंत में फिल्मकार बीजू टोप्पो ने बच्चों के बीच दिखाई गई फिल्म के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि सभी फिल्मों में प्रेम के संदेश छुपे हुए हैं। किसी अच्छी वस्तु का निर्माण बिना प्रेम के संभव नहीं। आपने फिल्म में देखा कि पृथ्वी का निर्माण भी सभी जलचर जीवों ने मिलकर किया है। अंकुर ने कार्यक्रम का संचालन रोचक और संवाद शैली में किया। फिल्म दिखाने में अंकुर का सहयोग बरेली की साथी गार्गी ने किया था।

इसके बाद पदयात्रियों ने नाचते गाते राजदोहा गांव का भ्रमण किया और पर्चा-वितरण करते हुए आगे बढ़ते रहे। उसके बाद पदयात्री संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत बानाम वादक दुर्गा प्रसाद मुर्मू के घर पहुंचे। उनके घर पहुंच कर उनसे बातचीत की। उन्होंने जीवन के बेहतरी के लिए प्रेम को महत्वपूर्ण बताया। साथ ही संथाली में एक कविता दुलड सुनाया। पदयात्रियों के साथ चलने वाले नाचा शैली थिएटर के विशेषज्ञ निसार अली के नेतृत्व में एक गीत प्रस्तुत किया गया। इसके बाद नरवा नदी के किनारे पिकनिक प्लेस पर पदयात्रियों के द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। नदी किनारे पदयात्रियों ने भोजन का आनंद उठाया। इसके बाद नाचते गाते हाड़तोपा के लिए यात्रा ने प्रस्थान किया। बीच रास्ते में नरवा ब्रिज पारकर यात्रा बसंती चौक, मुर्गाघुटु पर गीतों को प्रस्तुत करते हुए हाड़तोपा गांव पहुंची। इस गांव में पहुंचते ही रामचंद्र मार्डी और उर्मिला हांसदा के नेतृत्व में पदयात्रियों का भव्य स्वागत किया गया। इस यात्रा में नासिक इप्टा के तलहा एवं संकेत भी जुड़ गए थे।

12 दिसंबर 2023 मंगलवार

‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा के पाँचवें दिन की शुरुआत हाड़तोपा गाँव से हुई। नाचते-गाते हुए और अपने गीतों के माध्यम से शहीद पुरखों को याद करते हुए यात्रा गाँव के प्राथमिक विद्यालय में पहुँची। बच्चों के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आरम्भ में स्कूल के बच्चों ने बहुत मधुर स्वर में स्वागत गीत से यात्रियों का स्वागत किया। इसके बाद बच्चों ने एक नाटक प्रस्तुत किया। नाटक के माध्यम से पढ़ाई-लिखाई के महत्व को बताया गया। विद्यालय में कार्यक्रम का संयोजन उर्मिला हसदा और रामचंद्र मार्डी ने किया।

कार्यक्रम के बाद यात्रा नाचते-गाते हुए आगे बढ़ी। बीच रस्ते में चाईबासा के साथी यात्रा में शामिल हुए। इस तरह कारवाँ में लोग जुड़ते रहे और यात्रा आगे बढ़ती रही। लगभग चार किलोमीटर की यात्रा के बाद पदयात्री डोमजुड़ी पहुंचे, जहाँ पदयात्रियों की ओर से फिल्मकार तरुण मोहम्मद ने परगना हरिपदो मुर्मू को प्रेम और श्रम का प्रतीक गमछा भेंट कर सम्मानित किया। इस मौके पर परगना हरिपदो मुर्मू ने सभी पदयात्रियों को ढेर सारी शुभकामनाएँ देते हुए कहा, “आप सभी प्रेम बाँट रहे हैं, यह सबसे बड़ी बात है।” इसके बाद उर्मिला और रामचंद्र ने सामूहिक रूप से संथाली गीत प्रस्तुत किया। गीत के माध्यम से उन्होंने कहा कि पहाड़-पर्वत फूल और पत्तों से सजे हैं। नदी-झरने सजे हैं झर-झर बहते हुए पानी से। हम लोग फूलों से सजेंगे और फलों का आनंद लेंगे। दुःख की घडी में हम एकदूसरे का सहारा बनेंगे। आने वाली पीढ़ी को प्रेम का सन्देश देंगे।

कार्यक्रम की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए परवेज़ आलम ने ‘हो’ भाषा में एक गीत प्रस्तुत किया। उन्होंने गीत के माध्यम से बिरसा मुंडा के जीवन और उनके संघर्षों को विस्तार से बताया। साथ ही उन्होंने जल-जंगल-ज़मीन के प्रति बिरसा के समर्पण को भी प्रतिबिंबित किया। जल-जंगल-ज़मीन और स्वतंत्रता की खातिर उन्होंने अपने जीवन को कुर्बान कर दिया। कार्यक्रम का संचालन उर्मिला ने किया।

इसके बाद डोमजुड़ी से नाचते-गाते और परचा बाँटते हुए यात्रा गोविंदपुर स्टेशन पर पहुंची। वहाँ गाँधी शांति प्रतिष्ठान के सुखचन्द्र झा, कॉम. केदार दास के पौत्र अशोक कुमार लाल दास, अम्बुज ठाकुर, कामत, मणिकांत, राकेश तथा प्रगतिशील लेखक संघ के विनय कुमार के साथ गोविंदपुर के नागरिकों ने पदयात्रियों का स्वागत किया। यहीं से ह्यूमन वेलफेयर ट्रस्ट के मुख़्तार अहमद खान अपने साथियों के साथ शाम तक के पड़ाव के लिए जुड़े। यहाँ दोपहर का भोजन किया गया। स्टेशन पहुँचने से पूर्व सलगाझुड़ी क्रॉसिंग पर पदयात्रियों को लगभग 25-30 मिनट का इंतज़ार करना पड़ा, वहाँ कुछ गीत गाए गए एवं संवाद किया गया। रास्ते में बारीगोड़ा में संक्षिप्त पड़ाव के दौरान चाईबासा इप्टा, डालटनगंज के साथी तथा निसार अली की टीम ने प्रदर्शन किया।

शाम को ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक पदयात्रा जेम्को इलाके के प्रेमनगर स्थित वरिष्ठ नागरिक समिति पहुँची, जहाँ पदयात्रियों का रात्रि विश्राम था। वरिष्ठ नागरिक समिति के परिसर में रात को सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए, जहाँ संजय सोलोमन ने संचालन किया। डालटनगंज के पंकज श्रीवास्तव तथा नाशिक के तल्हा ने यात्रा के अनुभव साझा किये। अहमद बद्र ने यात्रा के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ नागरिक समिति के कॉमरेड रामानुज शर्मा ने किया और कहा कि युवाओं को देखकर मैं ऊर्जा से भर गया हूँ।

13 दिसंबर 2023 बुधवार

13 की सुबह वरिष्ठ नागरिक समिति प्रेमनगर से आर डी टाटा गोल चक्कर साकची स्थित बिरसा स्मारक पर शहीद बिरसा मुंडा को नमन करते हुए झारखण्ड की ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक पदयात्रा का समापन हुआ। रास्ते में टीआरएफ गेट पर तथा उसके बाद की चाय गुमटी पर भी लिटिल इप्टा के बच्चों द्वारा गीत प्रस्तुत किया गया। रास्ते में भी बच्चे गाते हुए चल रहे थे। इसमें न केवल ‘ढाई आखर प्रेम’ का गीत गा रहे थे, बल्कि यात्रा के दौरान बड़े साथियों द्वारा गाए गए गीत भी उन्होंने सीख लिए थे।

झारखण्ड सांस्कृतिक पदयात्रा का संक्षिप्त विवरण

झारखंड में 07 से लेकर 13 दिसंबर 2023 तक चली इस पदयात्रा का पड़ाव विभिन्न स्कूलों, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों की मेज़बानी में हुआ। पहले दिन यानि 07 दिसंबर की शाम घाटशिला स्थित प्रख्यात साहित्यकार विभूति भूषण बंदोपाध्याय के आवास गौरीकुंज में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया और पदयात्रा की शुरूआत की गई, जो मऊभंडार तक गई। जत्थे का रात्रि विश्राम वहीं हुआ। इसके बाद पहले दिन 08 दिसंबर को चुनुडीह, धरमबहल, एडेलबेड़ा, झांपड़ीशॉल, बनकाटी, हेंदलजुड़ी होते हुए पहले दिन के रात्रि पड़ाव के लिए जत्था कालझोर में रुका। दूसरे दिन गालूडीह, तीसरे दिन भाटिन में रात्रि विश्राम किया गया। 11 दिसंबर को सांस्कृतिक जत्था आगे बढ़ते हुए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित बानाम वादक दुर्गा प्रसाद मुर्मू जी के यहां डूंगरीडीह पहुंचा। 11 को रात्रि पड़ाव हाड़तोपा में उर्मिला हांसदा के घर में हुआ। 12 दिसंबर को मुर्गाघुट्टू होते हुए डोमजुड़ी होते हुए यात्रा दोपहर गोविंदपुर में भोजन के बाद शाम को बर्मामाइंस इलाके के प्रेमनगर स्थित वरिष्ठ नागरिक समिति पहुंची। यहाँ यात्रा का अन्तिम रात्रि-पड़ाव रहा। 13 दिसंबर को सुबह 8 बजे प्रेमनगर से यह सांस्कृतिक पदयात्रा पहुंची साकची स्थित बिरसा स्मारक पर, जहां विधिवत् इसका समापन हुआ।

सहयोगी संगठन

झारखंड में आयोजित ‘ढाई आखर प्रेम’ की इस पदयात्रा को सफल बनाने में इप्टा के अलावा गांधी शान्ति प्रतिष्ठान, जनवादी लेखक संघ, प्रगतिशील लेखक संघ, सांस्कृतिक संगठन गोम्हेड, द अंब्रेला क्रिएशंस, नाट्य संस्था “पथ”, कला मंदिर – सेलुलॉइड चैप्टर, ह्यूमन वेलफेयर ट्रस्ट, गौरी कुंज उन्नयन समिति, वरिष्ठ नागरिक समिति, मशाल न्यूज़, सर्वोदय संघ, भावी पीढ़ी, लोक अलोक, न्यूज़टेल का सहयोग रहा।

सहयात्री/पदयात्री

इस पूरे कार्यक्रम के दौरान झारखण्ड आयोजन समिति से अर्पिता, शशि कुमार, उपेन्द्र, शैलेंद्र कुमार, अंकुर, अहमद बद्र, अंजना, गार्गी, मनोरमा, श्वेता, हीरा अरकने, संजय सोलोमन, सहेंद्र कुमार, प्रशान्त, विक्रम कुमार, नादिरा, तबस्सुम, रेशमा; जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव अली इमाम खान, अशोक शुभदर्शी, वरुण प्रभात, प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव मिथिलेश, कथाकार कृपाशंकर, कथाकार कमल, विनय कुमार, भावी पीढ़ी के कॉमरेड ओम, जन संस्कृति मंच के सुधीर सुमन, गोम्हेड संस्था के रामचंद्र मार्डी, उर्मिला हांसदा, रांची से प्रसिद्ध उपन्यासकार रणेन्द्र, भारती जी, पद्मश्री मधु मंसूरी, राकेश, पलामू इप्टा से प्रेम प्रकाश, रवि शंकर, मृदुला मिश्रा, संजीव, भोला, शशि, अनुभव, आकाश, महाराष्ट्र इप्टा से तल्हा, संकेत, घाटशिला इप्टा और प्रलेस से शेखर मल्लिक, ज्योति मल्लिक, कॉमरेड ओम, गणेश मुर्मू, डी डी लोहरा, रविशंकर, चंद्रिमा, तापस, मल्लिका, लातेहार से फिल्मकार बीजू टोप्पो, छत्तीसगढ़ के रायपुर से नाचा थियेटर के साथी निसार अली, देवनारायण साहू, जगनू राम, हर्ष सेन, रायगढ़ से रविन्द्र चौबे, उषा वर्मा, ह्यूमन वेलफेयर ट्रस्ट के मुख़्तार अहमद खान और अन्य साथी, गोविंदपुर से अंबुज ठाकुर, कामत, अशोक कुमार लाल दास, राकेश, मणिकांत, वरिष्ठ नागरिक समिति के रामानुज शर्मा, राधेश्याम, लिटिल इप्टा के वर्षा, सुजल, मानव, गीता, स्नेहज, रौशनी, करण, दिव्या, सुरभि, मिसाल, नम्रता, श्रवण, गणेश, लक्ष्मी, चाईबासा इप्टा के तरुण मोहम्मद, कौसर परवेज़, खुशबू, संजय चौधरी आदि शामिल रहे। इनके अलावा साइंस फॉर सोसायटी, झारखंड के महासचिव डी एन एस आनंद, नाट्य संस्था “पथ” के मोहम्मद निज़ाम, छवि, रूपेश, रघु, खुर्शीद, नेहा, सुषमा, टार्जन, गांधी शान्ति प्रतिष्ठान के अरविन्द अंजुम, पूर्वी सिंहभूम ज़िला सर्वोदय मण्डल के अध्यक्ष डॉ. सुखचंद्र झा, मीडिया एक्टिविस्ट शशांक शेखर, गौतम समेत कई अन्य ने अपनी सहभागिता निभाई।

रिपोर्ट : अर्पिता, शेखर मल्लिक, शशांक शेखर

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