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How to fill this gap? – Vikas Kapoor

दरारों के बारे में कुछ विचार – वे क्यों उत्पन्न होती हैं, और कैसे वे विकास और पुनर्निमाण की आवश्यकता दोनों का प्रतिनिधित्व करती हैं। An insight into cracks and gaps, why they occur, and how they represent both growth and the need to repair and reinvent.

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Duty of artists to spread Love: Dr. Sukhdev Sirsa

बुल्लेशाह ने कहा है – नी मैं जाना जोगी दे नाल, कन्नी मुंद्रा पा के, मत्थे तिलक लगा के – एक सूफी पीर तिलक की बात करता है, यह हमारी सांझी विरासत का हिस्सा है।डॉ. सुखदेव सिरसा Bulleshah once said – I’m going with Jogi, after putting earrings in my ears, and donning my forehead […]

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बाहर निकलकर लोगो से जुड़ने का समय | Time to step out and engage: Moloyashree Hashmi

जन नाट्य मंच, दिल्ली की मोलोयश्री हाशमी अपने आसपास कई छोटी-छोटी यात्राएं निकालने और सद्भाव वापस लाने के लिए स्थानीय लोगों तक पहुंचने की बात करती हैं। Jana Natya Manch, Delhi’s Moloyashree Hashmi talks about the need to take out many small yatras around one’s surroundings and make local outreach the building block to bringing […]

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ਕੁਦਰਤ ਦੇ ਸਭ ਬੰਦੇ | कुदरत दे सब बंदे

अव्वल अल्लाह नूर उपाइया, कुदरत दे सब बंदे एक नूर ते सब जग उपजिया, कौन भले को मंदे Drawing: D. Surendra Rao Poster: Rajneesh Sahil

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We all have to live together: Arun Kamal

नफरत, घृणा ये हमेशा अपना ही विनाश करता है – और फिर सामूहिक विनाश की और ले जाता है. अगर हम सबको को जीना है, तोह एक साथ ही जीना है. अरुण कमल  Hatred, ill will always leads to its own destruction – and then to collective destruction. If we all have to live, we […]

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Daily Update

वाईकम सत्याग्रह के इतिहास में जितनी रोशनी है, उतना ही अंधेरा है : संजय पी आर

02 अक्टूबर 2023 | मुंबई. गांधी जयंती और वाईकम सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के अवसर पर मुंबई इप्टा, प्रगतिशील लेखक संघ तथा इप्टा केरल मुंबई चैप्टर के संयुक्त आयोजन में ‘वाईकम सत्याग्रह और उसकी प्रासंगिकता’ विषय पर भूपेश गुप्ता भवन, प्रभादेवी मुंबई में सेमिनार का आयोजन किया गया। इप्टा केरल मुंबई चैप्टर के सचिव संजय पी […]

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Poetry/Tales

ढाई आखर (कविता)

ढाई आखर प्रेम का ना पढ़ा ना पंडित हुए बस जात धरम में बंट गए कमबख्त मुए बीज कहाँ अँकुआता माटी ना थी निर्गुण ज्ञान कहाँ समाता थाती ना थी राह सुझाते संत खप गए इनको ना सूझा पर वो टप गए अंत समय तक रहे जोड़ते पर जोड़ ना था घर खज़ाना तो भर […]