प्रेम न तो किसी खेत में उत्पन्न होता है और न ही वह किसी बाज़ार में बिकता है। यह तो ऐसी चीज है कि राजा हो अथवा प्रजा, जिस किसी को भी वह रुचिकर लगे वह अपना सिर देकर अर्थात अहंकार त्याग कर ही उसे ले जा सकता है। – कबीर Love neither grows in […]
Author: Dhai Aakhar Prem
Let Us Walk Together
Painting: Mukesh Bijoje आइए हम साथ मिलकर अपने खूबसूरत देश की यात्रा करें। अलग-अलग लोगों से मिलें, उनकी संस्कृतियों और इतिहास को जानें और उनके साथ गर्मजोशी और प्यार साझा करें। आइए एक साथ चलकर हम अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता का जश्न मनाएं। Come and travel with us to different parts of our beautiful country. […]
ढाई आखर (कविता)
ढाई आखर प्रेम का ना पढ़ा ना पंडित हुए बस जात धरम में बंट गए कमबख्त मुए बीज कहाँ अँकुआता माटी ना थी निर्गुण ज्ञान कहाँ समाता थाती ना थी राह सुझाते संत खप गए इनको ना सूझा पर वो टप गए अंत समय तक रहे जोड़ते पर जोड़ ना था घर खज़ाना तो भर […]
What is Dhai Aakhar Prem: Prasanna
What is the concept behind this? Why are we doing this? and many such questions answered. इस जत्था की अवधारणा क्या है? हम ये क्यों कर रहें हैं? और ऐसे बहुत से सवालों के जवाब. Thanks for Watching! For more information: https://linktr.ee/dhaiaakharprem
जे तूँ यार न कीता राज़ी : बुल्ले शाह
दिन में पाँच बार प्रार्थना की तो लोगों ने तुम्हें धर्मनिष्ठ कहा। जब युद्ध करके घर वापस लौटकर आए तो लोगों ने तुम्हें वीर कहा। जब तुम न्याय की कुर्सी पर चढ़कर बैठे तो लोगों ने तुम्हें न्यायाधीश कहा। लेकिन ये सब उपाधियाँ व्यर्थ हैं। अगर तुम अपने प्रिय को नहीं मना सके तो तुमने […]
उड़ जाएगा हंस अकेला
Poster: Rohit Rusia
• अर्पिता • प्रेम में बहुत ताकत होती है लेकिन इसके यह मायने नहीं कि हम शेर से प्रेम कर बैठे पर क्या शेर से नफ़रत करना अनिवार्य है? उसी तरह से सोचिए कि क्या किसी विचार को समाज में,दुनिया में फैलाने के लिए किसी से नफ़रत करना अनिवार्य है? ज़रा ठहर कर इस बात […]
काबा फिर कासी भया
काबा फिर कासी भया, राम भया रहीम। मोट चून मैदा भया, बैठ कबीरा जीम॥ – कबीर सांप्रदायिक सद्भावना के कारण कबीर के लिए काबा काशी में परिणत हो गया। भेद का मोटा चून या मोठ का चून अभेद का मैदा बन गया, कबीर उसी को जीम रहा है। चित्र: डी सुरेन्द्र राव संयोजन: रजनीश साहिल