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Na Ho Ehsaas To – Firaq Gorakhpuri

نہ ہو احساس تو سارا جہاں ہے بے حس و مردہ گداز دل ہو تو دکھتی رگیں ملتی ہیں پتھر میں فراق گورکھپوری If there is no feeling, the whole place is senseless and dead. If you have a Sensitive heart then you can see the veins in the stone. Firaq Gorakhpuri   Poster: Pankaj […]

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जुपै प्रेम जान्यो नहीं – रसखान

Poster: Jeevesh Prabhakar  

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Poetry/Tales

हममें अब भी कबीर ज़िन्दा हैं (गीत)

(गीत) नानक नरसी नज़ीर ज़िन्दा हैं हममें अब भी कबीर ज़िन्दा हैं रोज़ ही तीरगी से लड़ते हैं शान से ज़िन्दगी से लड़ते हैं रोशनी तो उन्हीं से मिलती है फ़ैज़ ग़ालिब कि मीर ज़िन्दा हैं आइनों से निबाह लेते हैं सच की सूरत सराह लेते हैं बात होती अमीर खुसरो से जायसी से फ़कीर […]

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Word and meaning inseparable: K G Paulose

Renowned Sanskrit Scholar Dr. K G Paulose refers to Kalidas and talks about the metaphors of words and their meanings. प्रसिद्ध संस्कृत शास्त्री डॉ. केजी पॉलोज़ कालिदास के उल्लेख के साथ शब्दों के रूपकों और उनके अर्थों के बारे में बात करते हुए।  

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Poetry/Tales

ढाई आखर प्रेम के हम जानते हैं

हम नहीं खोएंगे पल भर में सदी को दिलों में अनुराग की बहती नदी को ढाई आखर प्रेम के हम जानते हैं बहुलता में एकता पहचानते हैं हम नहीं खोएंगे भाईचारगी को अमन की अभ्यस्त साझी ज़िंदगी को हैं अलग मज़हब अलग हैं जातियाँ एक जगमग दीप की हम बातियाँ हम नहीं खोएंगे इस संजीवनी […]

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Love, the Sweetest Raga: Raghubir Yadav

डाली छेड़ूँ न पत्ता न कोई जीव सताऊं पात पात में प्रभू बसत वहि को शीस नवाऊँ तोड़े से जो न चटके ऐसो सूत कताऊँ ये गमछो है प्रेम को गमछों सब काहु को उड़ाऊं प्रेम राग है सहज सुरीलो सब संग मिलि के गाऊं प्रेम राग है सहज सुरीलो सब संग मिलि के गाऊं […]

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प्रेम न बाड़ी ऊपजै

प्रेम न तो किसी खेत में उत्पन्न होता है और न ही वह किसी बाज़ार में बिकता है। यह तो ऐसी चीज है कि राजा हो अथवा प्रजा, जिस किसी को भी वह रुचिकर लगे वह अपना सिर देकर अर्थात अहंकार त्याग कर ही उसे ले जा सकता है। – कबीर Love neither grows in […]

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Poetry/Tales

ढाई आखर (कविता)

ढाई आखर प्रेम का ना पढ़ा ना पंडित हुए बस जात धरम में बंट गए कमबख्त मुए बीज कहाँ अँकुआता माटी ना थी निर्गुण ज्ञान कहाँ समाता थाती ना थी राह सुझाते संत खप गए इनको ना सूझा पर वो टप गए अंत समय तक रहे जोड़ते पर जोड़ ना था घर खज़ाना तो भर […]

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जे तूँ यार न कीता राज़ी : बुल्ले शाह

दिन में पाँच बार प्रार्थना की तो लोगों ने तुम्हें धर्मनिष्ठ कहा। जब युद्ध करके घर वापस लौटकर आए तो लोगों ने तुम्हें वीर कहा। जब तुम न्याय की कुर्सी पर चढ़कर बैठे तो लोगों ने तुम्हें न्यायाधीश कहा। लेकिन ये सब उपाधियाँ व्यर्थ हैं। अगर तुम अपने प्रिय को नहीं मना सके तो तुमने […]

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उड़ जाएगा हंस अकेला

Poster: Rohit Rusia